केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर निशाना साधते हुए उनसे पूछा कि क्या आदिवासी वाल्मीकि समुदाय के पैसे की हेराफेरी करना न्याय है। कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति निगम में 88 करोड़ रुपये के अवैध अंतरण सहित 187 करोड़ रुपये के घोटाले का जिक्र करते हुए सीतारमण ने सिद्धारमैया पर तथ्यों को छिपाने और केंद्र सरकार पर दोष मढ़ने की कोशिश करने का आरोप लगाया, क्योंकि इसमें एक राष्ट्रीयकृत बैंक के बैंक अधिकारी शामिल थे।
सिद्धारमैया ने आरोप लगाया था कि केंद्रीय वित्त मंत्री को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए क्योंकि इसमें बैंक शामिल थे। सीतारमण ने कहा कि वह ऐसा इसलिए कह सकते हैं क्योंकि उन्हें इस तरह की बातें करने की आदत है...यह बहुत गैरजिम्मेदाराना है। आपके मंत्री ने इस्तीफा दिया...आपके लोग कह रहे हैं कि पैसा निजी खातों में जमा किया गया।
मंत्री ने कहा कि बैंक अधिकारियों के खिलाफ पहले ही कार्रवाई की जा चुकी है और आगे भी उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, निश्चित रूप से उन्हें कोई संरक्षण नहीं दिया जाएगा।
हालांकि, उन्होंने सवाल किया कि किसकी चूक पर एक मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा? दोष मढ़ने का प्रयास किया गया, यह कहा गया कि कोई घोटाला नहीं हुआ है। यह एससी/एसटी का पैसा है। वाल्मीकि समुदाय के पैसे से हेराफेरी की गई। मंत्री ने कहा कि वे (कांग्रेस) चुनाव प्रचार के दौरान न्याय की बात करते हैं। क्या एससी/एसटी समुदायों के लिए यही न्याय है?
लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने दलित समुदायों के लिए न्याय करने और उनके उत्थान की नीतियां बनाने को लेकर अब होगा न्याय का नारा दिया था। वित्त मंत्री ने कहा कि बैंक पहले से ही दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है। उन्होंने सिद्धारमैया से पूछा कि घोटाले में शामिल मंत्री और वित्त विभाग संभाल रहे मुख्यमंत्री ने बैंक को अवैध रूप से धन अंतरित करने से क्यों नहीं रोका।
सीतारमण ने कहा कि आपने सारी चीजों से इनकार किया। जो पैसा निजी खातों में गया, उसके बारे में आप विधानसभा में जाकर कहते हैं कि यह 180 करोड़ या 140 करोड़ रुपये नहीं, यह केवल 80 करोड़ रुपये है। आप इसे छिपा रहे हैं। यह अपमानजनक बात है जो विशेष रूप से एससी/एसटी के पैसे के साथ हो रही है।
इस घोटाले में वाल्मीकि निगम के विभिन्न खातों में जमा 187.33 करोड़ रुपये, जिनमें सरकारी खजाने में 40 करोड़ रुपये भी शामिल हैं, को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की एमजी रोड शाखा में अंतरित कर दिया गया। कुल 187.33 करोड़ रुपये में से 88.63 करोड़ रुपये अवैध रूप से तेलंगाना में कम से कम 217 बैंक खातों में अंतरित किए गए, जिनमें 18 कंपनियां भी शामिल थीं।
इस मामले में कर्नाटक के पूर्व मंत्री बी नागेंद्र को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था। वह अभी न्यायिक हिरासत में हैं। यह घोटाला तब प्रकाश में आया जब वाल्मीकि निगम के लेखा अधीक्षक चंद्रशेखरन पी ने आत्महत्या कर ली।
चंद्रशेखरन ने आत्महत्या से पहले छोड़े गए एक पत्र में विस्तार से बताया कि किस प्रकार धन अंतरित किया गया तथा घोटाले में निगम और बैंक अधिकारियों की क्या भूमिका थी।
विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सत्तारूढ़ कांग्रेस पर इस घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया है। विपक्षी दल ने आरोप लगाया है कि धन का अंतरण वित्त मंत्रालय के प्रमुख सिद्धारमैया की जानकारी के बिना नहीं हो सकता। मुख्यमंत्री ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी। इनपुट भाषा