Manipur Violence: मणिपुर में एक बार फिर हिंसा की खबरें हैं। कर्फ्यूग्रस्त मणिपुर में बुधवार को बिष्णुपुर जिले में हुई अलग-अलग घटनाओं में 1 व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि 2 अन्य घायल हो गए। खबरों के मुताबिक कुछ उपद्रवियों ने 4 घरों को आग के हवाले कर दिया। 23 मई को हुई आगजनी के जवाब में की गई। दूसरी तरफ मणिपुर की स्थिति पर कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर निशाना साधा है।
मॉर्चरी में पड़ी हैं 75 लाशें : कांग्रेस नेता अजय कुमार ने आरोप लगाते हुए कहा कि इंफाल हॉस्पिटल के मॉर्चरी में 5 मई से अभी तक 70 लाशें पड़ी हैं। चुराचांदपुर के मॉर्चरी में 18 लाशें पड़ी हुई हैं, जिन्हें लेने वाला कोई नहीं है। मणिपुर में ऐसे हालात हैं।
10000 जवान तैनात : राज्य में वर्तमान में सेना और असम राइफल्स के करीब 10,000 जवान तैनात हैं। सुरक्षा बल ड्रोन और चीता हेलीकॉप्टर की मदद से हवाई निगरानी कर रहे हैं। मणिपुर में हिंसा शुरू होने के बाद से इंटरनेट सेवाएं बंद हैं। आरोप है कि राज्य के बाहर रहने वाले मेइती और कुकी समुदाय के लोग अपने-अपने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये नफरत फैला रहे हैं।
क्यों भड़की मणिपुर में हिंसा : हिंसा के मूल में मणिपुर के एक कानून को माना जा रहा है, जिसके तहत सिर्फ आदिवासी समुदाय के लोग ही पहाड़ी इलाकों में बस सकते हैं। राज्य के कुल क्षेत्रफल का लगभग 89 फीसदी हिस्सा पहाड़ी है। जबकि आदिवासियों से ज्यादा जनसंख्या यहां पर मैतेई समुदाय की है, जिसे अनुसूचित जाति का दर्जा प्राप्त है।
मणिपुर में 16 जिले हैं। यहां की जमीन इंफाल घाटी और पहाड़ी जिलों के रूप में बंटी हुई है। इंफाल घाटी में मैतेई समुदाय के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं, जबकि पहाड़ी जिलों में नगा और कुकी जनजातियों का वर्चस्व है। हालिया हिंसा पहाड़ी जिलों में ज्यादा देखी गई। यहां पर रहने वाले लोग कुकी और नगा ईसाई हैं। Edited By : Sudhir Sharma