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ताजा हिंसा में 8 जख्मी, अखबार भी नहीं बंटे, मोबाइल भी बंद

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सुरेश एस डुग्गर

श्रीनगर। सख्त कर्फ्यू पाबंदियों से कश्मीर में प्रदर्शनों और हिंसा को थामने की कोशिश की गई। हालांकि यह कोशिश काफी हद तक कामयाब भी रही। कुछेक स्थानों से हिंसा और प्रदर्शनों की खबरें जरूर मिली हैं जिसमें 8 लोगों के जख्मी होने की सूचना है। आज का कर्फ्यू कितना सख्त था अंदाजा इसी से लगाया जा सकता था कि अखबार भी नहीं बंटने दिए गए और मोबाइल भी पूरी तरह से बंद करवा दिए गए थे।
सख्त कर्फ्यू पाबंदियां : जुम्मे की नमाज में जुटने वाली भारी भीड़ को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने ताजा हिंसा की आशंका के मद्देनजर कश्मीर में कर्फ्यू लगा दिया था। पिछले सप्ताह हिज्बुल के आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद हुई झड़पों में 40 लोग मारे जा चुके हैं और 3100 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं। 
 
पुलिस के एक अधिकारी ने कहा था कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए ऐहतिहाती कदम के तहत कश्मीर घाटी के सभी 10 जिलों में कर्फ्यू लगाया गया था। इतना जरूर था कि समाचार भिजवाते समय दो स्थानों से प्रदर्शनों और हिंसा की खबरें मिली थीं। सोपोर और पट्टन कस्बे में हिंसा पर उतारू भीड़ पर पुलिस ने फायरिंग की थी जिसमें 8 लोगों के जख्मी होने की सूचना थी।
 
बीते शनिवार से कश्मीर में जनजीवन अस्त-व्यस्त है और एक बेचैन करने वाली चुप्पी आज भी यहां पसरी रही। हालांकि कश्मीर के किसी भी हिस्से से गुरुवार को किसी बड़ी झड़प की खबर नहीं आई थी। अधिकारी ने कहा कि कर्फ्यू लगाने का फैसला इसलिए लिया गया था, क्योंकि इस बात की आशंका थी कि जुम्मे की नमाज के लिए बड़ी संख्या में जुटे लोगों का कुछ निहित स्वार्थों के तहत ताजा हिंसा भड़काने के लिए फायदा उठाया जा सकता है। 
 
अधिकारी ने कहा कि पुलिस और अर्धसैन्य बलों के जवानों को बड़ी संख्या में घाटी में तैनात किया गया था ताकि निषेधाज्ञा का सख्ती के साथ पालन हो। अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए प्रशासन ने मोबाइल टेलीफोन सेवाओं को आज निलंबित करवा दिया था।
 
कश्मीर को भारत से जोड़ने वाले 300 किमी लंबे राजमार्ग के बीच में भेड़, पोल्ट्री और अन्य खाद्य सामग्री ले जा रहे कम से कम पांच सौ ट्रक फंसे पड़े हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि हमें डर था कि जुम्मे की नमाज के बाद बवाल हो सकता है। हम नहीं चाहते थे कि ट्रकों को नुकसान पहुंचाया जाए।


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