किरती किसान यूनियन की बैठक बलाक नरोट जैमल (सह) के गांव कुलियां में ब्लॉक प्रधान उत्तम चंद फतेहपुर की अध्यक्षता में हुई। बैठक को संबोधित करते हुए किरती किसान यूनियन के प्रांतीय उप प्रधान सतिबीर (सह) सुल्तानी व तरलोक (सह) बहरामपुर ने कहा कि केंद्र व पंजाब सरकार की ओर से संसार व्यापार संस्था के दिशा निर्देशों के तहत खेती सेक्टर को अनदेखा किया जा रहा है।
खेती लागत बढ़ने व खेती से होने वाला मुनाफा लगातार कम होने के चलते किसान कर्ज के जाल में फस कर खुदकशी करने को मजबूर हो रहे है, लेकिन किसानों की इस दशा को सुधारने की बजाए केंद्र सरकार ने चुनावों के दौरान किए वादों के बिल्कुल उल्ट डॉ. स्वामीनाथन कमिशन की सिफारिश मुताबिक खेती जिंस के भाव देने व किसानों के सिर पर चढ़ा कर्ज माफ करने से इंकार कर दिया है। उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि चुनावों के दौरान पंजाब के किसानों के साथ किए गए वादों को पूरा किया जाए और किसानों के सिर पर चढ़ा 80 करोड़ रुपए का कर्ज माफ किया जाए।
उधर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहली कैबिनेट की बैठक 4 अप्रैल को बुलाई है। इसमें किसानों के कल्याण संबंधी फैसले पर मुहर लग सकती है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण प्रस्ताव लघु एवं सीमांत किसानों के फसली कर्ज माफी का हो सकता है। बैठक लोकभवन में शाम को चार बजे बुलाई गई है।
प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कैबिनेट बैठक की जानकारी दी है। प्रदेश में नई सरकार आने के बाद से ही यह अनुमान लगाया जा रहा है कि पहली कैबिनेट की बैठक में किसान हितों के लिए महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर फैसला हो सकता है। भाजपा ने लोक कल्याण संकल्प पत्र में वादा किया था कि सत्ता में आते ही किसानों के कर्ज माफ किए जाएंगे।इसके अलावा लघु एवं सीमांत किसानों को ब्याज मुफ्त फसली कर्ज देने पर भी विचार हो सकता है।
चीनी मिलों द्वारा गन्ना किसानों के बकाए के भुगतान पर भी फैसले की संभावना जताई जा रही है। लोक कल्याण संकल्प पत्र में यह भी वादा किया गया है कि सरकार बनने के 120 दिनों के भीतर बैंकों और चीनी मिलों के समन्वय से गन्ना किसानों की बकाया राशि का पूरा भुगतान कराया जाएगा।
भूमिहीन कृषि मजदूरों को दीन दयाल सुरक्षा बीमा योजना के अंतर्गत दो लाख तक बीमा सरकार द्वारा मुफ्त दिए जाने संबंधी प्रस्ताव पर भी कैबिनेट की मुहर लग सकती है। राशन कार्ड नये स्वरूप में जारी करने, प्रधानमंत्री आवास योजना में विलय करने, समाजवादी पेंशन योजना से समाजवादी शब्द हटा कर नया नाम रखने जैसे प्रस्तावों को मंजूरी दी जा सकती है।