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योगी बोले, संस्कृत पाठशालाओं को भी आधुनिक शिक्षा की जरूरत

हमें फॉलो करें योगी बोले, संस्कृत पाठशालाओं को भी आधुनिक शिक्षा की जरूरत
लखनऊ , गुरुवार, 18 जनवरी 2018 (14:40 IST)
लखनऊ। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकार की योजनाओं को बिना किसी भेदभाव के समाज के सभी वर्गों तक पहुंचाने का संकल्प गुरुवार को दोहराते हुए मदरसों के साथ-साथ संस्कृत पाठशालाओं को भी आधुनिक शिक्षा से जोड़ने की जरूरत बताई।
 
मुख्यमंत्री ने यहां देश के 9 उत्तरी राज्यों के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रियों की समन्वय समिति की बैठक का उद्घाटन करते हुए कहा कि किसी व्यक्ति के बेरोजगार होने का मतलब है कि हम राष्ट्रनिर्माण में उसकी प्रतिभा का लाभ नहीं ले पा रहे हैं।
 
उन्होंने कहा कि हम मदरसों के आधुनिकीकरण की तरफ ध्यान दे सकते हैं। बंद करना किसी समस्या का समाधान नहीं है, बल्कि समय के साथ हम उनमें व्यापक सुधार कर सकते हैं। मैं तो संस्कृत विद्यालयों से भी कहता हूं कि वे परंपरागत शिक्षा जरूर लें लेकिन प्रतिस्पर्धा में बने रहना है, तो उसके साथ अंग्रेजी, विज्ञान, गणित और कम्प्यूटर का भी ज्ञान होना चाहिए। मदरसों की शिक्षा के साथ हमें विज्ञान और कम्प्यूटर भी जोड़ना होगा। तभी उस शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थियों के सामने बेहतर भविष्य की राह दिखेगी। 
 
योगी ने कहा कि जो लोग गुमराह हैं, हम उनकी ऊर्जा का लाभ अपने राष्ट्र निर्माण के इस अभियान में नहीं ले पा रहे हैं और अच्छी शिक्षा ही उसका सबसे अच्छा समाधान है। उन्हें राष्ट्रीयता से ओत-प्रोत शिक्षा दिलाई जानी चाहिए। अगर ये प्रयास आगे बढ़ जाते हैं तो समाज का बहुत बड़ा तबका खुद ही राष्ट्र निर्माण के अभियान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनकर अपनी प्रतिभा का लाभ इस समाज और देश को देगा।
 
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार बिना भेदभाव के हर तबके के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। हमारी सरकार जब बनी तो बहुत से लोगों को अंदेशा था कि हम कटौती करेंगे, फलां करेंगे। हमने कहा कि भई ऐसी कल्पना कोई कैसे कर सकता है। हम 'सबका साथ, सबका विकास' के संकल्प के साथ सत्ता में आए हैं। हमने संकल्प लिया कि हम शासन की योजनाओं को बिना भेदभाव के हर व्यक्ति तक पहुंचाएंगे। यह काम निरंतर चल रहा है।
 
उत्तर क्षेत्र समन्वय समिति की बैठक में केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के साथ-साथ उत्तरप्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, बिहार, दिल्ली तथा पंजाब समेत 9 राज्यों के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री तथा अधिकारी शामिल थे। (भाषा)


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