लखनऊ। सांसदों और विधायकों के लिए टोल प्लाजा पर अलग लेन निर्धारित करने के योगी सरकार के दिशा-निर्देश ने उत्तरप्रदेश में विपक्ष को बैठे-बिठाए सरकार को घेरने का एक मुद्दा दे दिया है।
पिछली 15 जुलाई को सूबे के सभी जिलाधिकारियों को भेजे गए पत्र के माध्यम से अपर मुख्य सचिव सदाकांत ने केंद्र के नियमों का हवाला देकर कहा है कि सांसद, विधायक अथवा विधान परिषद सदस्य से टोल टैक्स की वसूली न की जाए।
पत्र में लिखा है कि सभी जिलाधिकारी यह सुनिश्चित करें कि उनके न्यायधिकरण के तहत पड़ने वाले टोल प्लाजा पर सांसदों और विधायकों को ट्रैफिक जाम की दशा में अलग लेन उपलब्ध कराई जाए। इस मामले में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) से सहयोग की आशा की जाती है।
विपक्षी दलों ने सरकार के इस कदम की भर्त्सना करते हुए कहा कि एम्बुलेंस समेत आपात स्थिति में लगे अन्य वाहनों को अलग लेन उपलब्ध कराने के बजाय राजनीतिज्ञों के लिए यह व्यवस्था करना बेतुका कदम है।
कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सत्यदेव त्रिपाठी ने कहा कि सरकार एक तरफ वीआईपी संस्कृति समाप्त करने की बड़ी-बड़ी बातें कर रही है, इसके लिए सरकारी वाहनों से लाल व नीली बत्ती उतारी गई वहीं इस तरह के आदेश वीआईपी संस्कृति को बढ़ावा ही देंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार के नए दिशा-निर्देश से टोल प्लाजा संचालकों की मुसीबतों में इजाफा होना तय है। अलग लेन सिर्फ एम्बुलेंस, दमकल समेत आपातकालीन सेवाओं में लगे अन्य वाहनों के लिए होनी चाहिए। राजनीतिज्ञों के वाहनों के लिए अलग लेन का कोई औचित्य नही है।
इस बीच प्राधिकरण के एक अधिकारी ने कहा कि सांसद और विधायक अधिकतर लाव-लश्कर के साथ चलते हैं। उनके वाहन के पीछे 4-5 लक्जरी वाहनों का काफिला होता है। सांसद विधायक के वाहन से टोल टैक्स नहीं लिया जाता, मगर नियमानुसार उनके साथ चल रहे अन्य वाहन चालकों से टोल टैक्स लेना जरूरी होता है जिसे देना उन्हें मंजूर नहीं होता। जब अलग लेन होगी तब यह समस्या और जटिल हो जाएगी। (वार्ता)