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कभी देखें हैं शहर के बीचों-बीच मगरमच्छ!

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अलकेश व्यास

, बुधवार, 2 अप्रैल 2008 (15:47 IST)
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सोचिए आप बीच शहर में बहती नदी के पास से गुजर रहे हैं औऱ आपके सामने एकाएक मगरमच्छ आ जाए। जी हाँ, यहाँ हम बात कर रहे हैं बड़ोदरा शहर की। शहर के बीचोंबीच एक नदी बहती है जिसे विश्वामित्री के नाम से जाना जाता है।

प्राप्त आँकड़ों के अनुसार इस नदी में लगभग १०० से ज्यादा मगर रहते हैं। शहर के एक छोर से लगे वैमाली से लेकर तलसठ गाँव तक रोजाना अनेक मगरमच्छ दिखाई देते हैं।

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प्राणी क्रूरता निवारण संस्था की स्नेहल बेन भट्ट ने वेबदुनिया से खास बातचीत में बताया है कि आजवा सरोवर से ये मगर विश्वामित्री नदी में आ जाते हैं। चूँकि इस नदी में जलीय जंतुओं की संख्या काफी ज्यादा है इसलिए मगरमच्छों को आराम से शिकार मिल जाता है। नदी एक तरह से इनके लिए अनूकूल आश्रय स्थान है। नदी के तटीय स्थानों पर पंद्रह से ज्यादा ऐसी जगहें पाई गई हैं जहाँ मादा मगर अंडे देती हैं।

नदी में मगरमच्छों की संख्या इतनी ज्यादा है कि कई बार ये मगर घूमते हुए एकाएक रहवासी क्षेत्रों में आ जाते हैं। तब इनसे इंसानों को और इंसानों से मगरमच्छों को कोई नुकसान न हो इसलिए हमारा बचाव दल लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन करता रहता है। इस ऑपरेशन के तहत हम इन मगरमच्छों को बिना नुकसान पहुँचाए पकड़ कर वापस नदी में छोड़ देते हैं। एक तरह से इन मगरमच्छों को भी नगरीय जीवन की आदत सी हो गई है। यहाँ मगर द्वारा इंसानों को नुकसान पहुँचाने की घटनाएँ बेहद कम होती हैं।

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हमारी रिसर्च के अनुसार वे जगहें जहाँ मादा मगर अंडे देती हैं वहाँ ही उनका स्वभाव आक्रामक होता है। अन्य जगह मगरमच्छ बेहद शांत रहते हैं। वन विभाग ने भी अनेक ऐसी जगह चयनित कर चेतावनी बोर्ड लगा दिए हैं जहाँ मादा मगर की अंडे देने की संभावनाएँ होती हैं।

इसी तरह हर ब्रिज के ऊपर भी 'मगरमच्छों से खतरा, कृपया सचेत रहें' के आशय से भरे चेतावनी बोर्ड लगाए हुए हैं। अब हम तो यहाँ यही कह सकते हैं कि अपना घरौंदा बरबाद होते देख मगरमच्छों ने अनुकूलन के सिंद्धात पर चलते हुए इंसानों की दुनिया से भी तारतम्य बैठा लिया है। (सभी फोटो राज भावसार)

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