मध्यप्रदेश के राजनेताओं और अधिकारियों से जुड़े रिश्तेदारों के यहाँ पड़े आयकर के छापों से सभी सन्नाटे में हैं। सन्नाटे में राज्य के गृह सचिव राजेश राजौरा का इस्तीफा बम के धमाके जैसा है। इसकी प्रतिक्रिया तत्काल थमने वाली नहीं है।
राजौरा के इस्तीफे ने राजनीतिक और प्रशासनिक क्षेत्रों में नैतिकता का संकट खड़ा कर दिया है, क्योंकि आयकर के छापों की चपेट में सिर्फ राजेश राजौरा या उनके ही संबंधी नहीं आए हैं, बल्कि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अजय विश्नोई, स्वास्थ्य संचालक अशोक शर्मा के संबंधियों के तार भी जुड़े हैं।
छापों की श्रृंखला में सबसे ज्यादा नाम स्वास्थ्य विभाग से जुड़े तत्वों का ही आया है। स्वास्थ्य विभाग से संबंधित घपलों की सुगबुगाहट लंबे समय से सुनाई पड़ रही थी। जिन तैंतीस व्यापारियों, कार्यालयों और संस्थानों पर छापे डाले गए हैं, उनमें बड़ा वर्ग स्वास्थ्य विभाग के धंधों से जुड़ा हुआ है। खुद राजेश राजौरा मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य सचिव रह चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्री अजय विश्नोई के भाई अभय विश्नोई का नाम इन छापों से खासतौर से चर्चित हुआ है।
राजौरा ने अपने इस्तीफे में कहा है कि इस कार्रवाई से वे आहत हैं, क्योंकि इससे उनकी छवि पर प्रतिकूल असर पड़ा है। उनके कथन के बाद नैतिकता के धरातल पर सभी लोग खड़े हो जाते हैं। भले ही अजय विश्नोई यह कहें कि कांग्रेस के चुनाव जीतने की संभावनाएँ समाप्त हो गई हैं, इसलिए कांग्रेसियों ने भ्रम की स्थिति बनाने के लिए मेरे भाई, पुराने मित्रों के घरों एवं प्रतिष्ठानों पर छापे कराए हैं।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सार्वजनिक जीवन की कसौटियाँ कठोर, कठिन और कटु होती हैं। इन पर खरा साबित होने के लिए जीवटता की जरूरत होती है। फिर नैतिकता के धरातल अलग-अलग नहीं होते। इसके पैमानों में फर्क नहीं किया जा सकता। राजेश राजौरा ने छापों की गिरफ्त में आए सभी लोगों के सामने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।