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छत्तीसगढ़ में स्कूलों में सोया मिल्क बांटने पर रोक

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रवि भोई

रायपुर , सोमवार, 17 फ़रवरी 2014 (16:25 IST)
रायपुर। छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों में बच्चों के मध्याह्न भोजन कार्यक्रम में सोया मिल्क का वितरण तत्काल प्रभाव से रोकने का निर्णय लिया है। स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव दिनेश श्रीवास्तव ने बताया कि विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम के प्रबंध संचालक और महाप्रबंधक को परिपत्र भेजकर सोया मिल्क के ऐसे पैकेटों का वितरण तुरंत रोकने के निर्देश दिए गए हैं।

राज्य सरकार ने इस बात को गंभीरता से लिया है कि राजनांदगांव जिले के स्कूलों में उत्पादन की तारीख और एक्सपायरी डेट का उल्लेख किए बिना सोया मिल्क के पैकेट के वितरित किए गए हैं।

परिपत्र में कहा गया है कि लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा पिछले साल 30 मार्च को राज्य के सभी कलेक्टरों और जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को पत्र भेजकर स्कूली बच्चों के मध्याह्न भोजन कार्यक्रम के मेनू में सप्ताह में एक दिन प्राथमिक कक्षाओं में 100 मिलीलीटर और मिडिल कक्षाओं में 150 मिलीलीटर सोया मिल्क वितरित करने के निर्देश दिए थे।

इस आदेश में अधिकारियों को यह भी अवगत कराया गया था कि छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम द्वारा सोयाबीन का प्रसंस्करण कर फोर्टिफाइड सोया मिल्क तैयार किया जाता है, जो एक महीने तक खराब नहीं होता और उसके लिए रेफ्रिजरेशन की जरूरत नहीं होती।

लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी राजनांदगांव से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रबंध संचालक/ महाप्रबंधक छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम द्वारा राज्य सरकार और संचालक स्कूल शिक्षा को पूर्व सूचना दिए बिना सोया मिल्क का वितरण शुरू कर दिया गया है और वितरित किए जा रहे सोया मिल्क के पैकेटों में उत्पादन तिथि और एक्सपायरी डेट का उल्लेख नहीं है।

परिपत्र में यह भी कहा गया है कि मध्याह्न भोजन की इस योजना में बच्चों को दिए जाने वाले आहार की गुणवत्ता अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। इसलिए आपके द्वारा वितरित सोया मिल्क की गुणवत्ता की जांच जरूरी है।

इन पैकेटों में सोया मिल्क किन तत्वों का सम्मिश्रण है और ऐसे सम्मिश्रण का क्या फायदा अथवा नुकसान है, इस संबंध में निगम द्वारा किसी भी प्रामाणिक सक्षम प्राधिकार का प्रमाण पत्र भी राज्य शासन को अथवा स्कूल शिक्षा विभाग को नहीं दिया गया है।

इसलिए लोकहित में यह आवश्यक है कि सोया मिल्क के वितरण को आगामी आदेश तक रोक दिया जाए और निगम द्वारा यह भी स्पष्ट किया जाए कि पीपी मॉडल पर सोया मिल्क प्रदान करने वाली इकाई का चयन किस आधार पर किया गया है। परिपत्र की प्रतिलिपि प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों और जिला शिक्षा अधिकारियों को भी भेजी गई है।

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