वाराणसी। सरकारी एवं निजी संस्थानों में 'एडवांस सैलरी' पाने के लिए भले ही पापड़ बेलने पड़ें, लेकिन धार्मिक नगरी वाराणसी के नदेसर क्षेत्र में एक दुकान का कैश काउंटर ऐसा है, जहां भिखारियों को बिना कोई औपचारिकता पूरा किए हुए एक माह की एडवांस भिक्षा मिलती है।
नदेसर क्षेत्र में ऑटो इलेक्ट्रिक की दुकान चलाने वाले अखिलेश अरोड़ा ने भिखारियों के लिए बाकायदा स्कीम चला रखी है। दुकान की विन्डो (खिड़की) पर स्पष्ट रूप से अंकित है कि जरूरत के अनुसार भिखारी तापलहर, शीतलहर व बारिश में रोज-रोज फेरे लगाने से बचने के लिए महीनेभर की अग्रिम भिक्षा एडवांस के रूप में ले सकते हैं।
कोई भी याचक नारायण उनकी दुकान से खाली हाथ न जाए इसलिए हर याचक के लिए प्रतिदिन 1 रुपए की राशि तय कर रखी है। इसके वितरण के लिए उन्होंने अपनी दुकान के एक कोने में लगे शीशे में एक छोटा छेद कर रखा है। खिड़की के पास जो भिखारी खड़ा होता है उसे 1 रुपए तत्काल दिए जाते हैं।
बड़े आग्रह से पूछा जाता है कि धूप में कहां-कहां चक्कर लगाओगे? 1 माह का एडवांस लेकर घर जाओ। आराम करो।
इस बाबत जानकारी विंडो के पास बाकायदा चिपका दी गई है। ज्यादातर भिखारी पहली तारीख को ही काउंटर पर लाइन लगा देते हैं। ऐसे भिखारियों की संख्या सैकड़ों में है।
भिखारी इन पैसों का सही उपयोग करते या नहीं, इस सवाल पर अखिलेश का कहना है कि यह उनके दायरे में नहीं आता। जब सब कुछ देने के बाद ऊपर वाला हमसे नहीं पूछता तो मैं इनसे पूछने वाला कौन हूं?
वैसे भी कहावत है कि 'शिवनगरी वाराणसी में कोई भूखा नहीं सोता।' देश की धार्मिक व सांस्कृतिक नगरी वाराणसी में प्रतिदिन हजारों तीर्थयात्री आते हैं।
इनमें ज्यादातर लोग किसी न किसी रूप में गरीबों एवं भिखारियों को दान देने के साथ ही साथ भोजन कराकर पुण्य कमाते हैं। दशाश्वमेध पर प्रतिदिन बनने वाली खिचड़ी से दर्जनों गरीबों एवं भिखारियों का पेट भरता है। (वार्ता)