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'धन्य हुए संत पुत्र को जन्म देकर'

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हमें फॉलो करें स्वामी अवधेशानंदजी
इंदौर , शुक्रवार, 4 जनवरी 2008 (11:09 IST)
सुमेधा पुराणिक/कौशल जै

वे माता-पिता स्वयं को धन्य मानते हैं, जिन्होंने ऐसे पुत्र को जन्म दिया, जिसकी कीर्ति से संपूर्ण विश्व आध्यात्मिकता की रोशनी से दमक रहा है। पिता के चेहरे पर गौरव के भाव साफ देखे जा सकते हैं, पर उनके लिए अपनी भावनाओं को शब्दों में पिरोना बहुत मुश्किल है। माँ की आँखों में अपने पुत्र से दूर होने के अश्रु हैं, वहीं अपनी कोख से संत को जन्म देने का परम सौभाग्य प्राप्त होने की खुशी भी है।

आमतौर पर पुत्र माता-पिता के चरणों में शीश झुकाकर आशीर्वाद लेते हैं, पर ये पुत्र को ईश्वरतुल्य मानकर पूजते हैं। इस धरती को जूनापीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंदगिरिजी जैसे तेजस्वी संत देने वाले महावीरप्रसाद शर्मा (90) एवं श्रीमती रुक्म‍िणीदेवी शर्मा (88) की करीब पच्चीस साल बाद इंदौर में अपने पुत्र से मुलाकात हुई।

वयोवृद्ध शर्मा दंपति ने बताया कि अब अवधेशानंदजी उनके लिए 'बेटा' नहीं संत हैं। जिस तरह अन्य भक्त उनके दर्शन करते हैं, वैसे ही हम भी उनके दर्शन कर स्वयं को धन्य महसूस करते हैं। माँ को तो याद भी नहीं कि बेटे ने कितने वर्ष की उम्र में, कब घर त्यागा, कैसे, कहाँ और किन कठिनाइयों में जीवन व्यतीत किया।

शर्मा बताते हैं कि अवधेशानंदजी का जन्म उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर के साबितगढ़ गाँव में हुआ था। परिवार अब भी वहीं रह रहा है। स्वामीजी की बहन भी इंदौर आई हैं। उन्होंने अपना नाम बताने तथा चर्चा करने से इनकार कर दिया।

इसके बाद भी कुछ सवाल पूछने पर उन्होंने केवल इतना कहा कि हम अवधेशानंदजी को अपने परिवार का सदस्य नहीं मानते, क्योंकि वे पारिवारिक सीमाओं से बहुत ऊपर पहुँच चुके हैं। स्वामीजी ने भी पहले ही कह दिया था कि अब उनका सांसारिक जीवन नहीं रहा, संपूर्ण विश्व उनका परिवार है।

शर्मा दंपत्ति से बात करने पर उन्होंने किसी भी प्रकार की चर्चा करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें (अवधेशानंदजी) तो हम भगवान मानते हैं और पूजते हैं।

शर्मा परिवार के अन्य सदस्य भी इस अवसर पर इंदौर आए हुए हैं। सभी का यही कहना था कि हम तो भगवान के दर्शन करने यहाँ आए हैं। चर्चा के दौरान ही कुछ समय बाद स्वामी अवधेशानंदजी वहाँ आए और माता-पिता को प्रणाम किया।

वे भी माता-पिता के समीप पलंग पर ही बैठ गए। उन्होंने हमें बताया कि मैंने करीब पच्चीस वर्ष बाद माता-पिता के दर्शन किए हैं। शर्मा दंपत्ति ने बताया कि वे भी आम लोगों के बीच बैठकर प्रतिदिन प्रवचन सुन रहे हैं और यज्ञ में शामिल हो रहे हैं। अनौपचारिक चर्चा के दौरान ही उन्होंने स्वामीजी के बारे में कुछ जानकारियाँ दीं।(नईदुनिया)

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