बेटी का बलात्कार, बाप को आजीवन कारावास
रायसेन , शुक्रवार, 11 जुलाई 2014 (13:01 IST)
रायसेन। नाबालिग बेटी का दैहिक शोषण करने के मामले में एक स्थानीय अदालत ने एक व्यक्ति को गुरुवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उसे अंतिम सांस तक जेल में रहना होगा।रायसेन अदालत के विशेष तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश विजय चंद्र ने गुरुवार को अपने फैसले में बाड़ी निवासी मशरुफ शाह (40) को नाबालिग बेटी के साथ डरा-धमकाकर 4 साल तक बलात्कार किए जाने के मामले में दोषी करार दिया और मृत्यु होने तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई।अदालत ने यह फैसला दिल्ली के बहुचर्चित निर्भया कांड के बाद केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए विशेष कानून के तहत सुनाया है। यह सजा दोषी की पत्नी और उसके सभी 8 बच्चों द्वारा दिए गए बयानों के आधार पर सुनाई गई है।न्यायाधीश विजय चंद्र ने अपने निर्णय में लिखा है कि अदालत की जानकारी में यह तथ्य भी लाया गया है कि बालिकाओं के यौन शोषण को रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए विशेष अधिनियम के तहत अभी तक मध्यप्रदेश में पीड़ित प्रतिकार निधि की स्थापना नहीं की गई है जिसे शीघ्र स्थापित किया जाए।लेकिन तब तक कलेक्टर रायसेन को यह निर्देशित किया गया है कि वे राज्य सरकार के प्रतिनिधि की हैसियत से पीड़िता को 30 दिनों के भीतर इस अधिनियम के अंतर्गत निर्धारित की गई प्रतिकार राशि का भुगतान करें।अदालत ने पीड़ित पक्ष पत्नी और बच्चों की सराहना की जिन्होंने दोषी को सजा दिलाने में मजबूत इच्छाशक्ति दिखाई। दोषी शाह को जेल भेज दिया गया है।अभियोजन पक्ष के अनुसार रायसेन जिले के बाड़ी में पिछले साल 24 जुलाई को आरोपी मशरुफ शाह ने अपनी नाबालिग बेटी के साथ उस समय चाकू दिखाकर बलात्कार किया, जब वह घर में अकेली सो रही थी।यही नहीं, इससे पहले भी आरोपी डरा-धमकाकर उससे लगातार 4 साल से बलात्कार कर रहा था, लेकिन जब परेशान होकर पीड़िता ने यह बात अपने मामा और मामी को बताई, तब उन्होंने बाड़ी थाने जाकर इस मामले में रिपोर्ट दर्ज कराई।उसने अपने बचाव में अपनी पत्नी पर गलत चाल-चलन का आरोप लगाया, लेकिन अदालत ने आरोपी को दोषी मानते हुए उसे मृत्यु होने तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।दिल्ली के निर्भया हत्याकांड के बाद इस निर्णय को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। शासन की ओर से इस मामले में पैरवी शासकीय अधिवक्ता चन्द्र कुमार माहेश्वरी ने की।गौरतलब है कि दिल्ली के निर्भया हत्याकांड के बाद केंद्र सरकार ने विशेष अधिनियम बनाया और देश के सभी जिला मुख्यालयों पर ऐसे अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष अदालत बनाकर उनमें विशेष न्यायाधीश की नियुक्ति की है ताकि इन मामलों में जल्द से जल्द निर्णय हो सके। (भाषा)