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व्यापमं घोटाला : कांग्रेस सीबीआई जांच पर अड़ी

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हमें फॉलो करें मध्यप्रदेश व्यापमं घोटाला
भोपाल , बुधवार, 2 जुलाई 2014 (23:47 IST)
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भोपाल। विधानसभा में विपक्ष के नेता सत्यदेव कटारे ने व्यावसायिक परीक्षा मंडल घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग करते हुए बुधवार को कहा कि जब तक मुख्यमंत्री सीबीआई जांच की घोषणा नहीं करते, तब तक कांग्रेस सदस्य सदन की कार्यवाही नहीं चलने देंगे।

व्यापमं मामले में सदन में स्थगन प्रस्ताव पर हुई चर्चा के बाद मुख्यमंत्री के उत्तर के दौरान पूर्व कांग्रेस सरकार पर भर्तियों में अनियमितता के आरोप लगाये जाने पर कांग्रेस सदस्यों ने हंगामा कर नारेबाजी शुरू कर दी थी जिसके चलते अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही पहले 15 मिनट और बाद में कल तक के लिए स्थगित कर दी।

सदन स्थगित होने के बाद कटारे ने कहा कि मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे जिन बातों का उल्लेख अपने उत्तर में कर रहे हैं तथा जो आरोप उनके परिवार को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने लगाए हैं, उसके सहित व्यापमं मामले की जांच सीबीआई से करा लें।

यह पूछे जाने पर मुख्यमंत्री का कहना है कि यदि आरोप सिद्ध पाए जाते हैं तो वे राजनीति से संन्यास ले लेंगे। कटारे ने कहा कि चौहान ने एक बार पहले भी नर्मदा में खड़े होकर जीवनभर अविवाहित रहने की कसम खाई थी, लेकिन बीच में ही उनकी साधना भंग हो गई।

विपक्ष के नेता ने इस बात पर भी सवाल उठाया कि एसटीएफ के मुखिया आज पूरे दिन सदन में उपस्थित होकर सभी बातें मुख्यमंत्री को ब्रीफ कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसमें जांच निष्पक्ष कैसे हो सकेगी?

इससे पहले विपक्ष के नेता कटारे ने बहस में हिस्सा लेते हुए मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग करते हुए कहा कि जो एसटीएफ मुख्यमंत्री के अधीन काम कर रही है, वह भला उनकी जांच कैसे कर पाएगी, क्योंकि मुख्यमंत्री पर ही संगीन आरोप हैं।

उन्होंने कहा कि समूचे घोटाले में जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, उन पर धोखाधड़ी जैसी कुछ सामान्य आपराधिक धाराओं में प्रकरण दर्ज हुए हैं, जबकि उन पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत भी एफआईआर होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि इस मामले में पांच तरह के अपराधी हैं, छात्र-छात्राएं एवं उनके अभिभावक, जिन्होंने परीक्षा उत्तीर्ण होने के लिए रिश्वत दी, दलाल, अधिकारी, संरक्षणदाता नेता एवं जिन लोगों ने ये परीक्षाएं व्यापमं से कराने का सरकार को सुझाव दिया।

कटारे ने मुख्यमंत्री से पूछा कि वे यह साफ करें कि यह घटना उनके संज्ञान में कब आई, क्योंकि 2013 से पहले व्यापमं के सिस्टम एनॉलिस्ट नितिन महेन्द्रा, जो अब इस घोटाले में आरोपी हैं, ने पांच जुलाई 2009 को एक एफआईआर दायर की थी। इस एफआईआर को एसटीएफ ने अपनी जांच में क्यों शामिल नहीं किया है?

उन्होंने कहा कि जिन छात्र-छात्राओं को एसटीएफ को सरकारी गवाह बनाना चाहिए था, उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया है, जबकि उनके परीक्षा परिणाम निरस्त कर उन्हें प्रशासनिक दंड ही दिया जाना चाहिए था। विपक्ष के नेता ने कहा कि चूंकि यह मामला अन्तर्राज्यीय स्वरूप का है, इसलिए इसकी जांच सीबीआई को सौंपना चाहिए। (भाषा)

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