हरदा। मध्यप्रदेश के हरदा में एक साईं भक्त परिवार के पास सौ वर्ष पूर्व शिर्डी के साईं बाबा द्वारा अपने हाथों से दी गई उनकी चरण पदुकाएं आज भी उस परिवार ने इसे उनकी धरोहर के रूप में सम्हाल कर रखा हुआ हैं। हरदा का परूलकर परिवार बिना किसी प्रचार-प्रसार के सौ वर्षों से नियमित साईं की इन चरण पादुकाओं की पूजा अर्चना करता आ रहा है। हरदा में साईं की इन पादुकाओं की सुबह शाम आरती उसी तरह होती है जैसे शिर्डी के साई मंदिर में की जाती है। साई बाबा के भक्त रहे हरदा निवासी कृष्णराव परूलकर उर्फ छुट्ट भैया को खुद साईं बाबा ने उनकी ये चरण पादुकाएं ठीक सौ वर्ष पूर्व 1914 में अपने हाथों से दी थी।हरदा के शिकोर परूलकर बताते हैं कि उनके दादा कृष्णराव साईं की भक्ति में ही डूबे रहते थे और हरदा से शिर्डी जाते रहते थे। उस दौर में आवागमन के साधन का आभाव था और यात्रा कष्ट दायक होती थी। ऐसी दशा में साईं बाबा को अपने इस भक्त की श्रद्धा भक्ती पर प्रसन्नता के साथ-साथ क्रोध भी आया और उन्होंने तभी सन 1914 अपने पैरों की चरण पादुकाएं कृष्णराव को इस भाव के साथ दे दी कि मेरे लिए इतनी तकलीफ क्यों उठाते हो इन पादुकाओं को ले जाओ और इन्हीं में मेरे दर्शन कर लिया करो।
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बाबा की इन चरण पादुकाओं को कृष्णराव हरदा ले आए। इसके बाद सन 1918 में साईं बाबा ने समाधि ले ली और इधर कृष्णराव परूलकर का निधन सन 1930 में हो गया। शिकोर परूलकर बताते हैं कि शिर्डी के सांई संग्रहालय में बाबा से संबंधित जो इतिहास रखा है उसमें हरदा के कृष्ण राव परूलकर उर्फ छुट्टु भैया को बाबा द्वारा दी गई इन पादुकाओं का उल्लेख भी है। इसी के साथ अंग्रेजी में लिखी गई एक किताब एम्ब्रोसियन इन डिग्री में भी इन पादुकाओं का उल्लेख है।
बहरहाल हरदा का ये परूलकर परिवार पिछले पूरे एक दशक से साईं की इन पादुकाओं को अपनी एक अमूल्य धरोहर के रूप में सहेज कर पूजा अर्चना करता आ रहा है। इस परिवार के पास कई संस्थानों ने इन पादुकाओं को उन्हें प्रदान कर दिए जाने के प्रस्ताव आए, लेकिन परिवार ने उन्हें ठुकरा दिया। (वार्ता)