जानकारों का मानना है कि एक चुंबन प्रेम, जोश, एक दूसरे के प्रति सम्मान, खुशआमदीद, दोस्ती और शांति जैसी भावनाएं जाग्रत करता है। ऐसा नहीं है कि ये भावनाएं केवल पुरुष में ही उत्पन्न होती हैं, महिलाएं भी चुंबन के बाद इसी तरह की भावनाओं का इजहार करती हैं।
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कुछ सभ्यताओं में चुंबन को सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है। प्रेम के इस अनन्यतम इजहार के बारे में सभी ने कसीदे पढ़े हैं लेकिन कोई यह नहीं कह पाया है कि चुंबन से एक दूसरे को बीमारियों का आदान प्रदान भी होता है। खैर, प्रेम की इतनी उत्कट भावना को प्रकट करते समय किसी चेतावनी को मानने का समय ही कहां बचता है।
आदिकाल से है चुंबन
आदिकाल से है चुंबन
इंसान चुंबन करना कोई आजकल में ही नहीं सीखा है। आदिकाल से सभी सभ्यताओं में प्रेम की अभिव्यक्ति का सबसे सफल माध्यम चुंबन ही रहा है। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि चुंबन की शुरुआत रोमनों से शुरु हुई जहां पति यह जांचने के लिए अपनी बेगमों को चूमते थे कि कहीं वे उसकी अनुपस्थिति में शराब तो नहीं पी रही थीं।
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यानी बेगमों को इतनी आजादी भी नहीं थी कि वे पति की अनुपस्थिति में शराबनोशी भी कर सकें। इस दिलचस्प इतिहास को पीछे छोड़ते हुए जब हम प्रागैतिहासिक काल में पहुंचते हैं तो यह पाते हैं कि पुरुष या महिला अपने होने वाले पार्टनर के स्वास्थ्य की स्थिति चुंबन से हासिल लार से जानने के लिए चुंबन करते थे।
चुंबन से बढ़ती है इम्युनिटी
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चुंबन से बढ़ती है इम्युनिटी
चिकित्सा विज्ञानियों का मानना है कि चुंबन के दौरान जब दोनों की जीभ एक दूसरे से टकराती है तो मुंह में एक के बाद एक कई प्रक्रियाएं सक्रिय हो जाती हैं। इससे रोग निरोधक शक्ति को बढ़ावा मिलता है। मुंह में एक्स्ट्रा सलाइवा रह जाता है वह दांतों में जमे प्लॉक को तोड़कर हटाने में सहायक होता है।
अधिक समय तक जीते हैं चुंबन करने वाले
अधिक समय तक जीते हैं चुंबन करने वाले
हाल ही में आए एक शोध अध्ययन से मालूम हुआ है कि जो कपल हर दिन सुबह एक दूसरे का चुंबन लेते हैं वे दूसरों की तुलना में पांच साल तक अधिक जीते हैं। प्रेम के आवेग में लिए गए चुंबन से तनाव घट जाता है, कॉर्टीसॉल स्ट्रेस हारमोन कम हो जाते हैं। चेहरे की मांसपेशियां ढीली नहीं पड़तीं और गाल लटकने की समस्या खड़ी ही नहीं होती।
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चुंबन हार्ट की सेहत के लिए भी अच्छा है क्योंकि चुंबन दिल की धड़कनों की गति बढ़ा देता है, इससे पूरे शरीर में खून का संचार तेज हो जाता है। चुंबन के दौरान प्राकृतिक एंटिबायोटिक्स का स्राव शरीर में अपने आप बढ़ जाता है। चुंबन के बाद शरीर में रह गए थूक में इस तरह का एक एंटीसेप्टिक रसायन भी मौजूद रहता है जो पीड़ा और दर्द को कम करने में मददगार साबित होता है। इसीलिए कहा है कि अच्छे और रसीले चुंबन से उत्पन्न एंडोर्फिन हारमोन मॉर्फीन नामक तेज दर्द निवारक से भी ताकतवर होते हैं।
चुंबन कैसा हो? गीला या सूखा
चुंबन कैसा हो? गीला या सूखा
कपल्स की चुंबन को लेकर अलग-अलग राय है। कपल्स भी कई बार एक मत नहीं होते। महिला चाहती है कि वह सूखे चुंबन से संतुष्ट है जबकि पुरुष गीला चुंबन चाहता है। जाहिर है कि इन दोनों के बीच जब भी चुंबन की स्थिति बनेगी वह एक किस्म के तनाव को जन्म देगी। कई कपल गीला चुबंन तो चाहते हैं लेकिन जीभों का आपस में संघर्ष करना उन्हें ठीक नहीं लगता है।
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अतः जिस पर दोनों सहमत हों वही चुंबन इच्छित फायदों तक पहुंचा सकेगा। कुछ महिलाएं खासकर भारतीय परिवेश में चुंबन को गैर जरूरी मानती हैं। उनकी नजर में सेक्स से चुंबन का कोई लेना देना नहीं होता तो फिर क्यों खामख्वाह चुंबन करें। कपल्स अंततः उसी नतीजे पर आकर रुकें जिसमें दोनों पार्टनर सहमत हों,फिर चुंबन सूखा रहे तो रहे उससे क्या फर्क पड़ता है?