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क्या आपकी सेक्स लाइफ नॉर्मल है..?

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डॉ. अनिल भदौरिया

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हर इंसान को स्वयं की शुरुआती सेक्स लाइफ के प्रति संशय रहता है। कुछ लोगों की चिंताएं वाजिब होती हैं तो अधिकांश बेवजह की भ्रांतियाँ पालकर दुखी होते रहते हैं।

यह एक मनोवैज्ञानिक सत्य है कि जिन लोगों की सेक्स लाइफ की शुरुआत नार्मल होती है उन्हें सेक्स को लेकर बहुत मनोग्रंथियां भी नहीं रहतीं। जरूरी है कि बहुत सारी भ्रांतियाँ पहले ही साफ हो जाना चाहिए। यहाँ पढ़िए महिलाओं पर हुए कुछ शोध अध्ययनों बाद सामने कुछ ऐसी सच्चाइयाँ जिन्हें आप अब तक गलत समझते थे।

1. यह भ्रांति है कि महिलाओं को पुरुष के सीने पर बाल अच्छे नहीं लगते। यह कोई सर्वमान्य सत्य नहीं है क्योंकि हर महिला की मानसिक बनवाट दूसरी से अलग होती है। हाल ही में महिलाओं पर हुए एक शोध अध्ययन में सामने आया है कि जिन पुरुषों के सीने पर बाल होते हैं, उनकी सेक्स अपील दूसरों की तुलना में अधिक होती है।

 

सेक्स में लिंग का आकार कितना महत्वपूर्ण है... पढ़ें अगले पेज पर...

 


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2. लिंग का आकार यौन संसर्ग में सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है। यह मान्यता गलत है क्योंकि केवल एक प्रतिशत महिलाओं ने ही इसे अति महत्वपूर्ण कहा है।

20 प्रतिशत महिलाएं इसे महत्वपूर्ण मानती हैं, जबकि अधिकांश महिलाओं का मानना है कि लिंग की लंबाई से चरम सुख प्राप्ति का कोई लेना-देना नहीं है। इसके पतले अथवा मोटे होने से भी कोई फर्क नहीं पड़ता है। एक तिहाई महिलाओं ने लिंग के निहायत सख्त होने की अनिवार्यता पर मोहर लगाई है।

क्या महिलाओं को चरम सुख की अनुभूति होती है... पढ़ें अगले पेज पर...


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3. क्या महिलाएं भी पुरुषों की तरह ही चरम सुख का अनुभव करती हैं? इस प्रश्न का उत्तर महिलाओं की पुरुषों से अलग तरह की मान्यता में छिपा है। पुरुष यौन संसर्ग में स्खलन के बाद चरम सुख प्राप्त होने का दावा करता है, जबकि महिलाओं से चरम यौन सुख के बारे में पूछने पर अलग बात सामने आती है।

महिलाएं कभी ऑर्गेज्म का जिक्र नहीं करेंगी क्योंकि वे इस तरह डिफाइन नहीं करतीं। उनके अनुसार चरम सुख पुरुष साथी द्वारा यौन संसर्ग के दौरान दर्शाया गया प्रेम, प्रेमावेग, उत्तेजना एवं मादकता की सम्मिलित प्राप्ति से जुड़ा हुआ है। यौन संसर्ग के दौरान पुरुष साथी द्वारा हासिल की गई खुशी भी महिला के लिए महत्वपूर्ण है।

कंडोम से यौन सुख में बाधा...पढ़ें अगले पेज पर....


4. कंडोम यौन सुख हासिल करने में बाधक होते हैं। इस मान्यता का भी कोई आधार नहीं है। शोध अध्ययन के मुताबिक 70 प्रतिशत से अधिक युवा जोड़ों का मानना है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। यौन संसर्ग के चरम क्षणों में यह याद ही नहीं रहता कि कंडोम पहना है या नहीं।

कितनी देर होना चाहिए सेक्स... पढ़ें अगले पेज पर...


5. यौन संसर्ग कितनी देर तक चलना चाहिए ताकि दोनों को चरम संतुष्टि मिले, इस प्रश्न का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं स्थापित किया जा सकता है। अमेरिका में 500 जोडों पर हुए एक शोध अध्ययन के मुताबिक अधिकांश जोड़े अधिकतम 5 मिनट या इससे पहले ही चरम सुख हासिल कर लेते हैं।

कैसे मिलता है चरम सुख... पढ़ें अगले पेज पर...


6. महिला केवल यौन संसर्ग से ही ऑर्गेज्म (चरम सुख ) हासिल कर सकती है, इस अवधारणा का भी वैज्ञानिक आधार नहीं है। हर तीन में से एक महिला नियमित तौर पर यौन संसर्ग के जरिए चरम सुख प्राप्त करती है, लेकिन कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं जिन्हें पूर्ण उत्तेजना के स्तर तक पहुंचने के लिए यौन संसर्ग के अतिरिक्त कुछ चाहिए। हाल ही में हुए एक अध्ययन के मुताबिक ऑर्गेज्म यौन सुख की चरम सीमा है फिर चाहे यह किसी भी जरिए से हासिल क्यों न की गई हो। कोई महिला चरम सुख की स्थिति में कैसे पहुंचती है इससे उसके मानसिक स्वास्थ्य अथवा भावनात्मक परिपक्वता का कोई लेना-देना नहीं है।

महिला को यदि न मिले चरम सुख तो... पढ़ें अगले पेज पर...


7. यदि कोई महिला यौन संसर्ग के दौरान या बाद में चरम सुख की स्थिति तक नहीं पहुंच पा रही है तो उसमें अथवा उसके पार्टनर में कोई शारीरिक कमी है। इस अवधारणा का भी कोई आधार नहीं है। जो महिलाएं पहले यौन संसर्ग के दौरान अथवा बाद में चरम सुख की स्थिति में पहुंचती थीं और कुछ समय बाद ऐसा करने में असमर्थ हो रही हैं उन्हें जरूर कोई चिकित्सकीय समस्या हो सकती है। जिन महिलाओं ने चरम यौन सुख का कभी अनुभव ही नहीं किया हो उन्हें जीवन भर यह पता ही नहीं लगता है कि चरम सुख हासिल करने के लिए क्या करने की जरूरत होती है।

क्या जी-स्पॉट से मिलता है चरम सुख... पढ़ें अगले पेज पर...


7. चरम यौन सुख क्लिटरिस या जी-स्पॉट को 5 मिनट तक उत्तेजित करने पर ही हासिल होता है, अगर इतना करने पर भी चरम सुख हासिल न हो तो बाद में सफलता मिलने का कोई अवसर शेष नहीं रहता।

इस भ्रांति का भी कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। सच तो यह है कि चरम यौनानंद हासिल करने के लिए कई मैथुन मुद्राएं हैं। इस सब के बावजूद अपना सुख हासिल करने के लिए महिला स्वयं जिम्मेदार है। पूर्ण रूप से सफल यौन संसर्ग स्थापित होने के बाद भी यदि महिला के मन में कोई ग्रंथि है अथवा वह यौन संसर्ग के समय मानसिक रूप से उपस्थित नहीं है तब भी चरम सुख हासिल नहीं होगा। दोनो पार्टनरों में शारीरिक, मानसिक एवं भौतिक संवाद कायम रहना यौन सुख की सफलता के लिए अति आवश्यक है।

चरम सुख में जीन्स की भूमिका... पढ़ें अगले पेज पर....


8. ऑर्गेज्म हासिल करने में महिला को विरासत से मिले जीन्स की महत्वपूर्ण भूमिका होती है यह भी एक भ्रांति है। एक शोध अध्ययन के मुताबिक आबादी की केवल एक तिहाई महिलाओं में विरासत से मिले जीन्स की कुछ भूमिका होती है। अतः यह भी पूर्ण रूप से सत्य नहीं है।
क्या कुछ महिलाओं में चरम सुख प्राप्ति की क्षमता नहीं होती... पढ़ें अगले पेज पर...

9. इस भ्रांति का भी आधार नहीं है कि कुछ महिलाओं में चरम सुख हासिल करने की क्षमता ही नहीं होती। तथ्य यह है कि केवल 10 प्रतिशत महिलाओ में ही यौन संसर्ग के दौरान चरम सुख प्राप्त करने में अक्षम होती हैं।

इसे अनोर्गास्मिया कहते हैं। यह अवस्था प्रायमरी अथवा सैकेंडरी स्टेज जैसे दो भागों में विभाजित है। प्रायमरी स्टेज की समस्या से ग्रस्त महिला कभी भी किसी भी साधन से चरम हासिल नहीं कर पाती है, जबकि सेकेडंरी स्टेज से पीड़ित महिला वास्तविक यौन संसर्ग की बनिस्बत फोर फ्ले से ही चरम सुख हासिल कर लेती है। उसके लिए चरम सुख हासिल करने की प्रक्रिया में यौन संसर्ग गौण हो जाता है।

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