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स्त्रियों में ऑर्गेज्म पहुंचने की क्षमता अधिक

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स्त्री-पुरुष सेक्स संबंध में चरम आनंद को ऑर्गेज्म कहा जाता है। स्त्रियों में यह‍ स्थिति धीरे-धीरे या देर से आती है इसलिए कई स्त्रियों को इसके आने या होने का एहसास भी नहीं होता।

सेक्सोलॉजिस्ट्‍स यह मानते हैं कि मनुष्य देह मल्टीपल ऑर्गेज्म वाली है जबकि स्त्री को प्रकृति ने पुरुष की तुलना में ज्यादा बार ऑर्गेज्म पर पहुंचने की क्षमता दी है।

कुपोषण, पोषणहीनता, विटामिंस की कमी, सेक्स संबंधों में अनाड़ीपन या अल्पज्ञान के चलते हमारे देश में लोग मोनो ऑर्गेज्म का ही सुख पाते हैं और उसे ही पर्याप्त समझते हैं। अकसर दंपति सुहागरात के दिन चरम आनंद का अनुभव नहीं कर पाते। उन्हें लगता है व्यर्थ ही इ‍तने सपने पाले।

 

अगले पन्ने पर, क्या पहली रात मिलता है चरम सुख...

 


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कई बार प्रथम रात्रि में भी आनंद भी संभव नहीं होता, ऑर्गेज्म तो दूर की बात है। दरअसल, उस रात्रि में कई तरह के डर हावी रहते हैं।

मिलन के लिए दोनों की मानसिकता एक जैसी हो, यह भी आवश्यक नहीं। चरमानंद तालमेल, स्नेह व सद्व्यवहार पर निर्भर करता है।

अगले पन्ने पर, बच्चों के बाद मिलता है चरम सुख...


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अकसर पुरुष आनंद पा ले तो स्त्रियां अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ लेती है। पूछने पर कह देती हैं कि उन्हें आनंद आ गया। असल में 2 या 3 बच्चे हो जाने के बाद भी आनंद आता है।

एक युवती कहती है- संभोग करने में उसे दर्द रहता था। सहेलियों ने सलाह दी कि बच्चा पैदा होने पर यह दर्द गायब हो जाएगा। दर्द गायब हुआ, पर चरमानंद तीसरे बच्चे के बाद ही आया। चरमानंद के बाद मैं ने संभोग की असली स्टेज जानी जिसके बाद कुछ करने का मन नहीं करता।

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