प्रयोगशाला में किए गए एक परीक्षण के तौर मारग्रेट होव लॉवेट को पीटर नाम की डॉल्फिन को अंग्रेजी सिखाने के लिए रखा गया था, लेकिन दोनों के बीच एक टीचर और शिष्य का रिश्ता एक रोमांटिक अनुभव में बदल गया था। डॉल्फिन के साथ सेक्स करने वाली मारग्रेट ने अपने अनुभव को विस्तार से भी बताया था।
उल्लेखनीय है कि साठ के दशक में वे एक एनीमल रिसर्चर थीं जिन्हें अमेरिका के वर्जिन आइलैंड्स पर डॉल्फिन को अंग्रेजी बोलना सिखाने के एक वैज्ञानिक अध्ययन के तहत नासा ने नियुक्त किया था और इस पर होने वाले व्यय भी नासा ने वहन किया था। विदित हो कि डॉल्फिन को समुद्र का एक बुद्धिमान प्राणी माना जाता है।
वर्ष 1943 में उन्होंने एक घर को घरेलू डॉल्फिन आवास में बदला था। इस घर में कमर तक की ऊंचाई तक पानी भर दिया गया था ताकि शोधकर्ता अपने घर में रहकर अध्ययन कर सकें। इसी घर में मारग्रेट की पीटर से भेंट हुई थी। उस समय किशोर डॉल्फिन सेक्स की दृष्टि से भी सक्रिय होने लगी थी।
जब दोनों का रिश्ता गहरा हुआ तो उनका रिश्ता शारीरिक स्तर से भी आगे बढ़ गया। इस बारे में मारग्रेट का कहना है कि पीटर को उसके साथ समय बिताना बहुत अच्छा लगता था। वह अपने शरीर को उनके घुटनों, पैरों या हाथों से रगड़ा करता था और वे उसे ऐसा करने देती थीं क्योंकि यह उनके काम का हिस्सा था।
'उनका कहना था कि जब तक यह सब बहुत 'असभ्य' और 'असहज' नहीं हुआ था। यह सब करना बहुत सरल था और मैंने इसे होने दिया क्योंकि यह बहुत ही सभ्य और सुखद था। पीटर भी सामने रहता था और वह जानता था कि मैं भी वहीं हूं। मारग्रेट का दावा है कि यह उनके अध्ययन का एक नियमित हिस्सा बन गया था। वे कहती हैं कि यह पीटर की ओर से सेक्सुअल हो सकता है लेकिन मेरी ओर से नहीं। ज्यादा से ज्यादा यह कामुक कहा जा सकता है।
' यह मात्र एक हद तक खुजली करने जैसा था। हम एक-दूसरे को खुजलाते और यह काम समाप्त हो जाता तो हम अपने काम में लग जाते थे। मुझे वहां पर पीटर को समझना था और यह सब उसके व्यवहार का हिस्सा था।' जो प्रयोग साठ के आदर्शवाद के साथ शुरू हुआ था, वह एक दशक के अंधेरे में जाकर खत्म हो गया।
यह प्रयोग एक दुखांत प्रसंग में बदल गया क्योंकि वर्षों तक इस बात की अफवाहें फैलती रहीं कि डॉल्फिनों पर एलएसडी के साथ प्रयोग किए जा रहे हैं और इस बात को लेकर भी निंदा की गई कि मारग्रेट का पीटर के साथ कोई गलत रिश्ता है। उनका कहना है कि ' उस दौरान लोगों के उनके पास ऐसे बहुत से पत्र भी आते थे जिनमें पूछा जाता है कि क्या वे उनका साक्षात्कार ले सकते हैं? लेकिन मैंने किसी को भी ऐसा करने की अनुमति नहीं दी।'
उनके इस अनुभव पर बीबीसी ने एक डॉक्यूमेंट्री भी बनाकर दिखाई जिसे ' द गर्ल हू टाक्ड टू डॉल्फिन्स' के नाम से शेफील्ड में होने वाले डॉक्युमेंट्री में दिखाई गई। बाद में बीबीसी के चैनल फोर ने भी इसे दिखाया था। आश्चर्य की बात है कि यह पहला बार नहीं हुआ था जबकि एक मनुष्य ने डॉल्फिन के साथ सेक्स संबंध बनाए थे। इसी तरह का अनुभव 63 वर्षीय मॉल्कन ब्रेनर का था जिनका वर्ष 1971 में फ्लोरिडा के एक मनोरंजन पार्क
में 'डॉली' नाम की डॉल्फिन से छ: माह तक सेक्स संबंध बनाए थे। उन्होंने बताया कि जब वे पूल में उसके साथ होते तो वह किस तरह उनके ऊपर आ जाती थी। उन्हें इस बात का इंतजार करना पड़ता था कि पार्क दिन भर के बाद बंद हो जाए और उसके नर साथियों को अलग करके दूसरी ओर ले जाया जाता था।