जीवन की भागदौड़ और अनियमित जीवनशैली ने सबसे ज्यादा लोगों की सेक्स लाइफ पर प्रभाव डाला है। पिछले दिनों नौकरीपेशा शादीशुदा जोड़ों पर किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई कि लोग खाने के बाद सबसे ज्यादा अपनी सेक्स लाइफ को उपेक्षित करते हैं। नौकरियों में जिस तरह से काम का प्रेशर, डेडलाइन, प्रोजेक्ट, ओवरटाइम और एक-दूजे को पछाड़ने की होड़ मची है उसके चलते कर्मचारियों की लाइफ स्टाइल में सबसे ज्यादा असर उनकी डाइट और सेक्स लाइफ पर पड़ा है।
लगातार सिर झुकाए काम करते हुए वे अपना भोजन लेना तो छोड़ ही रहे हैं साथ ही दिन ढलने तक उनकी एनर्जी का स्तर इतना कम रह जाता है कि अपने साथी के साथ सेक्स भी नहीं कर पाते हैं। यह हाल महिला एवं पुरुष दोनों का है।
आजकल कामकाजी महिलाएं भी नाइट शिफ्ट करती हैं और पुरुष भी कई तरह के काम और तनाव में उलझे रहते हैं फलस्वरूप सिवाय पैसे, पद और प्रतिष्ठा को बचाए रखने की उनकी चिंता ने उनके स्वाभाविक दांपत्य जीवन को झुलसाकर रख दिया है। महानगरों में यह स्थिति और भी बदतर है। लोगों को दूर-दूर तक काम के लिए जाना पड़ता है परिणामस्वरूप उनकी आधी एनर्जी आने-जाने में और आधी काम के दबाव में खर्च हो जाती है। बची-खुची एनर्जी में वह अपनी सामाजिकता निभाते हैं या परिवार-बच्चों की आवश्यकता पूरी करते हैं। यहां सेहत भी एक अनिवार्य फैक्टर है जिससे उन्हें लगभग 2 से 3 माह में एक बार तो जूझना ही पड़ता है।
भारत के छोटे-बड़े शहरों के लगभग 2890 नौकरीपेशा दंपत्तियों से इस बाबत चर्चा की गई और उनमें यह चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं कि अधिकांश अपने साथी को सेक्स संबंधी साथ नहीं दे पा रहे हैं इस वजह से चोरी-छुपे पोर्न देखकर काम चलाते हैं। इनमें से 82 प्रतिशत ने माना कि वे अपने मोबाइल में इस तरह की सामग्री एक ना एक बार देख चुके हैं। 70 प्रतिशत ने माना कि वे हफ्ते तो छोड़ दीजिए, महीने में एक बार ही सेक्स कर पाते हैं। 72 प्रतिशत ने माना कि इसके लिए उनकी लाइफ स्टाइल जिम्मेदार है।
43 प्रतिशत पुरुषों ने यह स्वीकार किया कि काम के दबाव के चलते उनकी सेक्स डिजायर कम हो रही है जबकि 60 प्रतिशत कामकाजी महिलाएं स्वीकारती हैं कि सेक्स उन्हें जरूरी नहीं लगता बल्कि मौका आने पर मशीनी ढंग से ही संपन्न होता है। इसके लिए वे नेट पर सेक्स की सामग्री की अधिकता को जिम्मेदार मानती है। एक प्रतिभागी के अनुसार, नेट पर सेक्स इतना फैल रहा है कि हमारे बच्चों में जानने की जिज्ञासा नहीं रही और हममें वह रूचि नहीं रही जो होनी चाहिए।
इस मामले में छोटे बिजनेसमैन भाग्यशाली हैं वे अपनी मर्जी से सेक्स के लिए समय निकाल पा रहे हैं। जबकि मंझले उद्योगपति बिजनेस के सिलसिले में बार-बार शहर से बाहर जाने की वजह से और बिजनेस को आगे बढ़ाने के टेंशन में सेक्स लाइफ पर उतना ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। बड़े और स्थापित बिजनेसमैन के लिए सेक्स पैसे के बाद आता है और उनके लिए यह किसी टाइम पास की तरह है। मुंबई के एक जानेमाने हेल्थ सर्विस ऑर्गनाइजेशन द्वारा करवाए गए इस सर्वे के अभी और नतीजे आना बाकी है।