गणपति बप्पा मोरया, पुढ़च्या वर्षी लवकर या... मंगलमूर्ति मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ... अनंत चतुर्दशी पर सुबह से देर रात तक हर किसी की जुबाँ पर केवल गणपति बप्पा का ही आह्वान था और पूरा शहर आस्था के समंदर में डूब गया।
इस अवसर पर घर-घर विराजित गणपति बप्पा को भावभीनी बिदाई दी गई। गणेश स्थापना स्थलों से युवाओं की टोलियों ने धूमधाम से प्रतिमाओं का विसर्जन किया।
प्रतिमा विसर्जन के साथ ही दस दिनी उत्सव का भी समापन हुआ। सुबह से ही घरों में विशेष पूजा-अर्चना का दौर प्रारंभ हो गया और गणेशजी को विधि-विधान से विसर्जित किया गया। दिनभर मुख्य मार्गों से लेकर गली-मोहल्लों में प्रतिमाओं को ले जाने का सिलसिला चलता रहा और खूब जयकारे लगते रहे। कोई अपने दो-चार पहिया वाहन पर प्रतिमा ले गया, तो किसी ने ठेला गाड़ी पर बिदाई दी।
श्रद्धालुओं ने गणेश चतुर्थी पर जितने उत्साह के साथ प्रतिमा की स्थापना की थी, उनकी बिदाई के क्षण उतने ही भावविह्वल कर देने वाले थे। विसर्जन के पूर्व गणेशजी की विशेष आरती कर सुख-समृद्धि बरसाने की कामना की गई। बच्चे, महिलाएँ, युवा, बुजुर्ग सभी भक्ति में डूबे हुए थे। जिन मोहल्लों में खूब धूमधाम थी, वे अनंत चतुर्दशी पर एकाएक सूने हो गए।