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जगन्नाथ रथयात्रा शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न

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PTI

गुजरात के अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथयात्रा कड़ी सुरक्षा के बीच शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गई। रथयात्रा कड़ी सुरक्षा के बीच शहर के संवेदनशील इलाकों कालूपुर, दरियापुर और शाहपुर क्षेत्रों से गुजरी जहां पूर्व में साम्प्रदायिक हिंसा हुई है लेकिन गत एक दशक के दौरान यह रथयात्रा साम्प्रदायिक सौहार्द का प्रतीक बन गई है। इस रथयात्रा में सभी समुदायों के लोग हिस्सा लेते हैं।

इन क्षेत्रों के अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं ने रथयात्रा का फूलों से स्वागत किया और हवा में कबूतर उड़ाए गए। इस दौरान पुलिसकर्मियों की भारी मौजूदगी थी। लोग रथयात्रा को देखने के लिए सड़कों पर उमड़ पड़े जिसमें 19 सजे हुए हाथी, भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती 98 ट्रकों पर सजी झांकियां तथा भगवान जगन्नाथ, भगवान बलराम और बहन सुभद्रा के तीन रथ शामिल थे।

परंपरा के अनुसार गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने रथयात्रा की ‘पहिंद विधि’ संपन्न की जिसके बाद भगवान जगन्नाथ, भगवान बलदेव और उनकी बहन देवी सुभद्रा की सालाना रथयात्रा शुरू यहां स्थित जगन्नाथ मंदिर से निकली। पहिंद विधि में भगवान जगन्नाथ के रथ के लिए रास्ते की प्रतीकात्मक तौर पर सफाई की जाती है। दशकों पुरानी परंपरा के अनुसार, मुख्यमंत्री ने मंदिर परिसर से भगवान जगन्नाथ का रथ खुद खींच कर बाहर निकाला।

मोदी ने संवाददाताओं से कहा, ‘पुरी के बाद अहमदाबाद की रथयात्रा देश में और दुनिया भर में आकर्षण का केंद्र है। हजारों संत इस रथयात्रा में भाग लेने के लिए गुजरात आए हैं।’ मोदी ने कहा, ‘मैं भगवान जगन्नाथ से प्रार्थना करता हूं कि शांति, एकता और सद्भावना के साथ विकास की नई ऊंचाइयां हासिल कर रहा गुजरात उनके आशीर्वाद से और अधिक समृद्ध बने तथा प्रगति करें।’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘रथयात्रा के अवसर पर, मैं भगवान के चरणों में प्रार्थना करता हूं कि इस साल मानसून के दौरान अच्छी बारिश हो।’ यह रथयात्रा सरसपुर में थोड़ी देर के रुकी जिसे भगवान जगन्नाथ का ननिहाल माना जाता है। वहां पर डेढ़ लाख से अधिक लोगों के लिए भोज का आयोजन किया गया। सरसपुर में दो घंटे विश्राम के बाद यात्रा 400 वर्ष पुराने भगवान जगन्नाथ मंदिर वापस लौट आई। रथयात्रा की सुरक्षा के लिए 20 हजार सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई थी। (वार्ता)

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