हिन्दुओं के चार धामों में से एक जगन्नाथ पुरी और दूसरा द्वारिका धाम है। दोनों ही धाम में भगवान श्रीकृष्ण की आराधना होती है। रामेश्वरम में शिवजी और बद्रीनाथ में विष्णुजी की पूजा होती है। ऐसा माना जाता है कि चारों धाम हर तरह की आपदा से सुरक्षित हैं। चाहे कितना भी समुद्री तूफान आए परंतु जगन्नाथ के मंदिर को कुछ नहीं होता और ना ही द्वारिकाधीश मंदिर को कभी कोई क्षति पहुंची है। कहते हैं कि इसके पीछे कारण मंदिर का वास्तु है। दोनों ही मंदिर बहुत ही प्राचीन है। आपको ध्यान होगा कि कुछ वर्ष पूर्व भयंकर बाढ़ आई थी जिसमें हजारों लोग मारे गए थे परंतु केदारनाथ के मंदिर को कुछ भी नहीं हुआ था।
1. पिछले साल 21-22 मार्च 2020 में भगवान जगन्नाथ मंदिर के ध्वज में आग लग गई थी। बताया जाता है कि मुख्य ध्वज 'पतित पावन बाना' में नहीं नीचे की पताका 'मानसिक बाना' में आग लगी थी। ये आग उस वक्त लगी जब वहां पर एक भव्य दीपक रखा जा रहा था। उस वक्त कहा जा रहा था कि यह देश और दुनिया के लिए अशुभ संकेत हैं। तब यह भी कहा जा रहा था कि तूफान और महामारी के बढ़ने के संकते भी हो सकते हैं।
2. इस अशुभ संकेत के चलते अविष्ट होने की आशंका व्यक्त की गई थी। अब यह संयोग है या कुछ और कि उसके बाद ही तूफानों का दौर चला और फिर भूकंप आए और अंत में महामारी की दूसरी लहर ने कई लोगों की जा ले ली।
3. अब इस साल 13 जुलाई 2021 में गुजरात के द्वारकाधीश मंदिर के शिखर ध्वज पर दो बार आकाशीय बिजली गिरी। इस आसमानी बिजली से मंदिर का शिखर फट गया। बिजली गिरने से श्रद्धालुओं में भी हड़कंप मच गया। हालांकि गनीमत रही कि किसी भी तरह का नुकसान नहीं हुआ। इसके घटना के बाद लोगों का कहना था कि भगवान द्वारिकाधीश ने अपने भक्तों को बचा लिया। बिजली इतनी खतरनाक थी कि यदि यह मंदिर परिसर में या आसपास की बस्ती में गिरती को कई लोगों की जा चली जाती। आकाशीय बिजली गिरने के बाद प्रशासन की ओर से मंदिर परिसर की जांच भी की गई है, लेकिन किसी भी तरह के नुकसान की बात सामने नहीं आई है।
4. हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में में बिजली महादेव का मंदिर है जहां के शिवलिंग पर हर 12 साल में एक बार बिजली गिरती है। बिजली गिरने के बाद शिवलिंग चकनाचूर हो जाता है। मंदिर के पुजारी शिवलिंग के अंशों मक्खन में लपेट कर रख देते हैं। शिव के चमत्कार से वह फिर से ठोस बन जाता है। जैसे कुछ हुआ ही न हो।
5. हालांकि कहते हैं कि हर घटना में कुछ ना कुछ संकेत तो छुपा ही होता है या इसे हम अंधविश्वास मानकर नकार भी सकते हैं।