- अनुपमा जैन
सागर। संध्या वेला में सिद्धायतन मंदिर परिसर में तेजी से घिरता अंधियारा और वातावरण में बिखरा नीरव सन्नाटा, जो सन्नाटा न होकर एक आध्यात्मिक शांति ज्यादा है। और इस अंधकारभरी नीरवता में जैसे ही कुछ सीढ़िया चढ़कर जब एक बंद दरवाजे का ताला खोला जाता है तो वहा सतरंगे कृत्रिम प्रकाश से नहाती एक अद्भुत चमक वाली भगवान महावीर की प्रतिमा नजर आती है और पलभर में लगता है कि एक प्रकाश पुंज अवतरित हो गया जो शांति, प्रेम और जीव दया का संदेश दे रहा है।
यह स्थान है मध्य प्रदेश के इस सुप्रसिद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक नगरी सागर का जहां एक आध्यात्मिक विश्व कीर्तिमान रचा जा रहा है और यह कीर्तिमान है भगवान महावीर की एक ऐसी विशाल स्फटिक मणि से निर्मित प्रतिमा स्थापित जिसके बारे में यहां के आयोजकों का कहना है कि पहली बार स्फटिक मणि की इतनी विशाल प्रतिमा बनी है और जैन मान्यतानुसार सिद्ध भगवान की यह प्रतिमा स्फटिक मणि से निर्मित की गई है।
मंदिर के प्रबंधन के अनुसार, यह विश्व का अद्वितीय एवं महत्वपूर्ण बिम्ब है जो कि 130 किग्रा वजन का है। इसे लगभग एक टन की चट्टान से तराशकर छह महीनों में बनाया गया है, इसके व्यवस्थापकों के अनुसार, यह विश्व की्र्तिमान माना जा रहा है, इसलिए इसे 'गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड' एवं 'लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड' में सम्मिलित करने के लिए आवेदन किया गया है, जो शीघ्र मान्य होने वाला है। उनके अनुसार, आगामी महावीर जयंती को इस प्रतिमा की विधिवत जैन विधान से प्रतिष्ठा की जाएगी।
उनके अनुसार, इस बिम्ब की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर होने वाले आयोजन को सामाजिक परंपराओं से हटकर मनाने की तैयारी की जा रही है, जहां समाज में धन वैभव का बोलबाला होता है वहीं इस आयोजन को बिना बोली व पैसे के लकी ड्रॉ द्वारा पात्रों का चयन कर संपन्न किया जाएगा, आयोजन समिति के सदस्यों ने बताया कि इस प्रकार के आयोजन में समाज के सभी वर्गों को धार्मिक अनुष्ठान में शामिल होने का अवसर मिलेगा।
इसकी प्रतिष्ठा के अवसर पर ज्योतिषी गणना का विशेष ध्यान रखा गया गया है, भगवान महावीर के जन्म कल्याण के दिन ही विधि नायक भगवान महावीर का जन्म महोत्सव आयोजित होगा। (वीएनआई)