Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(सप्तमी तिथि)
  • तिथि- पौष कृष्ण सप्तमी
  • शुभ समय-9:11 से 12:21, 1:56 से 3:32
  • व्रत/मुहूर्त-श्री रामानुजन ज., राष्ट्रीय गणित दि.
  • राहुकाल- सायं 4:30 से 6:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

वेद की मानें या पुराण की?

हमें फॉलो करें वेद की मानें या पुराण की?
उत्तर : हिन्दू धर्म के एकमात्र धर्मग्रंथ है वेद। वेदों के 4 भाग हैं- ऋग, यजु, साम और अथर्व। इन वेदों के अंतिम भाग या तत्वज्ञान को उपनिषद और वेदांत कहते हैं। इसमें ईश्वर संबंधी बातों का उल्लेख मिलता है। उपनिषद या वेदांत को ही भगवान कृष्ण ने संक्षिप्त रूप में अर्जुन को कहा जिसे गीता कहते हैं। आम जनता द्वारा वेदों को पढ़ना और समझना संभव नहीं हो पाता इसलिए प्रत्येक हिन्दू को गीता पर आधारित ज्ञान या नियम को ही मानना चाहिए। गीता वेदों का संपूर्ण निचोड़ है।
वेद उस एक परमेश्वर का वाक्य है जिसे ब्रह्म कहते हैं। ब्रह्म ने ऋषियों को वेद का ज्ञान सुनाया था इसलिए वेदों को श्रुति भी कहा गया है। ऋषियों ने जब इस ज्ञान को सुनकर दूसरे ऋषियों और राजाओं को सुनाया और उन ऋषियों एवं राजाओं ने अपनी-अपनी समझ के अनुसार उसे लिपिबद्ध किया या लोगों को समझाया तो वह स्मृति ज्ञान हो गया। वेदों को छोड़कर सभी ज्ञान स्मृति के अंतर्गत आते हैं। वेद में किसी भी प्रकार की काट-छांट या जोड़-घटाव नहीं किया गया और हो सभी नहीं सकता, क्योंकि वेद कुछ विशेष छंदों बद्ध है जिसमें हेरफेर करना मुश्‍किल है।
 
वाल्मीकि रामायण, पुराण और स्मृति ग्रंथ को धर्मग्रंथ नहीं माना जाता है। ये सभी इतिहास और व्यवस्था के ग्रंथ हैं। महर्षि कृष्ण द्वैपायन वेदव्यासजी ने कहा है कि जहां पुराणों की बातों में विरोधाभास या संशय नजर आता है या जो वेदसम्मत नहीं है, तो ऐसे में वेदों की बातों को ही मानना चाहिए। पुराणों को महर्षि कृष्ण द्वैपायन वेदव्यासजी ने लिखा है।

- अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

बजरंगबली की पूजा से शांत होगा शनि का प्रकोप...