Festival Posters

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

एक गाँव : जहाँ होती है रावण की पूजा

रावण बना आस्था का प्रतीक

Advertiesment
हमें फॉलो करें मोहदी
ND

पूरे देश में दशहरा पर जहाँ असत्य पर सत्य की विजय के प्रतीक में रावण वध और उसके पुतले का दहन किया जाता है। वहीं राजधानी से लगे धरसींवा क्षेत्र के ग्राम मोहदी में रावण ग्रामीणों के लिए आस्था का प्रतीक बना हुआ है। जहाँ रावण की मूर्ति की विशेष पूजा-अर्चना कर गाँव में अमन-चैन की मन्नतें माँगी जाती है। इस बार की दशहरा में यहाँ 82वीं बार रावण की सामूहिक पूजा की गई।

रावण की पूजा से गाँव में शांति : मोहदी के 70 वर्षीय बुजुर्ग दुखुराम साहू ने कहा कि प्रतिवर्ष दशहरा पर्व पर रावण की सामूहिक पूजा की जाती है। उसने जब से होश संभाला है तब से अपने पूर्वजों को भी रावण महाराज की प्रतिमा का पूजन करते और मनौती माँगते ही देखा है। गाँव के अन्य बुजुर्ग सुनहरलाल वर्मा (68) बताते हैं कि रावण प्रतिमा की पूजन से अब तक गाँव में शांति है। संकट के समय गाँव लोग नारियल चढ़ाते हैं और मत्था टेककर मनौती माँगते हैं। रावण महाराज हर मनोकामना पूरी करते हैं। मोहदी में अकोली मार्ग तिराहे पर उत्तर दिशा मुखी रावण प्रतिमा को प्रति वर्ष पेंटिंग की जाती है।

हर मनोकामना पूरी करते हैं रावण : पूर्व सरपंच गिरधर साहू ने बताया कि 82 वर्ष पूर्व मोहदी में गोविंदराव मालगुजार नामक समाजसेवी ने रावण प्रतिमा की स्थापना की थी। उन्होंने भी अपने पूर्वजों को रावण प्रतिमा को पूजन करते और मनौती माँगते देखा था। वही परंपरा आज भी चल रही है। जिसका प्रमाण हर साल पूजन करने वालों की बढ़ती संख्या से लगाया जा सकता है।

एक और बुजुर्ग ग्रामीणों की माने तो रावण महाराज उनके हर संकट का निवारण करते हैं। गाँव की महिलाएँ गर्भवती होने पर अपने परिजनों के साथ यहाँ आकर रावण प्रतिमा की पूजा कर सब कुछ ठीक-ठाक होने की कामना करते हैं। यहाँ तक कि राजनीतिक लोग भी चुनाव के समय यहाँ आकर माथा टेकते हैं। नेताओं की मनोकामना पूर्ण होने का प्रमाण वह स्वयं है। इसलिए रावण महाराज की प्रतिमा अटूट श्रद्धा का केन्द्र का बना है।

रावण जैसे विद्वान व पंडित कोई नहीं : गाँव के होटल व्यवसायी पूरन का मानना है कि रावण जैसे विद्वान और प्रख्यात पंडित आज तक कोई नहीं हुआ। यदि वर्तमान समय से रावण की तुलना की जाए तो रावण वास्तव में पूजने लायक ही है। उसने माँ सीता का हरण करने का पाप जरूर किया लेकिन उनकी इच्छा के विपरीत उन्हें हाथ तक नहीं लगाया। उन्होंने कहा कि आज के समय में बहन-बेटियों की जिंदगी सुरक्षित नहीं है। यदि रावण सीता हरण की गलती नहीं करता तो वास्तव में आज पूरी दुनिया रावण को भी आस्था की मूर्ति के रूप में मानती।

देवी मंदिर मे मेला : मोहदी में रामलीला मंडली के कलाकारों अपनी प्राचीन परंपरा को आज भी जीवित रखे हैं। प्रति वर्षानुसार इस बार भी रामलीला का मंचन किया जाता है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi