Festival Posters

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

चार धाम यात्रा का लें अद्‍भुत आंनद

चार धाम यात्रा : एक नजर

Advertiesment
हमें फॉलो करें चार धाम यात्रा
- अखिलेश
ND

हिन्दुओं के परम आस्था के केंद्र उत्तर भारत के चार धामों की यात्रा प्रारंभ हो गई है। यमुनोत्री, गंगोत्री केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा करने के लिए कई लोग जाते हैं। उत्तराखंड के मनोहारी और मोक्षदायक माने जाने वाले श्रद्धा के ये केन्द्र व यात्रा के दौरान कई मनोहारी दृश्य, वाटरफॉल, ऊंचे-ऊंचे पहाड़, गहरी नदियां आदि इस यात्रा को आकर्षक बनाते हैं।

हरिद्वार से शुरू करें यात्रा :
शांति से दर्शन करने के लिए सबसे पहली कड़ी हरिद्वार से ही शुरू होती है। हरिद्वार में यात्रा से जाने के लिए एक दिन पूर्व अपने ग्रुप के सदस्यों के हिसाब से वाहन कर लें। साथ ही संभव हो तो हरिद्वार से 20 दिन बाद का ही लौटने का आरक्षण करवा लें। ताकि आपको सारा उत्तराखंड देखने के लिए पर्याप्त समय मिल सके।

हरिद्वार से वाहन यदि दिन के हिसाब से किया जाए तो सबसे बेहतर रहेगा। इसके अलावा आपने यदि आमतौर पर 9 दिन में पूरी होने वाली यात्रा के हिसाब से वाहन किया है तो भी कोई बात नहीं, लेकिन कुछ बातें पहले ही तय कर ली जाएं तो बेहतर रहेगा।

यमुनोत्री में हिमपात का आनंद :
webdunia
ND
हरिद्वार से जानकी चट्टी की दूरी 259 किमी है। हरिद्वार से सुबह 10 बजे भी आप निकलें तो सूर्यास्त के पूर्व वहां पहुंचना संभव नहीं है। इसलिए यमुनोत्री के जितना करीब पहुंच पहुंच जाओ यानी सयाना चट्टी या खरादी में रात रुक सकते हैं।

इसके पश्चात अगले दिन स्नान आदि के पश्चात आप जानकी चट्टी तक पहुंच जाएं। वहां से आप पैदल जाते हैं तो सुबह जल्दी निकलें ताकि शाम तक वापस आ सकें। जानकी चट्टी से यमुनोत्री 6 किमी दूर है तथा खड़ी चढ़ाई है। बुजुर्ग, कमजोर बच्चों के लिए घोड़े करना ठीक रहेगा।

यमुनोत्री की ऊंचाई समुद्रतल से 10500 फुट (3323 मीटर) है। यमुनोत्री में जल्दी-जल्दी मौसम बदलता रहा है। दर्शन के साथ ही हिमपात का आनंद भी लिया जा सकता है। भयंकर ठंड के बीच वहां स्थित गर्म कुंड में स्नान करें और दर्शन-पूजा करें। शाम को आकर जानकी चट्टी, हनुमान चट्टी या दिन के उजाले में जहां तक भी पहुंच सकें, वहां विश्राम करें। तीसरे दिन सुबह से यात्रा शुरू करें।

गर्म कुंड में करें स्नान :
यमुनोत्री से गंगोत्री 228 किमी है। अतः आपको 128 किमी दूर उत्तरकाशी में ठहरना अनिवार्य है। वहां से आप अगले दिन सुबह गंगोत्री पहुंच सकते हैं। उत्तरकाशी में भी भगवान विश्वनाथ मंदिर दर्शनीय हैं। पवित्र भागीरथी के किनारे स्थित यह बहुत सुंदर नगरी है। गंगोत्री की ऊंचाई 10300 फुट (6672 मीटर) है। गंगोत्री के पूर्व गंगनानी में गर्म पानी का पाराशर कुंड है। यहां स्नान करने के बाद ही गंगोत्री जाकर दर्शन-वंदन के बाद पुनः उत्तरकाशी में रात्रि विश्राम करें। वहां से केदारनाथ के लिए यात्रा शुरू करें।

अद्भुत आनंद की अनुभूति :
webdunia
ND
गंगोत्री से केदारनाथ 463 किमी है। ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों और हजारों फुट गहरी खाइयों तथा पहाड़ों पर जमी बर्फ का आनंद लेते हुए सफर करें। उत्तरकाशी से चलकर आपको रास्ते में कहीं रात्रि विश्राम करना पड़ सकता है। इसके लिए श्रीनगर सर्वाधिक उपयुक्त है। वहां से अगले दिन गौरीकुंड पहुंच जाएँ, वहां भी गर्म पानी का कुंड है। यहां स्नान के बाद केदारनाथ की 14 किमी चढ़ाई करें। यहां से केदारनाथ के लिए घोड़ा-पालकी भी मिलते हैं।

केदारनाथ की भूमि में प्रविष्ट होते ही आनंद और आश्चर्य होता है कि 3528 मीटर की ऊंचाई पर इस मंजुल तीर्थ पर पहुंचते ही शीत, क्षुधा, पिपासा आदि कितने ही विघ्नों के होते हुए किसी की धार्मिक व्यक्ति का मन भाव समाधि में लीन हो जाता है। धवल-धवल पर्वत पंक्तियों के बीच खड़ा मनुष्य ईश्वर की अखंड विभूति देखकर ठगा-सा रह जाता है। प्रकृति के अनुपम सौंदर्य को निहारकर इस रमणीय भूमि में सत्व भाव स्वमेव उभरता है।

स्विट्जरलैंड से भी अच्छा :
केदारनाथ में दर्शन-पूजा कर आप रात्रि विश्राम गौरीकुंड में कर सकते हैं। चाहें तो केदारनाथ में रुक सकते हैं। गौरीकुंड से बद्रीनाथ 229 किमी है। यहां से बद्रीनाथ जाने के लिए दो मार्ग हैं। एक केदारनाथ से रुद्रप्रयाग होकर 243 किमी तो दूसरा उखीमठ होकर 230 किमी है। नवंबर में केदारनाथ के पट बंद होने के बाद उखीमठ में पूजा होती है।

इसलिए उखीमठ, तुंगनाथ चौपता होते हुए जाना ज्यादा बेहतर रहेगा। इस रास्ते में आपको चोपता में स्विट्जरलैंड से भी अच्छा लगेगा। जो पूरी यात्रा के दौरान पड़ने वाले स्थलों में सर्वाधिक ऊंचाई स्थित है। यहां तुंगनाथ के दर्शन कर सकते हैं। फिर जल्द निकलेंगे तो चमोली तक पहुंच सकते हैं।

हेमकुंड साहिब भी जाएं :
webdunia
ND
पवित्र अलकनंदा के दाहिने किनारे श्री बद्रीनाथपुरी बसी है। सामने ही पुल पार करके श्री बद्रीविशाल मंदिर है। मंदिर परिसर में पहुंचते ही सारी मलिनता दूर हो जाती है। मन अनंत आनंदित हो भक्ति में लीन हो जाता है। आप 8वें या 9वें दिन बद्रीनाथ पहुंचते हैं। आप बद्रीनाथ में मन चाहे जितने दिन रुकें। वहां तप्त कुंड, पंचशिला, ब्रह्मकपाल, वासुधार, माता मूर्ति, शेषनेत्र, चरणपादुका, सतोपंथ, अलकापुरी और भारत का अंतिम गांव मानागांव देखें।

यहां गणेश गुफा, व्यास गुफा और सरस्वती नदी का उद्गम स्थल है, जो वहीं लुप्त भी हो जाती है। बद्रीनाथ से लौटते समय जोशीमठ में रुकें। वहां जाड़े के दिनों में बद्रीनाथ की पूजा-अर्चना होती है। साथ ही और भी कई धार्मिक स्थल हैं। इसके अलावा जोशी मठ से 40 किमी दूर सिख समाज का प्रसिद्ध तीर्थ हेमकुंड साहिब है, जहां गुरुगोविद सिंह ने तपस्या की थी। यहां चारों ओर बर्फ के पहाड़ हैं। बीच में विशाल सरोवर है।

यात्रा पूर्व की सावधानी
- हैजे का टीका लगवाएं। निःशुल्क सुविधा ऋषिकेश, श्रीनगर, पीपलकोटि में उपलब्ध है।
- पानी उबालकर पिएं। यात्रा के समय पानी साथ लेकर चलें।
- गर्म ऊनी वस्त्र, कम्बल, वाटरप्रूफ बिस्तर, बरसाती, छाता, तौलिए, चादर, टार्च आदि आवश्यक वस्तुएं साथ में रखें।
- सिरदर्द, अपचन, सांस अवरुद्ध होना, चोट लगना आदि शिकायत हो सकती है। अतः दवाइयां लेकर जाएं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi