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जानिए लोक प्रचलित शकुन और अपशकुन

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ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि में शुभ-अशुभ शकुन का बड़ा महत्व है। अशुभ शकुनों के निराकरण के उपाय भी ज्योतिष शास्त्र में बताए गए हैं। शकुन की मान्यता आज भी हमारे समाज में है। इसके अनुसार ही हमारे बुजुर्ग यात्रा आदि सभी कार्य करते हैं। हिन्दू समाज में प्रचलित कुछ शुभ-अशुभ शकुनों का विवेचन प्रस्तुत है - 


 
यात्रा के समय शुभ-अशुभ शकुन विचार 
 
सोम शनिश्चर पूरब न चालू। मंगल बुध उत्तर दिशि कालू।।
रवि शुक्र जो पश्चिम जाय। हानि होय पर सुख न पाय।।
बीफे दक्षिण करे पयाना। फिर नहीं होवे ताको आना।। 
 
अर्थात सोमवार, शनिवार को पूर्व दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए। मंगलवार एवं बुधवार को उत्तर दिशा में यात्रा करना काल को आमंत्रण देना माना जाता है। रविवार एवं शुक्रवार को पश्चिम दिशा में यात्रा करने से हानि होती है तथा दुख प्राप्त होता है। गुरुवार को दक्षिण दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि यात्रा से वापस आने की संभावना कम रहती है। 
 
 बाधा निवारण के उपाय
 
यदि उपर्युक्त दिन एवं दिशाओं में यात्रा करना आवश्यक हो तो निम्नानुसार यात्रा की जा सकती है- 
 
सोमवार एवं शनिवार को पूर्व की यात्रा करने की परिस्‍थिति में यात्रा करने वाले को क्रमश: दूध का पान कर 'ॐ नम: शिवाय' मंत्र का जाप करते हुए यात्रा करनी चाहिए। शनिवार को उड़द के दाने पूर्व दिशा में चढ़ाकर तथा कुछ दाने खाकर यात्रा करें एवं यात्रा के समय शनि-गायत्री का पाठ करता रहे-

'ॐ भगभवाय विद्महे मृत्युरूपाय धीमहि तन्न: शनि प्रचोदयात्।'
 
मंगलवार एवं बुधवार को यात्रा करना जरूरी हो तो मंगलवार को गुड़ का दान करें, कुछ गुड़ मुख में धारण करें तथा मंगल-गायत्री का जप करें-

'ॐ अङ्गारकाय विद्महे शक्तिहस्ताय धीमहि तन्नो भौम: प्रचोदयात्।' 
 
बुधवार को उत्तर दिशा की यात्रा आवश्यक हो तो तिल एवं गुड़ का दान करें एवं उसी से बने पकवान का भोजन कर यात्रा करें। यात्रा से पूर्व पांच बार बुध-गायत्री का पाठ कर यात्रा करनी चाहिए-

'ॐ सौम्यरूपाय विद्महे बाणेशाय धीमहि तन्न: सौम्य: प्रचोदयात्।'
 
वैसे तो ज्योतिष शास्त्र के मतानुसार रविवार एवं शुक्रवार को पश्चिम दिशा में यात्रा करना निषिद्ध बताया गया है, फिर भी अत्यंत आवश्यक हो जाने पर यात्रा करनी हो तो उपाय कर यात्रा की जा सकती है-
 
रविवार को पश्चिम में यात्रा करने के पूर्व शुद्ध गाय का घी लेकर पूर्व दिशा की ओर मुंह करके हवन करें तथा यात्रा से पूर्व घी का पान करें एवं कन्याओं को दक्षिणा देकर सूर्य गायत्री का जप करते हुए यात्रा प्रारंभ करें- 
 
'ॐ आदित्याय विद्महे प्रभाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात्।'
 
गुरुवार को दक्षिण दिशा में यात्रा करना सर्वथा वर्जित है, किंतु आवश्यक शुभ कार्य हेतु यात्रा करना जरूरी हो गया हो तो निम्न उपाय कर यात्रा की जा सकता है-
 
गुरुवार को यात्रा के पूर्व दक्षिण दिशा में पांच पके हुए नीबू सूर्योदय से पूर्व स्नान कर गीले कपड़े में लपेटकर फेंक दें, यात्रा से पूर्व दही का सेवन करें तथा शहद, शकर एवं नमक तीनों को समभाग में मिलाकर हवन करें और गुरुगायत्री का जप कर यात्रा प्रारंभ करें- 
 
'ॐ आंगिरसाय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि तन्नो जीव: प्रचोदयात्।' 

 

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