कहते हैं कि आस्था पर मजहब का जोर नहीं चलता। मुस्लिम परिवार की गुड़िया खातून वर्षों से श्रद्धा के साथ छठ करती हैं। गुड़िया ही क्यों, उनकी जैसी सैकड़ों मुस्लिम महिलाएं भी उतनी ही नेम धर्म से यह पर्व करती हैं जितनी हिंदू महिलाएं। कहने को तो छठ हिंदुओं का पर्व है लेकिन बिहार के विभिन्न जिलों में कई मुस्लिम परिवार इसे श्रद्धापूर्वक मनाते हैं।
पटना स्थित कमला नेहरू नगर की रहने वाली गुड़िया पिछले छह सालों से लगातार छठ कर रही हैं। वह बताती हैं कि उनके पति मोहम्मद सलीम कुरैशी के शरीर पर सफेद दाग था। उन्होंने बहुत मन्नतें मांगी लेकिन वह ठीक नहीं हो रहा था। एक दिन उन्हें किसी महिला ने कहा कि छठी मइया से अपने पति के लिए प्रार्थना करोगी तो मनोकामना पूरी होगी।
गुड़िया बताती हैं कि उन्होंने छठी मइया से दुआ मांगी। छठी मइया ने उनकी पुकार सुन ली, तब से वह हर साल छठ पर्व कर रही हैं। पटना के ही मकेर प्रखंड में जमलकी गांव की हसनजादो बेगम पिछले सात सालों से छठ कर रही हैं। उनका कहना है कि वह आजीवन इस व्रत को करेंगी। उन्होंने बताया कि उनके दो वर्षीय पुत्र की तबीयत पिछले छह माह से खराब थी। डॉक्टरों के दिखाने पर कोई फायदा नहीं हुआ। उसकी आंख की रोशनी भी धीरे-धीरे जाती रही।
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किसी की सलाह पर हसनजादो ने छठ का व्रत किया तो उसके बेटे की तबीयत ठीक हो गई। उस गांव की अन्य मुस्लिम महिलाएं भी श्रद्धा से छठ करने लगीं। इसी तरह वैशाली, सहरसा और मुजफ्फरपुर जिले में भी कई मुस्लिम परिवारों में छठ होती है। वैशाली जिले के विदुपुर प्रखंड के मोहनपुर हाट निवासी नजमा 20 सालों से छठ का व्रत कर रही हैं। पिछले 22 सालों से छठ कर रहीं मुजफ्फरपुर के तीनकोठिया क्षेत्र की मल्लिका कहती हैं कि छठ मइया की कृपा से ही पांच बेटियों के बाद बेटा हुआ। उनकी इस नेमत को वह कभी नहीं भूल सकतीं।
सहरसा में भी चार दर्जन से अधिक मुस्लिम महिलाएं छठ का व्रत करती हैं। यहां की बीबी फातिमा कहती हैं कि लड़के की मन्नत पूरी होने पर वह दस सालों से छठ कर रही हैं।