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भगवान नाम से कटते हैं सभी पाप

भगवान करते हैं पापों का क्षय

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भगवान नाम से बड़े से बड़े पाप भी कट जाते हैं। संत तो पृथ्वी पर घूम-घूमकर अशांत जीवन को शांत बना देते हैं। नदी का बहता पानी निर्मल होता है और रुक जाए तो बदबू मारने लगता है। साधुता भी चलने के लिए होती है, रुकने के लिए नहीं।

मनुष्य के द्वारा की जाने वाली भक्ति ही उसके संपूर्ण जीवन में उस परमात्मा की कृपा को प्राप्त कर अंत में उद्धार का मार्ग प्रदान कर देती है। उस परमात्मा के द्वारा ही समस्त वर्णों को विभाजित किया गया है।

जैसा कि भगवान की कृपा को प्राप्त करने के लिए ध्रुव ने नारद जैसे संत को अपना गुरु बनाया और भगवान नारायण की आराधना घोर तपस्या कर प्रभु के साक्षात दर्शन किए व भगवान नारायण ने उन्हें ध्रुव पद प्रदान किया।

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मानव भी अगर अपने जीवन में सत्य का आचरण करता है, उसकी जीवन रूपी नैया हिल तो सकती है, किन्तु डूब नहीं सकती। ज्ञान नित्य नई खोज चाहता है और खोज करने वाला जब तक उसमें खो नहीं जाता, तब तक उसमें वृद्धि नहीं होती।

संसार के सभी तत्वों सत्व, रज और तम गुण के कारण मनुष्य के हृदय में बदलाव आता है। उसके कारण ही एक ही व्यक्ति दिन में तीन तरह के विचारों को प्रकट करता है। जब जैसा मन और विचार बनता है, मनुष्य उस समय वैसा ही व्यवहार करता दिखाई देता है। इन तीनों गुणों के कारण ही भगवान और गुरु के प्रति आस्था रखने वाले भक्तों के विचार बदलते हैं।

हम कभी ईश्वर को कृपालु कभी पतितपावन और कभी क्रूर मान लेते हैं। लोगों के विचार एक ही समय में समान नहीं हो सकते हैं। उसके चलते ही विवाद और विचारधारा को लेकर मतभेद की स्थिति भी बनती है। इसलिए प्रभु चरणों में विश्वास रखकर किया गया प्रत्येक कर्म सार्थक होता है। ऐसे कर्मयागी भक्त कभी असफल नहीं होते। श्रद्घा और भक्ति से किए गए भगवान के नाम का स्मरण अनेक जन्मों के पापों का क्षय करता है।

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