'मेरे राम तेरा नाम मुझे और ना कोई काम, सुबह शाम अविराम मुझे और न कोई काम।' जी हाँ, ऐसे राम भक्तों की कमी नहीं है जिन्हें राम नाम की ही धुन लगी है। सुबह-शाम जब भी मौका मिलता है, वे राम नाम जपते ही नहीं, उसे लिखते भी हैं। इतना ही नहीं, राम नाम को लिखकर वे उसे बैंक में जमा भी कराते हैं।
अब आप यह मत कहिए कि राम नाम और बैंक का क्या संबंध है? संबंध है क्योंकि यहाँ हम जिस बैंक का जिक्र कर रहे हैं उसमें धन नहीं सिर्फ राम नाम ही जमा होता है। इस बैंक का नाम है 'अंतरराष्ट्रीय श्री राम नाम बैंक।' इस बैंक में राम नाम जमा कराने पर ब्याज भले ही न मिलता हो मगर सच्चा आनंद अवश्य मिलता है।
अंतरराष्ट्रीय श्री राम नाम बैंक की स्थापना वर्ष 1963 में अयोध्या में नृत्य गोपालदास महाराज द्वारा की गई थी। गाजियाबाद में इसकी शाखा की स्थापना प्रख्यात संत व कथावाचक डोंगरे जी महाराज ने घंटाघर स्थित रामलीला मैदान में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दौरान की थी। आज इस बैंक की देश-विदेश में मिलाकर 125 से अधिक शाखाएँ हैं। गाजियाबाद के हनुमान मंदिर में इसकी 42वीं शाखा है।
बैंक के संयोजक ओमप्रकाश लखोटिया बताते हैं कि इस बैंक की देश-विदेश स्थित सभी शाखाओं में अब तक कुल मिलाकर 164 अरब से अधिक राम नाम जाम हो चुके हैं। इनमें गाजियाबाद के रामभक्तों का योगदान लगभग 14 अरब राम नाम का है। राम नाम लिखने वाले सात वर्ष के बच्चे से लेकर 80 वर्ष के बुजुर्ग तक हैं।
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लखोटिया के अनुसार बैंक में खाता खोलने के लिए किसी कागजात की नहीं बल्कि राम नाम की जरूरत है। बच्चे, युवा, बुजुर्ग, महिला या पुरुष कोई भी, किसी भी भाषा में सवा लाख सीताराम या राम नाम लिखकर बैंक में अपना खाता खोल सकता है। इतना ही नहीं, जो भक्त नियमित रूप से राम नाम लिखता है, वह बैंक का स्थायी सदस्य बन जाता है और उसे बैंक की तरफ से पास बुक व सदस्यता प्रमाण पत्र भी दिया जाता है।
एक करोड़ राम नाम लिखने वाले भक्त को स्वर्ण पदक, पचास लाख राम नाम लिखने वाले को रजत पदक व 25 लाख राम नाम लिखने वाले को काँस्य पदक से सम्मानित किया जाता है। 25 वर्ष की आयु में ही 15 लाख नाम लिखने पर भी काँस्य पदक मिलता है। राम नाम लिखने के लिए वैसे तो बैंक से ही कॉपी मिलती है मगर निजी कापी या डायरी आदि में भी राम नाम लिखकर बैंक में जमा कराया जा सकता है। राम नाम लिखी कॉपियों को अयोध्या स्थित 'श्री वाल्मीकि रामायण भवन' में सुरक्षित रखा गया है।
इन कॉपियों व नाम मंत्रों से अंकित चित्रों की पूजा भी होती है। राम नाम लिखी इन पुस्तिकाओं से बीकानेर जिले में ग्यारह मंजिला तो ऋषिकेश में तीन मंजिला नाम स्तंभ का निर्माण कराया जा चुका है। उन्होंने कहा कि वैसे तो राम नाम की महिमा अपार है। सच्चे मन से जपने व लिखने दोनों ही प्रकार से पुण्य मिलता है। मनुष्य के सभी कष्ट दूर होते हैं और उसका कल्याण होता है। वैसे जपने की अपेक्षा लिखने में सौ गुना अधिक फल की प्राप्ति होती है। अतः सभी को नियमित रूप से राम नाम लिखना चाहिए।