Dharma Sangrah

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

विश्व-कल्याण के लिए करें चिंतन

चिंतन को मिले विवेकानंद की धारा

Advertiesment
हमें फॉलो करें शिशु
FILE
आईपीएल में एकमात्र भारतीय शतकधारी मनीष पांडे के रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के साथ अनुबंध करने से इनकार कर देने के बाद अनकेप्ड भारतीय खिलाड़ियों का मुद्दा भड़क गया है।

मनीष रॉयल चैलेंजर्स बेंगूलुरु के साथ आईपीएल के दो सत्रों में खेले थे और वह अब तक इस टूर्नामेंट में शतक लगाने वाले एकमात्र भारतीय हैं। लेकिन समझा जाता है कि उन्होंने बेंगलुरु टीम के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है।

इसके पीछे कारण उन्हें मिलने वाली फीस है जो आईपीएल नीलामी में बिके उनके बराबर के खिलाड़ियों के मुकाबले सैकड़ों गुना कम है।

आईपीएल के नियम स्पष्ट रूप से कहते हैं कि जो खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की तरफ से खेल चुके हैं और जो नहीं खेल पाए हैं उन्हें मिलने वाले मेहनताने में भारी भरकम फासला रहेगा।

इस नियम के कारण भारत की तरफ से चुनिंदा मैच खेलने वाले उमेश यादव और सौरभ तिवारी जैसे खिलाड़ियों को नीलामी में करोड़ों रुपए मिल गए वहीं पांडे को अंतरराष्ट्रीय मैच न खेल पाने का भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

सौरभ तिवारी को बेंगलुरु टीम ने 7.4 करोड़ रुपए की भारी भरकम कीमत पर खरीदा जबकि उमेश यादव को 3.45 करोड़ रुपए की कीमत पर दिल्ली डेयरडेविल्स ने खरीदा। एक टेस्ट मैच खेलने वाले जयदेव उनादकात भी एक करोड़ रुपए से अधिक की कीमत पर बिके।

यहीं देखा जाए तो ऑस्ट्रेलिया के अनकेप्ड खिलाड़ी डेनियल क्रिस्टियन 5.14 करोड़ रुपए की भारी भरकम कीमत में बिके। लेकिन भारत के अनकेप्ड खिलाड़ियों के लिए यह स्थिति नहीं है। वे कम से कम दस लाख रुपए और अधिक से अधिक 30 लाख रुपए ही हासिल कर सकते हैं।

मनीष पांडे भी अधिक से अधिक 30 लाख रुपए में जा सकते हैं। यह भी इस बात पर निर्भर करेगा कि उनके पास प्रथम श्रेणी का कितना अनुभव है। कहने को यह इंडियन प्रीमियर लीग है लेकिन इसमें भारतीय खिलाड़ियों के बजाए विदेशी खिलाडियों की चाँदी हो रही है।

दिलचस्प बात है कि आईपीएल-चार के लिए हुई नीलामी में ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, हॉलैंड, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका और वेस्टइंडीज के कुल 67 अनकेप्ड खिलाड़ियों को रखा गया था लेकिन इस नीलामी में कोई अनकेप्ड भारतीय खिलाड़ी नहीं थे। इसका घरेलू क्रिकेटरों को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है।

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का कहना है कि आईपीएल नियमों के मुताबिक घरेलू खिलाड़ियों के साथ तय फीस के तहत की अनुबंध किया जा सकता है। यह फीस उस समय तय की गई थी जब संबंधित खिलाड़ी ने पहली बार प्रथम श्रेणी या लिस्ट ए मैच खेला था।

इस तरह घरेलू खिलाड़ियों के वेतन ढाँचे के मुताबिक जिन खिलाड़ियों ने रणजी ट्रॉफी, प्रथम श्रेणी या लिस्ट ए मैच नहीं खेला है या वर्ष 2009-10 या 2010-11 सत्र में पहली बार खेला है उन्हें वार्षिक दस लाख रुपए फीस मिलेगी।

जिन खिलाड़ियों ने पहली बार वर्ष 2006-07, 2007-08 या 2008-09 में रणजी ट्रॉफी, प्रथम श्रेणी या लिस्ट ए मैच खेला है उन्हें वार्षिक 20 लाख रुपए फीस मिलेगी। जिन खिलाड़ियों ने वर्ष 2005-06 या उससे पहले के सत्रों में पहली बार रणजी मैच खेले हैं उन्हें वार्षिक 30 लाख रुपए फीस मिलेगी। (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi