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विश्व प्रसिद्घ कुंभ मेला 2012 में

बारह वर्षों बाद 2012-13 में होगा कुंभ मेला

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भारत की ह्रदय स्थली सोम, वरुण प्रजापति ब्रह्मा की तपोभूमि, ऋषि-मुनियों की यज्ञ स्थली इलाहाबाद में गंगा-यमुना तथा पौराणिक सरस्वती नदियों के संगम तट पर वर्ष 2012-13 में लगने वाले विश्व प्रसिद्घ कुंभ मेला की तैयारियाँ शुरू हो गई हैं।

हिमालय की कोख से अवतरित गंगा एवं यमुना के अद्भुत मिलन तथा अदृष्य सरस्वती के संगम तट पर प्रत्येक वर्ष माघ में ड़ेढ माह तक चलने वाला माघ मेला छह वर्ष पर अर्धकुंभ तथा 12 वर्षों पर कुंभ मेले का आयोजन होता है।

नक्षत्रों के अनुसार 2012-13 के माघ मास में वहाँ कुंभ मेला आयोजित होगा जिसमें देश के सुदूर अंचलों के साथ ही विदेशों से श्रद्घालु बडी संख्या में शिरकत करेंगे।

ऐसी मान्यता है कि प्रयागराज, इलाहाबाद को हिमालय के पंच प्रयागों देवप्रयाग, रुद्रप्रयाग, कर्ण प्रयाग, नन्द प्रयाग एवं प्रयागराज में श्रेष्ठ माना गया है। इसीलिए इसे तीर्थराज प्रयाग की संज्ञा दी गई है। संगम तट पर गंगा तथा यमुना नदियों के दोनों ओर कुंभ मेला के लिए प्रशासनिक कार्यों की शुरुआत हो गई और अस्थाई निर्माण कार्य चल रहे हैं।

कुंभ मेले के आयोजन का प्रावधान कब से है इस बारे में विद्वानों में अनेक भ्राँतियाँ हैं। वैदिक और पौराणिक काल में कुंभ तथा अर्धकुंभ स्नान में आज जैसी प्रशासनिक व्यवस्था का स्वरूप नहीं था।

कुछ विद्वान गुप्त काल में कुंभ के सुव्यवस्थित होने की बात करते हैं। परन्तु प्रमाणित तथ्य सम्राट शिलादित्य हर्षवर्धन 617-647 ई. के समय से प्राप्त होते हैं। बाद में श्रीमद आघ जगतगुरु शंकराचार्य तथा उनके शिष्य सुरेश्वराचार्य ने दसनामी संन्यासी अखाड़ों के लिए संगम तट पर स्नान की व्यवस्था की।

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