विचार कर्म के प्रासाद की नींव है। विचार का प्रभाव अद्भुत है। यह विचार ही है जो अर्जुन को गाण्डीव उठाने के लिए प्रेरित करता है और नरेन्द्र को विवेकानंद बना देता है। चिंतन-मनन के बाद विचार ही आचरण का रूप लेता है।
'विचार' शब्द के मन में आते ही मन में विचार आता है कि आखिर ये विचार हैं क्या? मन में उठने वाली विविध भावनाओं, कामनाओं एवं स्मृतियों की उत्ताल तरंगें हैं विचार, जिनमें मन डूबता उतराता रहता है। चेतना एवं चिंतन से उद्भूत सोच के स्पंदनों की हलचल है। विचार जो कभी मन को आह्लादित करते हैं तो कभी उद्वेलित। विचार कर्म के प्रासाद की नींव है।
विचार बहुत बड़ा शक्तिपुंज है, इसमें अनंत ऊर्जा निहित है। विचार का अद्भुत प्रभाव होता है व्यक्ति पर। विचार ही मनुष्य को ऊपर उठाते हैं और विचार ही मनुष्य के पतन का कारण बनते हैं। विचार से समाज और राष्ट्र जुड़ते हैं और विचार से ही टूटते हैं।