Dharma Sangrah

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

संत कबीर की 'चलती चक्की'

चलती चक्की देखकर...

Advertiesment
हमें फॉलो करें कबीर मठ
SUNDAY MAGAZINE
- अमितांशु पाठक

जीवन के शाश्वत सत्य उद्घाटित करने वाले संत-कवि कबीर की 'चलती चक्की' से अब सभी रूबरू हो सकेंगे। वाराणसी में कबीर पंथ की मूल गादी और संत कबीर का आश्रय रहे कबीर चौरा के कबीर मठ में 'चलती चक्की : 'चलती चक्की देखकर दिया कबीरा रोय। दो पाटन के बीच में साबुत बचा न कोय' का आम लोगों के दर्शनार्थ लोकार्पण कबीर पंथ के लिए ऐतिहासिक अवसर बन गया।

प्रचलित कथाओं और किंवदंतियों के अनुसार रूस के पास अरब देश बल्ख-बुखारा के बादशाह रहे सुलतान इब्राहिम के कैदखाने में यह चक्की लगाई गई थी। इसे सुलतान के शासनकाल में पकड़े गए (गिरफ्तार किए गए) साधु-संतों से चलवाया जाता था। इस भारी-भरकम चक्की का नाम चलती चक्की था। सुलतान इब्राहिम साधु-संतों, फकीरों को दरबार में बुलाता था और उनसे अनेक प्रश्नों का समाधान पूछता था।

webdunia
SUNDAY MAGAZINE
अनेक साधु और संत जब उसकी शंकाओं और जिज्ञासाओं का समाधान नहीं कर पाते थे, तब उन्हें कैदखाने में डालकर इस भारी चक्की चलाने का दंड दिया जाता था।

किंवदंतियों के अनुसार कबीरदास पंजाब गए थे, जहाँ उनके अनुयायियों ने संतों को बल्ख-बुखारा में दी जा रही इस यातना की जानकारी देते हुए कुछ करने को कहा। कबीर साहब यत्नपूर्वक बल्ख-बुखारा पहुँचे और संतों-फकीरों की यह यातना देख द्रवित हो उठे।

उन्होंने संतों-फकीरों से कहा- आप भगवद् भजन कीजिए। चक्की छोड़िए। यह तो चलती चक्की है। अपने आप चलेगी। उन्होंने उस चक्की को छू दिया। चक्की खुद-ब-खुद चलने लगी और लगातार चलती रही। बाद में कबीर पंथ के पाँचवें संत लाल साहब कबीरदास के द्वारा छूकर चलाई गई इसी चक्की को भारत ले आए।

संयोजक संत विवेकदास ने कबीर पंथ और कबीर मठ के 1757 से 1950 तक के इतिहास को रेखांकित करते हुए कहा कि कबीरचौरा पर कबीरदास की उनके अनुयायियों के साथ प्रतिमाएँ लगेंगी, जिसके लिए 24 लाख के व्यय का प्रस्ताव है। कबीर की इकतारा लिए काँस्य प्रतिमा लगाई जाएगी और पत्थरों पर कबीर के 'बीजक' की साखी, सबद और रमैनी के पद उकेरे जाएँगे।

ज्ञात हो कि कबीर मठ में स्थापित इस चक्की का लोकार्पण केंद्रीय कोयला राज्यमंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने किया। कबीर के संदेशों की प्रासंगिकता की चर्चा करते हुए मंत्री जायसवाल ने कबीर वाणी को 'जिंदगी की हकीकत' बताया और कहा कि कबीर और उनके संदेश को नए सिरे से समझने-समझाने की जरूरत है। इससे समाज की असमानता, विषमता और तमाम समस्याएँ दूर हो जाएँगी।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi