adhik maas purushottam maas
नाम से ही स्पष्ट है जब हिन्दी कैलेण्डर में पंचांग की गणनानुसार 1 मास अधिक होता है तब उसे "अधिकमास" कहा जाता है। हिन्दू शास्त्रों में "अधिकमास" को बड़ा ही पवित्र माना गया है, इसलिए "अधिकमास" को "पुरुषोत्तम मास" भी कहा जाता है। "पुरुषोत्तम मास" अर्थात् भगवान पुरुषोत्तम का मास। शास्त्रों के अनुसार "अधिकमास" में व्रत पारायण करना, पवित्र नदियों में स्नान करना एवं तीर्थ स्थानों की यात्रा का बहुत पुण्यप्रद होती है।
आइए जानते हैं कि "अधिकमास" कब व कैसे होता है-
पंचांग गणना के अनुसार एक सौर वर्ष में 365 दिन, 15 घटी, 31 पल व 30 विपल होते हैं जबकि चन्द्र वर्ष में 354 दिन, 22 घटी, 1 पल व 23 विपल होते हैं। सूर्य व चन्द्र दोनों वर्षों में 10 दिन, 53 घटी, 30 पल एवं 7 विपल का अन्तर प्रत्येक वर्ष में रहता है। इसी अन्तर को समायोजित करने हेतु "अधिकमास" की व्यवस्था होती है।
"अधिकमास" प्रत्येक तीसरे वर्ष होता है। "अधिकमास" फ़ाल्गुन से कार्तिक मास के मध्य होता है। जिस वर्ष "अधिकमास" होता है उस वर्ष में 12 के स्थान पर 13 महीने होते हैं। "अधिकमास" के माह का निर्णय सूर्य संक्रांति के आधार पर किया जाता है। जिस माह सूर्य संक्रांति नहीं होती वह मास "अधिकमास" कहलाता है।
इस वर्ष श्रावण में है "अधिकमास"-
इस वर्ष 2023 में "अधिकमास" 18 जुलाई श्रावण (प्रथम) शुक्ल प्रतिपदा दिन मंगलवार से 16 अगस्त श्रावण कृष्ण (द्वितीय) अमावस दिन बुधवार के मध्य रहेगा। इस वर्ष श्रावण मास की अधिकता रहेगी अर्थात् इस वर्ष दो श्रावण मास होंगे। "अधिकमास" की मान्यता 18 जुलाई 2023 से 16 अगस्त 2023 होगी।
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र