गोगा नवमी कब है 2023, क्यों मनाई जाती है?
Goga Navmi 2023: इस वर्ष गोगा नवमी का पर्व 8 सितंबर 2023, शुक्रवार के दिन मनाया जा रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की नवमी के दिन गोगादेव जी का जन्म हुआ था। गोगादेव राजस्थान के लोकदेवता माने गए हैं और उन्हें जाहरवीर भी कहा जाता है।
2023 में गोगा नवमी कब है :
गोगा नवमी: 8 सितंबर 2023, शुक्रवार
गोगा नवमी पर पूजन का समय :
ब्रह्म मुहूर्त- 04:31 ए एम से 05:17 ए एम
प्रातः सन्ध्या- 04:54 ए एम से 06:02 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:54 ए एम से 12:44 पी एम
विजय मुहूर्त- 02:24 पी एम से 03:14 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 06:35 पी एम से 06:58 पी एम
सायाह्न सन्ध्या- 06:35 पी एम से 07:44 पी एम
अमृत काल- 9 सितंबर 03:29 ए एम, से 05:14 ए एम तक।
निशिता मुहूर्त- 11:56 पी एम से 9 सितंबर 12:42 ए एम तक।
क्यों मनाई जाती है गोगा नवमी : गुरु गोरखनाथ के वरदान से गोगा देव जी का जन्म राजस्थान के ददरेवा/ चुरू चौहान वंश के राजपूत शासक जेवरसिंह की पत्नी बाछल के गर्भ से भाद्रपद सुदी नवमी को हुआ था। लोक मान्यताओं के अनुसार गोगा जी को सांपों के देवता के रूप में पूजा जाता है।
उनके संबंध में यह मान्यता भी है कि गोगा पंचमी और गोगा नवमी के दिन यदि संतान प्राप्ति की इच्छुक महिलाएं गोगा देव का पूजन करें तो उनको जल्द ही संतान की प्रप्ति होती है। गोगा देव जी का यह पर्व भाद्रपद पंचमी से गोगा नवमी तक चलता है। उन्हें राजस्थान के लोक देवता के नाम से एक पीर के रूप में भी जाना जाता हैं। उन्हें गुरु गोरक्षनाथ के प्रमुख शिष्यों में स्थान प्राप्त है। वे राजस्थान के चमत्कारिक सिद्ध पुरुष माने गए हैं।
गोगा नवमी के संबंध में यह मान्यता है कि पूजा स्थल की मिट्टी को घर में रखने से सर्पभय नहीं रहता है। ऐसा माना जाता है कि वीर गोगा देव अपने भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। अत: भाद्रपद नवमी पर यह त्योहार मनाया जाता है।
यहां भाद्रपद नवमी के दिन खास त्योहार रहता है। भाद्रपद कृष्ण नवमी को मनाया जाने वाला गोगा नवमी का यह त्योहार बहुत प्रसिद्ध है। इस अवसर पर गोगा जी/ बाबा जाहरवीर के भक्त अपने घरों में ईष्टदेव की वेदी बनाकर अखंड ज्योति जागरण करते हैं तथा उनकी शौर्य गाथा एवं जन्म कथा सुनते हैं। इस प्रथा को जाहरवीर का जोत कथा जागरण कहा जाता है। कई स्थानों पर इस दिन मेले लगते हैं व शोभायात्राएं निकाली जाती हैं। कई शहरों में पूरी रात निशानों का यह कारवां निकलता है। कई स्थानों पर गोगा नवमी के दिन खेजड़ी (जाटी) नाम से जाने जाने वाले और गोगा के पौधे की पूजा की जाती है। और पूजा किए गए पौधों को विधिपूर्वक जल में प्रवाहित किया जाता है।
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