Guru Pradosh Vrat 2021 महीने में दो बार त्रयोदशी तिथि आती है जिस पर पर प्रदोष व्रत करते हैं। प्रदोष व्रत चंद्रमा के अनुसार त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। प्रदोष व्रत प्रदोष काल के दौरान ही शुभ होता है। सूर्यास्त के 1.5 घंटे पहले और 1.5 घंटे बाद की अवधि प्रदोष काल मानी जाती है।
यह अवधि 3 घंटे है। यह समय शिव पूजा के लिए सबसे अनुकूल माना जाता है। यदि प्रदोष व्रत गुरुवार को है तो गुरु प्रदोष व्रत कहा जाता है। इसे गुरुवार प्रदोषम के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत को रखने से शत्रुओं पर विजय, यश, सुख, समृद्धि, सफलता, ज्ञान और उत्तम स्वास्थ्य का आशीष मिलता है।
गुरु प्रदोष व्रत तिथि
मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी 2 दिसंबर,गुरुवार को है।
गुरु प्रदोष व्रत तिथि आरंभ: 02 दिसंबर, प्रातः 02 : 05 मिनट से
गुरु प्रदोष व्रत तिथि समाप्त: 02 दिसंबर, रात्रि 10:56 मिनट पर
गुरु प्रदोष व्रत 2021 का महत्व
प्रदोष व्रत करने वाले अपने सभी पापों से मुक्त हो जाते हैं। प्रदोष तिथि पर भगवान शंकर ने चंद्र देव को एक राजा के श्राप से मुक्ति दिलाई थी। इस व्रत के प्रभाव से स्वास्थ्य, धन और ज्ञान का आशीर्वाद मिलता है। गुरु प्रदोष व्रत अकूत धन संपदा, खुशियां, ऐश्वर्य, सौभाग्य, सौंदर्य, वैभव और माधुर्य का वरदान देता है।
गुरु प्रदोष व्रत में करें इन मंत्रों का जाप
भगवान शिव की विशेष कृपा पाने के लिए गुरु प्रदोष व्रत के दिन नीचे दिए गए मंत्रों का जाप करें
-
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।
ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा।
ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।
ॐ आशुतोषाय नमः।
ॐ पार्वतीपतये नमः।
ॐ नमो नीलकण्ठाय।
ॐ नमः शिवाय।
इं क्षं मं औं अं।
ऊर्ध्व भू फट्।