जानिए मार्च माह में आने वाले प्रमुख तीज त्योहार...
संकष्टी चतुर्थी, 2 मार्च
2 मार्च को मंगलवार के दिन संकष्टी चतुर्थी है। हर माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की आराधना की जाती है। शास्त्रों में संकष्टी चतुर्थी के व्रत को बहुत ही शुभ फलदायी माना गया है। भगवान गणेश हर संकट दूर करते हैं।
जानकी जयंती, 6 मार्च
जानकी जयंती 6 मार्च को है। यह पर्व हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष जानकी जयंती 06 मार्च दिन शनिवार को है। मान्यता है कि इस दिन माता सीता जी प्रकट हुई थीं।
महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती, 8 मार्च
8 मार्च को महर्षि दयानंद जयंती मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि पर आर्य समाज के संस्थापक और आधुनिक भारत के महान चिन्तक और समाज-सुधारक महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती की जयंती मनाई जाती है।
विजया एकादशी, 9 मार्च
9 मार्च मंगलवार के दिन विजया एकादशी व्रत रखा जाएगा। फाल्गुन माह कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से सारे कार्य सफल हो जाते हैं,विजय प्राप्त होती है, इसलिए इसे विजया एकादशी कहा गया है।
प्रदोष व्रत, 10 मार्च
10 मार्च को फाल्गुन प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष) पड़ रहा है। यह व्रत भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए रखा जाता है। यह व्रत प्रति माह में दो बार (कृष्ण और शुक्ल पक्ष में) त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है।
महाशिवरात्रि, 11 मार्च
भगवान शिव देवों के देव महादेव हैं और महाशिवरात्रि का पावन त्योहार शिवजी को ही समर्पित है। इस साल महाशिवरात्रि का पर्व 11 मार्च को है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन माह कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है।
फाल्गुन अमावस्या, 13 मार्च
फाल्गुन अमावस्या 13 मार्च को है। हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि फाल्गुन अमावस्या कहलाती है। फाल्गुनी अमावस्या पितरों की शांति के लिए किए जाने वाले दान, तर्पण, श्राद्ध आदि के लिए यह दिन बहुत ही शुभ माना जाता है।
मीन संक्रांति, 14 मार्च
मीन संक्राति 14 मार्च को है। इस दिन सूर्य देव मीन राशि में प्रवेश करते हैं और एक माह तक इसी राशि में स्थित रहते हैं। यह मलमास कहलाता है। मलमास में मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता है।
फूलेरा दूज, 15 मार्च
15 मार्च को फुलेरा दूज है। फाल्गुन माह में फुलैरा दूज का विशेष महत्व होता है। फुलैरा दूज फाल्गुन महीने का सर्वश्रेष्ठ दिन होता है। इस दिन अबूझ मुहूर्त बनता है यानी बिना पंचांग देखे इस दिन किसी भी प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्य संपन्न किए जा सकते हैं।
विनायक चतुर्थी
17 मार्च को विनायक चतुर्थी है। शास्त्रों में यह तिथि गणपति महाराज को समर्पित है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन विनायक चतुर्थी मनाई जाती है।
होलाष्टक प्रारंभ/ 21 मार्च से 28 मार्च तक
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक शुरू हो जाएगा। इस साल होलाष्टक 21 मार्च से 28 मार्च तक रहेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, होलाष्टक के दौरान शादी, विवाह, वाहन खरीदना या घर खरीदना एवं अन्य मंगल कार्य नहीं किए जाते हैं।
आमलकी एकादशी, 25 मार्च
आमलकी एकादशी व्रत 25 मार्च को है। वैदिक पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसे रंगभरी एकादशी भी कहते हैं।
प्रदोष व्रत, 26 मार्च
26 मार्च को फाल्गुन प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष) है। यह व्रत भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए रखा जाता है। यह व्रत प्रति माह में दो बार (कृष्ण और शुक्ल पक्ष में) त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है।
होलिका दहन, फाल्गुन पूर्णिमा, 28 मार्च
फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा इस बार 28 मार्च को है। इस दिन गंगा स्नान-दान और व्रत का खास महत्व है। इसी दिन होलिका दहन भी है।
होली, 29 मार्च
रंगों का त्योहार होली 29 मार्च को है। रंगों का यह पर्व प्रेम और भाईचारा का प्रतीक है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि में होली मनाने की परंपरा होती है।