मार्गशीर्ष अगहन मास (Margashirsha 2021) का प्रारंभ 20 नवंबर 2021 से हो गया है। जानिए इस माह की 20 बड़ी विशेषाएं-
1. अगहन मास को मार्गशीर्ष Margashirsha कहने के पीछे भी कई तर्क हैं। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अनेक स्वरूपों में व अनेक नामों से की जाती है। इन्हीं स्वरूपों में से एक मार्गशीर्ष भी श्रीकृष्ण का रूप है।
2. सत युग में देवों ने मार्गशीर्ष मास की प्रथम तिथि को ही वर्ष प्रारंभ किया।
3. मार्गशीर्ष शुक्ल 12 को उपवास प्रारंभ कर प्रति मास की द्वादशी को उपवास करते हुए कार्तिक की द्वादशी को पूरा करना चाहिए। प्रति द्वादशी को भगवान विष्णु के केशव से दामोदर तक 12 नामों में से एक-एक मास तक उनका पूजन करना चाहिए। इससे पूजक 'जातिस्मर' पूर्व जन्म की घटनाओं को स्मरण रखने वाला हो जाता है तथा उस लोक को पहुंच जाता है, जहां फिर से संसार में लौटने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
4. मार्गशीर्ष की पूर्णिमा को चंद्रमा की अवश्य ही पूजा की जानी चाहिए, क्योंकि इसी दिन चंद्रमा को सुधा से सिंचित किया गया था। इस दिन माता, बहन, पुत्री और परिवार की अन्य स्त्रियों को एक-एक जोड़ा वस्त्र प्रदान कर सम्मानित करना चाहिए। इस मास में नृत्य-गीतादि का आयोजन कर उत्सव भी किया जाना चाहिए।
5. मार्गशीर्ष की पूर्णिमा को ही 'दत्तात्रेय जयंती' मनाई जाती है।
6. मार्गशीर्ष मास में इन 3 पावन पाठ की बहुत महिमा है। 1. विष्णु सहस्त्रनाम, 2. भगवद्गीता और 3. गजेन्द्र मोक्ष। इन्हें दिन में 2-3 बार अवश्य पढ़ना चाहिए।
7. इस मास में 'श्रीमद्भागवत' ग्रंथ को देखने भर की विशेष महिमा है। स्कंद पुराण में लिखा है- घर में अगर भागवत हो तो अगहन मास में दिन में एक बार उसको प्रणाम करना चाहिए।
8. इस मास में अपने गुरु को, इष्ट को ॐ दामोदराय नमः कहते हुए प्रणाम करने से जीवन के अवरोध समाप्त होते हैं।
9. इस माह में शंख में तीर्थ का पानी भरें और घर में जो पूजा का स्थान है उसमें भगवान के ऊपर से शंख मंत्र बोलते हुए घुमाएं, बाद में यह जल घर की दीवारों पर छीटें। इससे घर में शुद्धि बढ़ती है, शांति आती है, क्लेश दूर होते हैं।
10. इसी मास में कश्यप ऋषि ने सुंदर कश्मीर प्रदेश की रचना की। इसी मास में महोत्सवों का आयोजन होना चाहिए। यह अत्यंत शुभ होता है।
11. दिन दिनों मौसम में बदलाव हो जाता है और शीतलहर आरंभ हो जाती है। अत: इस माह में गरम कपड़े, कंबल, मौसमी फल, शैया, भोजन और अन्न दान का विशेष महत्व है।
12. इस माह में पूजा संबंधी सामग्री, जैसे- आसन, तुलसी की माला, चंदन, पूजा की प्रतिमा, मोर पंख, जल कलश, आचमनी, पीतांबर, दीपक आदि का दान करना अतिशुभ माना गया है।
13. इस माह भगवान श्री कृष्ण (Lord Krishna) का माह होने के कारण उनका पूजन-अर्चना करना अतिलाभकारी है तथा यह माह संकटों से मुक्ति देने वाला माना गया है, क्योंकि स्वयं श्रीकृष्ण जी ने मार्गशीर्ष माह को अपना स्वरूप बताया है।
14. इस माह का संबंध मृगशिरा नक्षत्र से होने के कारण इस माह नक्षत्र के अनुसार पूजन-पाठ करने से जीवन में शुभता आती है।
15. अगहन माह में भगवान श्री कृष्ण की पूजा अनेक स्वरूपों और कई नामों से की जाती है। यह माह में श्रद्धा, भक्ति और पुण्य का महीना माना जाता है, अत: इस माह शुभ कर्म या पुण्य कर्मों का संचय करके समस्त सुखों की प्राप्ति की जा सकती है।
16. इस माह अथवा मार्गशीर्ष माह के गुरुवार के दिन अगर महिलाएं हर घर के मुख्य द्वार से लेकर आंगन तथा पूजा स्थल तक चावल आटे के घोल से आकर्षक अल्पनाएं बनाती है तो देवी लक्ष्मी उन्हें अपार संपत्ति का वरदान देती है।
17. मार्गशीर्ष माह में प्रतिदिन 'ॐ दामोदराय नमः' मंत्र का जाप करने मात्र से मनुष्य के सभी प्रकार के कष्ट दूर होकर समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है।
18. अगहन महीने में आने वाले गुरुवार को अगर सुहागिन महिलाएं बुधवार की रात घर की सफाई के बाद पूरे मनोभाव से देवी लक्ष्मी की उपासना करें तो घर में धन लक्ष्मी देवी स्थायी निवास करती हैं।
19. भगवान कृष्ण ने मार्गशीर्ष मास का महत्व अपने गोपियों को बतलाया था तथा कहा था कि इस माह यमुना स्नान से मैं सहज ही सभी को प्राप्त हो जाऊंगा। अत: इस पूरे माह में नदी स्नान का विशेष महत्व शास्त्रों में बताया गया है।
20. मार्गशीर्ष मास में नदी स्नान के समय तुलसी के जड़ से मिट्टी लेकर और तुलसी के पत्तों से युक्त स्नान करने की मान्यता है।