सभी तरह की आराधना में श्रेष्ठ है प्रार्थना। प्रार्थना का असर बहुत जल्द होता है। समूह में की गई प्रार्थना तो और शीघ्र फलित होती है। प्रार्थना करने के भी नियम है।
* प्रार्थना को उपासना और आराधना भी कह सकते हैं।
* इसमें निराकार ईश्वर के प्रति कृतज्ञता और समर्पण का भाव व्यक्त किया जाता है।
* इसमें भजन या कीर्तन नहीं किया जाता।
* इसमें पूजा या आरती भी नहीं की जाती।
* वेदज्ञ प्रार्थना ही करते हैं। वेदों की ऋचाएं प्रकृति और ईश्वर के प्रति गहरी प्रार्थनाएं ही तो है। ऋषि जानते थे प्रार्थना का रहस्य।