Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

स्तुति और प्रार्थना क्या है, जानिए

हमें फॉलो करें स्तुति और प्रार्थना क्या है, जानिए
-डॉ. रामकृष्ण सिंगी
 
स्तुति भक्तों द्वारा अपने इष्टदेव का ऐसा गुणगान है जिसमें भक्त अपने आराध्य के रूप-स्वरूप, महिमा, संसार के संचालन में उसकी भूमिका, अन्य दैवी शक्तियों के संदर्भ में उसकी स्थिति, विश्व की प्राकृतिक शक्तियों पर उसके नियंत्रण का बखान करता है। इस तन्मय बखान से उसकी आस्था का प्रकाशन भी होता है और उसमें निरंतर दृढ़ता आती है। स्तुति के अंतिम भाग में भक्त अपनी मनोकामनाओं का निवेदन करता है और इष्टदेव से याचना करता है कि उन मनोकामनाओं की पूर्ति का प्रसाद दें।





असंख्य रूपों में रची गई स्तुतियां आध्यात्मिक साहित्य की अमूल्य नीतियां हैं, जो भाव-विभोर होकर रची गईं, आराधना के विभिन्न अवसरों पर तन्मय होकर गाई गईं और भक्ति के आनंद के क्षणों का सृजन कर भक्तों को भक्तिरस में डूबने का दिव्य आल्हाद प्रदान करती रही हैं। रामचरितमानस में तुलसी द्वारा अनेक मधुर स्तुतियों की रचना की गई जिनमें 'नमामीशमीशान निर्वाणरूपम' सर्वोत्कृष्ट मानी जा सकती है।

webdunia

प्रार्थना भक्त द्वारा अपने प्रियतम इष्टदेव से निष्कपट आत्मनिवेदन है। यहां रूप-स्वरूप का बखान गौण होता है, महिमा के बखान की प्रमुखता होती है और प्रधानता होती है उस निजी आत्मभाव के प्रकाशन की जिसमें भक्त अपनी सांसारिक कमजोरियों, परेशानियों, कष्टों का अपने प्रभु को विवरण देता है और उनसे रक्षा करने का या उनका सामना करने के लिए शक्ति प्रदान करने का निवेदन करता है। प्रार्थना परमात्मा से आत्मा की बातचीत है। प्रार्थना लघुता द्वारा पूर्णता से अनुग्रह का आग्रह है।

प्रार्थना प्रभु और भक्त का आत्मीय वार्तालाप है। प्रार्थना निर्बल की पुकार है, प्रार्थना निराश मन द्वारा संबल की तलाश है, प्रार्थना सांसारिक झंझटों से उत्पन्न परवशता को परमात्मा के चरणों में समर्पित कर निश्चिंत हो जाने का प्रयास है। सरलतम शब्दों में, सर्वसुलभ और अनंत शांति प्रदायिनी प्रार्थना का श्रेष्ठ उदाहरण है- 'जय जगदीश हरे' की मार्मिक प्रार्थना, जो भक्तों द्वारा आरती के रूप में गाई जाती है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi