शिव तप के समय क्षुब्ध हो उठे और उनके नेत्रों से जल की कुछ बूंद धरती पर गिरी यही रुद्राक्ष के फल के रुप मे परिणित हुई। यह चार प्रकार के होते हैं एवं इनमें असीम शक्ति होती हैं।
रुद्राक्ष जितना छोटा होता हैं। उतना प्रभावशाली होता हैं। जिसमे पिरोने योग्य छेद न हो, टूटा हो, जिसे कीड़े ने खा लिया हो वह रुद्राक्ष नहीं धारण करना चाहिए।
शिवपुराण के अनुसार रुद्राक्ष कोई भी धारण कर सकता हैं। रुद्राक्ष चौदह प्रकार के होते हैं। उनका अलग-अलग फल एवं पहनने के मंत्र हैं।
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