श्रावण माह में सोमवार का दिन विशेष महत्व रखता है। सोमवार को शिव उपासना की कृपा प्राप्ति का द्वार माना गया है। जो देवों के भी देव हैं वही महादेव हैं अर्थात् भगवान शिव हैं। हालांकि वर्ष में प्रत्येक महीने शिव उपासना किसी न किसी रूप में चलती ही रहती है लेकिन पूरा श्रावण का महीना शिव उपासना का ही महीना कहलाता है।
श्रावण मास में आशुतोष भगवान शंकर की पूजा का विशेष महत्व है। जो प्रतिदिन पूजन न कर सकें उन्हें सोमवार को शिव पूजा अवश्य करनी चाहिए और व्रत रखना चाहिए।
सोमवार भगवान शंकर का प्रिय दिन है। अतः सोमवार को शिवाराधना करना चाहिए। भगवान शिव को आशुतोष कहते हैं। आशुतोष का अर्थ होता है तुरंत खुश या प्रसन्न होने वाले या तत्काल तुष्ट होने वाले देवता।
मासों में श्रावण मास भगवान शंकर को विशेष प्रिय है। और इस मास में भी सोमवार उन्हें अधिक प्रिय है। वैसे श्रावण मास में प्रतिदिन शिवोपासना का विधान है।
श्रावण में पार्थिव शिव पूजा अर्थात् पवित्र मिट्टी से शिवलिंग स्थापित कर उन पर विधिवत पूजन का विशेष महत्व है। अतः प्रतिदिन अथवा प्रति सोमवार तथा प्रदोष को शिव पूजा या पार्थिव शिव पूजा अवश्य करनी चाहिए।
इस मास में लघुरुद्र, महारुद्र अथवा अतिरुद्र पाठ कराने का भी विधान है।
श्रावण मास में जितने भी सोमवार पड़ते हैं उन सबमें शिवजी का व्रत किया जाता है।
इस व्रत में प्रातः गंगा स्नान अन्यथा किसी पवित्र नदी या सरोवर में अथवा विधिपूर्वक घर पर ही स्नान करके शिव मंदिर में जाकर स्थापित शिवलिंग का या अपने घर में पार्थिव मूर्ति बनाकर यथाविधि षोडशोपचार पूजन किया जाता है। यथासम्भव विद्वान आचार्यों से रुद्राभिषेक पूजन किया जाता है।
इस व्रत में श्रावण माहात्म्य और शिव महापुराण की कथा सुनने का विशेष महत्व है। पूजन के पश्चात संत एवं विद्वानों को भोजन कराकर एक बार ही भोजन करने का विधान है।
भगवान शिव का यह व्रत सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला है। जिन्होंने इस व्रत को किया वही इसका महत्व समझते हैं।
भारत की हर शिव-स्थली में इन दिनों रौनक बढ़ जाती है। विशेष रूप से कैलाश मानसरोवर, अमरनाथ, उज्जैन, वाराणसी, सोमनाथ, त्र्यंबकेश्वर, ॐकारेश्वर, रामेश्वरम, केदारनाथ आदि।