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इन 16 अंधविश्वासों से भारत बना वहमपरस्त

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हमें फॉलो करें इन 16 अंधविश्वासों से भारत बना वहमपरस्त
अंधविश्वास आपको कर्महीन और भाग्यवादी बनाते हैं। हमारे समाज में कुछ ऐसी मान्यताएं प्रचलित हैं जिन्हें अंधविश्वास कहा जाता है। हालांकि कुछ लोगों के लिए यह आस्था का सवाल हो सकता है। हम यह नहीं जानते कि सत्य क्या है, लेकिन इन अंधविश्वासों के कारण भारत की अधिकांश जनता वहमपरस्त बनकर निर्णयहीन, डरी हुई और धर्मभीरू बनी हुई है।
जो लोग अंधविश्वासों को मानते हैं वे डरे हुए ही जीवन गुजार देते हैं, लेकिन साहसी लोग अपनी बुद्धि और समझ पर भरोसा करते हैं। दूसरे वे लोग भी नहीं डरते हैं जिन्होंने किसी एक को अपना ईष्ट बना रखा है चाहे वह हनुमानजी हो या कालिका माता, राम हो या कृष्ण, शिव हो या विष्णु।
 
ढेरों विश्वास या अंधविश्वास हैं जिनमें से कुछ का धर्म में उल्लेख मिलता है और उसका कारण भी, लेकिन बहुत से ऐसे विश्वास हैं, जो लोक-परंपरा और स्थानीय लोगों की मान्यताओं पर आधारित हैं। हालांकि इनमें से कुछ विश्वासों को अनुभव पर आधारित माना जाता है। अनुभव भी बहुत कुछ सिखाता है।
 
* क्या आपको लगता है कि घर या अपने अनुष्ठान के बाहर नींबू-मिर्च लगाने से बुरी नजर से बचाव होगा?
* रात में किसी पेड़ के नीचे क्यों नहीं सोते?
* रात में बैंगन, दही और खट्टे पदार्थ क्यों नहीं खाते?
* अंजुली से या खड़े होकर जल नहीं पीना चाहिए?
* शनिवार को लोहा, तेल, काली उड़द आदि नहीं खरीदना चाहिए?
* चंद्र या सूर्य ग्रहण में बाहर नहीं निकलना?
* स्त्रियों को मंगलवार, शनिवार, अमावस्या और पूर्णिमा के दिन घर में ही रहना चाहिए?
 
इसी तरह के यहां प्रस्तुत हैं ऐसे 20 अंधविश्वास जिनसे रोज ही आपका सामना होता है या कि जो सीधे-सीधे आपके जीवन को प्रभावित करते हैं और जिनके प्रभाव को भी आपने आजमाया होगा। कहते हैं कि 'जो डर गया समझो मर गया'। अंधविश्वास का कारण है डर।
 
अगले पन्ने पर पहला अंधविश्वास...
 

* जूते-चप्पल उल्टे हो जाएं तो आप मानते हैं कि किसी से लड़ाई-झगड़ा हो सकता है?
-ऐसा माना जाता है कि घर के बारह रखे जूते या चप्पल यदि उल्टे हो जाएं तो उन्हें तुरंत सीधा कर देना चाहिए अन्यथा आपकी किसी से लड़ाई होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसा होने से बचने के लिए चप्पल उल्टी हुई है तो एक चप्पल से दूसरी चप्पल को मारकर सीधा रखने का अंधविश्वास है। इसी तरह जूते के साथ भी किया जाता है। 
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जूते से जुड़े अन्य अंधविश्वास :
* जूते या चप्पल को कई लोग नजर और अनहोनी से बचने का टोटका भी मानते हैं इसीलिए वे अपनी गाड़ी के पीछे निचले हिस्से में जूता लटका देते हैं।
* कुछ लोग मानते हैं कि शनिवार को किसी मंदिर में चप्पल या जूते छोड़कर आ जाने से शनि का बुरा असर समाप्त हो जाता है।
* जूता सुंघाने से मिर्गी का दौरा शांत हो जाता है।
 
अगले पन्ने पर दूसरा अंधविश्वास...
 

* क्या सपनों से शुभ और अशुभ संकेत मिलते हैं?
-बहुत से लोग अपने सपनों से डरते हैं। ज्योतिषाचार्य सपनों के शुभ और अशुभ फल बताते हैं। इस पर कई डरावनी किताबें भी लिखी गई हैं। लोग गीता पर कम, लेकिन उन डरावनी किताबों पर ज्यादा विश्वास करते है। यह अंधविश्वास लोगों के बीच बहुत प्रचलित है और लोग इसे मानते भी हैं कि बुरे सपने से बुरा होता है और अच्छे से अच्छा। सभी धर्मों में सपनों को महत्व दिया गया है।
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हालांकि योगानुसार सपने आपके शरीर, मन और चित्त की अवस्था के अनुसार जन्म लेते हैं। यह एक मनोवैज्ञानिक विषय है। सपनों से डरना मूर्खता है। यह आपके चित्त का विक्षेपण है। बुरे सपनों को यौगिक क्रियाओं से समाप्त किया जा सकता है।
 
सपनों के कई प्रकार होते हैं। सपने आपके बारे में बहुत कुछ कहते हैं। वे आपका आईना हैं। इसके अलावा सपनों की एक खासियत यह भी है कि वे आपको भविष्य से भी अवगत कराते हैं। हालांकि उसमें से कौन-सा सपना आपको भविष्य के बारे में बताता है, यह जानना मुश्किल है। लेकिन आप यदि गौर से अपने सपनों के मनोविज्ञान के बारे में सोचने लगेंगे तो धीरे-धीरे आपके सामने यह स्पष्ट होने लगेगा कि कौन से सपने का संबंध किस चीज से है।
 
व्यक्ति को अच्छे और बुरे दोनों प्रकार के सपने आते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार ये हमारे शरीर और मन की अवस्था के अनुसार आते हैं। यदि भारी और ठोस आहार खाया है तो बुरे सपने आने के चांस बढ़ जाते हैं। पेट खराब रहने की स्थिति में भी ऐसा होता है। यदि आपकी मानसिक स्थिति खराब है और नकारात्मक विचारों की अधिकता है, तब भी बुरे सपने आते हैं।
 
अगले पन्ने पर तीसरा अंधविश्वास...
 

* बिल्ली का रास्ता काटना, रोना और आपस में 2 बिल्लियों का झगड़ना अशुभ है?
-बिल्ली का रास्ता काटना : माना जाता है कि बिल्ली की छठी इन्द्री मनुष्यों की छठी इन्द्री से कहीं ज्यादा सक्रिय है जिसके कारण उसे होनी-अनहोनी का पूर्वाभास होने लगता है। हालांकि इसमें कितनी सचाई है, यह शोध का विषय हो सकता है।
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मान्यता अनुसार काली बिल्ली का रास्ता काटना तभी अशुभ माना जाता है जबकि बिल्ली बाईं ओर रास्ता काटते हुए दाईं ओर जाए। अन्य स्थ‌ित‌ियों में बिल्ली का रास्ता काटना अशुभ नहीं माना जाता है।
 
कुछ लोग कहते हैं कि जब बिल्ली रास्ता काटकर दूसरी ओर चली जाती है तो अपने पीछे वह उसकी नेगेटिव ऊर्जा छोड़ जाती है, जो काफी देर तक उस मार्ग पर बनी रहती है। खासकर काली बिल्ली के बारे में यह माना जाता है। हो सकता है कि प्राचीनकाल के जानकारों ने इसलिए यह अंधविश्वास फैलाया हो कि बिल्ली के रास्ता काटने पर अशुभ होता है।
 
बिल्ली का रोना : बिल्ली के रोने की आवाज बहुत ही डरावनी होती है। निश्‍चित ही इसको सुनने से हमारे मन में भय और आशंका का जन्म होता है। माना जाता है कि बिल्ली अगर घर में आकर रोने लगे तो घर के किसी सदस्य की मौत होने की सूचना है या कोई अनहोनी घटना हो सकती है।
 
बिल्ली का आपस में झगड़ना : बिल्लियों का आपस में लड़ना धनहानि और गृहकलह का संकेत है। यदि किसी के घर में बिल्लियां आपस में लड़ रही हैं, तो माना जाता है कि शीघ्र ही घर में कलह उत्पन्न होने वाली है। गृहकलह से ही धनहानि होती है।
 
बिल्ली से जुड़े अन्य अंधविश्वास :
* लोक मान्यता है कि दीपावली की रात घर में ब‌िल्ली का आना शुभ शगुन होता है।
* बिल्ली घर में बच्चे को जन्‍म देती है तो इसे भी अच्छा माना जाता है।
* किसी शुभ कार्य से कहीं जा रहे हों और बिल्ली मुंह में मांस का टुकड़ा लिए हुए दिखाई दे तो काम सफल होता है।
* लाल किताब के अनुसार बिल्ली को राहु की सवारी कहा गया है। जिस जातक की कुंडली में राहु शुभ नहीं है उसे राहु के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए ब‌िल्ली पालना चाहिए।
* लाल क‌िताब के टोटके के अनुसार बिल्ली की जेर को लाल कपड़े में लपेटकर बाजू पर बांधने से कालसर्प दोष से बचाव होता है। ऊपरी चक्कर, नजर दोष, प्रेत बाधा इन सभी में ब‌िल्ली की जेर बांधने से लाभ मिलता है।
* यदि सोए हुए व्यक्ति के ‌स‌िर को बिल्ली चाटने लगे तो ऐसा व्यक्ति सरकारी मामले में फंस सकता है।
* बिल्ली द्वारा पैर चाटना निकट भविष्य में बीमार होने का संकेत होता है।
* ब‌िल्ली ऊपर से कूदकर चली जाए तो तकलीफ सहनी पड़ती है।
* यदि आप कहीं जा रहे हैं और बिल्ली आपके सामने कोई खाने वाली वस्तु लेकर आए और म्याऊं बोले तो अशुभ होता है। यही क्रिया आपके घर आते समय हो तो शुभ होता है।
 
अगले पन्ने पर चौथा अंधविश्वास...
 

* कुत्ते के रोने को अशुभ क्यों माना जाता है?
-कुत्ते का रोना अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि घर के सामने घर की ओर मुंह करके कोई कुत्ता रोए तो उस घर पर किसी प्रकार की विपत्ति आने वाली है या घर के किसी सदस्य की मौत होगी।
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कुत्ते से जुड़े अन्य अंधविश्वास :
* मान्यता है कि घर के सामने सुबह के समय यदि कुत्ता रोए तो उस दिन कोई भी महत्वपूर्ण कार्य नहीं करना चाहिए। यदि किसी मकान की दीवार पर कुत्ता रोते हुए पंजा मारता दिखे तो समझा जाता है कि उक्त घर में चोरी हो सकती है या किसी अन्य तरह का संकट आ सकता है।
* यदि कोई व्यक्ति किसी के अंतिम संस्कार से लौट रहा है और साथ में उसका कुत्ता भी आया है तो उस व्यक्ति की मृत्यु की आशंका रहती है अथवा उसे कोई बड़ी विपत्ति का सामना करना पड़ सकता है।
* माना जाता है कि पालतू कुत्ते के आंसू आए और वह भोजन करना त्याग दे तो उस घर पर संकट आने की सूचना है।
* आप किसी कार्य से बाहर जा रहे हैं और कुत्ता आपकी ओर देखकर भौंके तो आप किसी विपत्ति में फंसने वाले हैं, ऐसे में उक्त जगह नहीं जाना ही उचित माना जाता है।
* घर से निकलते समय यदि कुत्ता अपने शरीर को कीचड़ में सना हुआ दिखे और कान फड़फड़ाए तो यह बहुत ही अपशकुन है। ऐसे समय में कार्य और यात्रा रोक देनी चाहिए।
* कुत्ता यदि सामने से हड्डी अथवा मांस का टुकड़ा लाता हुआ नजर आए तो अशुभ है।
* संभोगरत कुत्ते को देखना भी अशुभ माना गया है, क्योंकि इससे आपके कार्य में बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं और परिवार में झगड़ा हो सकता है।
* यदि किसी के दरवाजे पर लगातार कुत्ता भौंकता है तो परिवार में धनहानि या बीमारी आ सकती है। 
* मान्यता है कि कुत्‍ता अगर आपके घुटने सूंघे तो आपको कोई लाभ होने वाला है।
* यदि आप भोजन कर रहे हैं और उसी समय कुत्ते का रोना सुनाई दे, तो यह बेहद अशुभ होता है।
 
अगले पन्ने पर पांचवां अंधविश्वास...
 

* जाते समय अगर कोई पीछे से टोक दे या छींक दे तो आप क्यों चिढ़ जाते हैं?
* घर से बाहर निकलते वक्त अपना दायां पैर ही पहले क्यों बाहर निकालते हैं?
 
- यदि आप किसी प्रयोजन से जा रहे हैं और कोई टोक दे अर्थात पूछे कि कहां जा रहे हो? या कहे कि चाय पीकर जाओ या कुछ और कह दे तो जिस कार्य के लिए आप कहीं जा रहे हैं उस कार्य में असफलता ही मिलेगी।
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हालांकि किसी विशेष कार्य के लिए जाते समय गाय, बछड़ा, बैल, सुहागिन, मेहतर और चूड़ी पहनाने वाला दिखाई दे अथवा रास्ता काट जाए तो यह शुभ शकुन कार्य सिद्ध करने वाला होता है। इसके अलावा घर से बाहर निकलते वक्त दायां पैर पहले रखने से कार्य में सफलता के चांस बढ़ जाते हैं।
 
अगले पन्ने पर छठा अंधविश्वास...
 

* बांस को जलाने से क्या वंश नष्ट हो जाता है?
* प्राचीनकाल से ही बांस की उपयोगिता रही है। इससे जहां घर बनते थे वहीं इससे टोकरियां, बिछात और बांसुरियां भी बनाई जाती थीं। बांस मनुष्य जीवन के लिए बहुत ही उपयोगी माने गए हैं। लोग इनका उपयोग जलाने की लकड़ी की तरह नहीं करें, शायद इसीलिए यह अफवाह फैलाई गई कि बांस जलाने से वंश नष्ट होता है।
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बांस प्रतिकूल परिस्थितियों में भी भरपूर वृद्धि का प्रतिनिधित्व करते हैं और किसी भी प्रकार के तूफानी मौसम का सामना करने का सामर्थ्य रखने के प्रतीक हैं। यह पौधा अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक है। 
 
हालांकि बांसों की रगड़ से कभी-कभी आग लग जाती है तो सारे बांस अपनी ही आग में जल जाया करते थे जिससे बांसों की पहले से ही कमी हो जाती थी। ऐसे में बांसों को बचाना और भी जरूरी हो जाता है। आजकल तो अगरबत्तियों में भी बांस का उपयो‍ग किया जाता है।
 
बांस से जुड़े अन्य अंधविश्वास :
* फेंगशुई में लंबी आयु के लिए बांस के पौधे बहुत शक्तिशाली प्रतीक माने जाते हैं। यह अच्छे भाग्य का भी संकेत देता है इसलिए आप बांस के पौधों का चित्र लगाकर उन्हें शक्तिशाली बना सकते हैं।
 
अगले पन्ने पर सातवां अंधविश्वास...
 

* किसी दिन विशेष को बाल कटवाने या दाढ़ी बनवाने से परहेज क्यों करते हैं?
-अधिकतर लोग मानते हैं कि मंगलवार व शनिवार को बाल नहीं कटवाना चाहिए। अधिकतर लोग गुरुवार के दिन ऐसा करने से परहेज करते हैं। 
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ज्योतिष के अनुसार मंगलवार का खासा मह‍त्व है। यह हनुमानजी का दिन है और मंगलवार का कारक ग्रह हैं मंगलदेव। मंगल ग्रह को क्रूर ग्रह माना जाता है। उसी तरह शनिवार का भी महत्व है। दूसरी ओर गुरुवार को मंदिर जाने का दिन और देवताओं का विशेष दिन होता है इसलिए ऐसा नहीं करते हैं। कहते हैं कि मंगलवार को नाखून काटना गलत है।
 
कुछ लोग मानते हैं कि गुरुवार को बाल कटवाने से पुत्र को कष्ट होता है। इसी तरह अन्य दिनों के बारे में भी मान्यता है। शनिवार को बाल कटवाने से राहु का प्रकोप लगता है, जो आपको अपराध की ओर धकेलता है। लेकिन इन मान्यताओं में कितना दम है यह कोई नहीं जानता। ये सभी ज्योतिष की धारणाओं पर आधारित हैं।
 
अगले पन्ने पर आठवां अंधविश्वास...
 

* सूर्यास्त के बाद झाडू क्यों नहीं लगाते और झाड़ू को खड़ा क्यों नहीं रखते?
-झाड़ू को हिन्दू धर्म में लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। मान्यता है कि संध्याकाल और रात में झाड़ू लगाने से लक्ष्मी चली जाती है और व्यक्ति के बुरे दिन शुरू हो जाते हैं। झाड़ू को खड़ा करके रखने पर घर में कलह होती है।
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इस मान्यता के कारण लोग रात में झाड़ू नहीं लगाते और झाड़ू को खड़ा करके नहीं रखते हैं। झाड़ू और पोंछे को घर में प्रवेश करने वाली बुरी अथवा नकारात्मक ऊर्जाओं को नष्ट करने का प्रतीक भी माना जाता है।
 
झाड़ू से जुड़े अन्य अंधविश्वास :
* कुछ विद्वानों का मानना है कि दिनभर घर में जो ऊर्जा इकट्ठी हो गई है उसे रात में बाहर करना ठीक नहीं।
* खुले स्थान पर झाड़ू रखना अपशकुन माना जाता है इसलिए इसे छिपाकर रखा जाता है। जिस प्रकार धन को छुपाकर रखते हैं उसी प्रकार झाड़ू को भी। वास्तु विज्ञान के अनुसार जो लोग झाड़ू के लिए एक नियत स्थान बनाने की बजाय कहीं भी रख देते हैं, उनके घर में धन का आगमन प्रभावित होता है। इससे आय और व्यय में असंतुलन बना रहता है। आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 
* भोजन कक्ष में झाड़ू भूलकर भी न रखें। मान्यता के अनुसार इससे अनाज खत्म होने और इंकम के रुक जाने का डर बना रहता है।
* घर के बाहर दरवाजे के सामने झाड़ू उल्टी करके रखने से यह चोर और बुरी ताकतों से आपके घर की रक्षा करती है। यह काम केवल रात के समय किया जा सकता है। दिन के समय झाड़ू छिपाकर रखना चाहिए ताकि किसी को नजर न आए।
* अगर कोई बच्चा अचानक झाड़ू लगाने लगे तो समझना चाहिए आपके घर में अनचाहा मेहमान आने वाला है।
* घर में नमक मिले पानी से पोंछा लगाने से घर से नकारात्मकता खत्म हो जाएगी। बुरी ताकतें बेअसर हो जाती हैं।
* गुरुवार को घर में पोंछा न लगाएं, ऐसा करने से लक्ष्मी रूठ जाती हैं। गुरुवार को छोड़कर घर में रोज पोंछा लगाने से लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
* जो लोग किराए से रहते हैं वे नया घर किराए पर लेते हैं अथवा अपना घर बनवाकर उसमें गृह प्रवेश करते हैं तब इस बात का ध्यान रखें कि आपकी झाड़ू पुराने घर में न रह जाए। मान्यता है कि ऐसा होने पर लक्ष्मी पुराने घर में ही रह जाती है और नए घर में सुख-समृद्घि का विकास रुक जाता है। 
 
अगले पन्ने पर नौवां अंधविश्वास...
 

* क्या बंदर का सुबह-सुबह मुंह देखने से खाना नहीं मिलता?
-ऐसी मान्यता है कि सुबह-सवेरे बंदर के दर्शन हो जाने के बाद दिनभर खाना नसीब नहीं होता। बंदर से जुड़ी ऐसे कई शुभ और अशुभ मान्यताएं हैं।
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बंदर से जुड़े अंधविश्वास : 
* जाते वक्त बंदर बाईं ओर दिखे तो यह शुभता का प्रतीक है। कार्य में सफलता मिलेगी।
* संध्याकाल में यात्रा के लिए निकले और बंदर दिखाई पड़े तो आपकी यात्रा मंगलमय होगी।
* बंदर का दाहिनी ओर तथा बिल्ली का बाईं ओर दिखना शुभ होता है।
 
अगले पन्ने पर दसवां अंधविश्वास...
 

* किसी सुनसान स्थान पर पेशाब कर देने से क्या भूत लग जाता है?
-ऐसी मान्यता है कि किसी सुनसान या जंगल की किसी विशेष भूमि कर पेशाब कर देने से भूत पीछे लग जाता है। मान्यता के अनुसार वहां कोई आत्मा निवास कर रही हो और आपने वहां जाकर पेशाब कर दिया हो तो?
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ऐसे में कुछ लोग पहले थूकते हैं फिर पेशाब करते हैं और कुछ लोग कोई मंत्र वगैरह पढ़कर ऐसा करते हैं। जैन धर्म के अनुसार पेशाब करने के बाद कहा जाता है कि भगवान शकेंद्रनाथ की आज्ञा से ऐसा किया गया। कुछ लोग यह कहने के बाद पेशाब करते हैं- उत्तम धरती मध्यम काया, उठो देव मैं मूतन आया।
 
अन्य मान्यता :
* नदी, पूल या जंगल की पगडंडी पर पेशाब नहीं करते। 
* मान्यता के अनुसार एकांत में पवित्रता का ध्यान रखते हैं और पेशाब करने के बाद धेला अवश्य लेते हैं। उचित जगह देखकर ही पेशाब करते हैं।
* भोजन के बाद पेशाब करना और उसके बाद बाईं करवट सोना बड़ा हितकारक है।
 
अगले पन्ने पर ग्यारहवां अंधविश्वास...
 

किया-कराया या टोना-टोटका : कई लोग अपने संकट को दूर करने और जीवन में धन, संपत्ति, सफलता, नौकरी, स्त्री और प्रसिद्धि पाने के लिए किसी यंत्र, मंत्र या तंत्र या टोने-टोटके का सहारा लेते हैं लेकिन ये लोग बाद में पछताते हैं।
 
* चौराहे पर लोग नींबू काटकर क्यों रखते हैं?
* चौराहे पर रखे टोटकों को ठोकर मारने वाला मुसीबत में पड़ जाता है?
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कई ऐसे बुरे लोग भी हैं, जो किसी का बुरा करने के लिए जादू-टोने आदि का सहारा लेते हैं। समाज में ऐसे कई मुस्लिम फकीर और हिन्दू बाबा अपना प्रचार करते हुए मिल जाएंगे, जो यह दावा करते हैं कि किसी भी प्रकार का किया-कराया जैसे भूत-प्रेत, जादू-टोना, बंधन, संतान प्राप्ति, सौतन या दुश्मन से छुटकारा, प्रेम विवाह, मूठकरनी, वशीकरण आदि सभी प्रकार का कार्य कर देंगे।
 
उत्तर भारत में ऐसे कई बंगाली बाबा और ज्योतिष हैं जिनके कारण समाज में अंधविश्वास फैल रहा है। इन्हें रोकने वाला कोई नहीं, क्योंकि ये लोकल चैनलों को विज्ञापन देते रहते हैं और इनकी कोई शिकायत करने वाला भी नहीं होता। यही कारण है कि इस तरह के लोगों की संख्या बढ़ती ही जा रही है।
 
मंत्र तक बात समझ में आती है लेकिन तंत्र और यंत्र में भी लोग भरोसा करते हैं। कई बार लोग किसी तांत्रिक के चक्कर में उलझकर पैसा, समय और जिंदगी बर्बाद कर लेते हैं। अखबारों, लोकल टीवी चैनलों पर कई तरह के बाबाओं, तांत्रिकों और ज्योतिषियों आदि के लुभावने विज्ञापनों के जाल में फंसकर लोग अपना धन लुटा आते हैं। बाद में ये ही लोग डर के मारे किसी बाबा के गुलाम भी बन जाते हैं।
 
अगले पन्ने पर बारहवां अंधविश्वास...
 

चंगाई सभा के माध्यम से धर्मांतरण : आजकल दुनियाभर में ईसाई धर्म के प्रचार और प्रसार के तरीके बदल गए हैं। भारत में जहां चंगाई सभा करके लोगों को गंभीर से गंभीर रोग ठीक करने का दावा किया जाता है, वहीं पश्चिम में उत्तेजनापूर्ण भाषणों से लोगों को ईसाई धर्म से जोड़े रखने का उपक्रम किया जाता है। हालांकि इस तरह के ठगने के कार्य हिन्दू धर्म में भी किए जाते हैं। संत आसाराम, संत निर्मल बाबा जैसे कई लोग इसका उदाहरण हैं।
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'चंगाई' में ईसाई पादरी और सिस्टर्स गरीबों और मरीजों को इकट्ठा करते हैं। नेटवर्किंग की तरह यह कार्य होता है और फिर वे ईश्‍वर की प्रार्थना और सम्मोहन की आड़ में लोगों को ठीक करने का दावा करते हैं। गरीब, भोली या मूर्ख हिन्दू जनता इनके छलावे में आ जाती है।
 
उसमें से कई तो मनोवैज्ञानिक खेल के प्रभाव में आकर फौरी तौर पर ठीक होने का दावा करते हैं, लेकिन बाद में वे फिर से ‍वैसे ही बीमार हो जाते हैं। चंगाई सभा की भीड़ में अंतत: धर्मांतरण का खेल खेला जाता है। ये चंगाई सभा अधिकतर आदिवासी, ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में होती है। हालांकि अब तो टीवी चैनलों पर इसका जोर-शोर से प्रचार भी किया जाने लगा है।
 
अगले पन्ने पर तेरहवां अंधविश्वास...
 

झाड़-फूंक : झाड़-फूंक कर लोगों का भूत भगाने या कोई बीमारी का इलाज करने, नजर उतारने या सांप के काटे का जहर उतारने का कार्य ओझा लोग करते थे। यह कार्य हर धर्म में किसी न किसी रूप में आज भी पाया जाता है।
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पारंपरिक समाजों में ऐसे व्यक्ति को 'ओझा' कहा जाता है। कुछ ऐसे दिमागी विकार होते हैं, जो डॉक्टरों से दूर नहीं होते हैं। ऐसे में लोग पहले ओझाओं का सहारा लेते थे। ओझा की क्रिया द्वारा दिमाग पर गहरा असर होता था और व्यक्ति के मन में यह विश्वास हो जाता था कि अब तो मेरा रोग और शोक ‍दूर हो जाएगा। यह विश्वास ही व्यक्ति को ठीक कर देता था।
 
अगले पन्ने पर चौदहवां अंधविश्‍वास...
 

नींबू और मिर्च : दुकानों के दरवाजों पर नींबू और हरी मिर्च को एक धागे में बांधकर लटकाया जाता है। इसे 'नजरबट्‍टू' कहते हैं। माना जाता है कि इससे किसी भी प्रकार की नजर-बाधा और जादू-टोने से बचा जा सकता है। हालांकि आयुर्वेद में नींबू को एक चमत्कारिक दवाई माना जाता है।
 
मान्यता के अनुसार बुरी नजर लगने के बाद व्यक्ति का चलता व्यवसाय बंद हो जाता है, घर में बरकत समाप्त हो जाती है। इसके चलते जहां पैसों की तंगी आ जाती है, वहीं स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी उत्पन्न हो सकती हैं।
 
इससे बचने के लिए दुकानों और घरों के बाहर नींबू-मिर्च टांग दी जाती है। ऐसा करने से जब बुरी नजर वाला व्यक्ति इसे देखता है तो नींबू का खट्टा और मिर्च का तीखा स्वाद बुरी नजर वाले व्यक्ति की एकाग्रता को भंग कर देता है। यह बुरी नजर से बचने का उपाय है।
 
नींबू का वास्तु : माना जाता है कि नींबू का पेड़ होता है, वहां किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा सक्रिय नहीं हो पाती है। नींबू के वृक्ष के आसपास का वातावरण सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रहता है। इसके साथ वास्तु के अनुसार नींबू का पेड़ घर के कई वास्तुदोष भी दूर करता है।
 
अगले पन्ने पर पंद्रहवां अंधविश्वास...
 

गंडा-ताबीज या भभूति : किसी की बुरी नजर से बचने, भूत-प्रेत या मन के भय को दूर करने या किसी भी तरह के संकट से बचने के लिए गंडे-ताबीज का उपयोग किया जाता है। गंडा-ताबीज करना प्रत्येक देश और धर्म में मिलेगा। चर्च, दरगाह, मस्जिद, मंदिर, सिनेगॉग, बौद्ध विहार आदि सभी के पुरोहित लोगों को कुछ न कुछ गंडा-ताबीज देकर उनके दुख दूर करने का प्रयास करते रहते हैं। हालांकि कई तथाकथित बाबा, संत और फकीर ऐसे हैं, जो इसके नाम पर लोगों को ठगते भी हैं। 
 
विश्वास का खेल : यदि आपके मन में विश्वास है कि यह गंडा-ताबीज मेरा भला करेगा तो निश्चित ही आपको डर से मुक्ति मिल जाएगी। मान्यता है कि नाड़ा बांधने या गले में ताबीज पहनने से सभी तरह की बाधाओं से बचा जा सकता है, लेकिन इन गंडे-ताबीजों की पवित्रता का विशेष ध्यान रखना पड़ता है अन्यथा ये आपको नुकसान पहुंचाने वाले सिद्ध होते हैं। जो लोग इन्हें पहनकर शराब आदि का नशा करते हैं या किसी अपवित्र स्थान पर जाते हैं उनका जीवन कष्टमय हो जाता है।
 
अगले पन्ने पर सोलहवां अंधविश्‍वास...
 

ज्योतिषी विज्ञान या अंधविश्वास : क्या ज्योतिषी या लाल किताब के उपाय से व्यक्ति का भाग्य बदल सकता है?
भाग्यवादी मुल्क में कर्म के विज्ञान को समझने वाले अब नहीं रहे। आजकल ज्योतिषी और लाल किताब का प्रचलन बढ़ गया है। लोग भारतीय ज्योतिष के अलावा अब पाश्चात्य और चीनी ज्योतिष में भी विश्वास करने लगे हैं। इसके अलावा टैरो कार्ड और न जाने कौन-कौन-सी ज्योतिषी विद्या प्रचलन में आ गई है। इसका मतलब यह कि अब वहम का विस्तार हो गया है और धर्म पीछे छूट गया है।
 
अंगूठा शास्त्र, राशियां, कुंडलिनी, लाल किताब आदि असंख्‍य तरह की ज्योतिषी धारणा के चलते लाखों ज्योतिषी पैदा हो गए हैं और सभी ज्योतिषी लोगों का भविष्य सुधारने और बताने का व्यापार कर रहे हैं। यह विद्या कितनी वैज्ञानिक है, इस पर तो अभी शोध होना बाकी है।
 
लेकिन इस विद्या के माध्यम से अब वह सबकुछ पाखंड रचा जा रहा है, जो कि धर्म की प्रतिष्ठा को गिराता है। आज हिन्दू धर्म की प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता दांव पर लगी हुई है। लाखों लुटेरे पैदा हो गए हैं। सब मनमानी व्याख्‍याएं करके धर्म को बर्बाद करने में लगे हैं। जो खुद भटके हुए हैं, वे क्या लोगों को राह दिखाएंगे? आजकल तो ग्रहों को सुधारने के लिए कुछ ज्योतिष यह भी बताने लगे हैं कि कौन-से विटामिन की वस्तु का सेवन करना चाहिए और कौन-सी नहीं। 
 
हालांकि उन्हें अंगूठी बेचना है। दुनियाभर में अंगूठी पहनने का प्रचलन है। ज्यादातर लोग राशि अनुसार अंगूठी पहनते हैं। इन लोगों का विश्वास है कि इससे हमारे बुरे दिन मिट जाएंगे और अच्छे दिन शुरू हो जाएंगे। बहुत से लोग अंगूठी पहने की परंपरा को रत्न विज्ञान कहते हैं।
 
प्राचीनकाल और मध्यकाल की शुरुआत में लोग इसे आभूषण के रूप में ही पहनते थे लेकिन आजकल ये ग्रह-नक्षत्रों को सुधारने की वस्तु बन गए हैं। ग्रह-नक्षत्रों की अनुकूलता और उन्हें शांत करने के लिए लोग अंगूठी रत्न के अलावा यंत्र और माला को भी धारण करते हैं। अंगूठी एक आभूषण है जिसे अंगुली में पहना जाता है।

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