Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

हिन्दू संतों को क्यों और कैसे दी जाती है भू समाधि, 4 खास बातें

हमें फॉलो करें हिन्दू संतों को क्यों और कैसे दी जाती है भू समाधि, 4 खास बातें

अनिरुद्ध जोशी

, बुधवार, 22 सितम्बर 2021 (12:50 IST)
समाधि एक बहुत ही पवित्र और अध्यात्मिक शब्द है। इसका संबंध किसी मरने वाले से नहीं है बल्कि मोक्ष, कैवल्य, स्थितप्रज्ञ, निर्वाण प्राप्त व्यक्ति से है। शिवजी हमेशा समाधि में लीन रहते है। अत: इस शब्द का संबंध किसी मरने वाले के क्रिया कर्म के तरीके से नहीं है। किसी का दाह संस्कार किया जाता है तो उसे अग्निदाग या अग्निदाह कहते हैं, इसी तरह जलदाग होता है और इसी तरह भूदाग या मिट्टीदाग होता है जिसे प्रचलति भाषा में भू-समाधि कहते हैं।
 
1. क्यों दी जाती है भू-समाधि : सनातन हिन्दू धर्म में बच्चे को दाफनाया और साधुओं को समाधि दी जाती है जबकि सामान्यजनों का दाह संस्कार किया जाता है। इसके पीछे कई कारण है। साधु और बच्चों का मन और तन निर्मल रहता है। साधु और बच्चों में आसक्ति नहीं होती है। शास्त्रों के अनुसार 5 वर्ष के लड़के तथा 7 वर्ष की लड़की का दाहकर्म नहीं होता बल्कि उन्हें भूमि में शवासन की अवस्था में दफनाया जाता है।
 
साधु को समाधि इसलिए भी दी जाती है क्योंकि ध्यान और साधना से उनका शरीर एक विशेष उर्जा और ओरा लिए हुए होता है इसलिए उसकी शारीरिक ऊर्जा को प्राकृतिक रूप से विसरित होने दिया जाता है। साधुजन ही जल समाधि भी लेते हैं। जबकि आम व्यक्ति को इसलिए दाह किया जाता है क्योंकि यदि उसकी अपने शरीर के प्रति आसक्ति बची हो तो वह छूट जाए और दूसरा यह कि दाह संस्कार करने से यदि किसी भी प्रकार का रोग या संक्रमण हो तो वह नष्ट हो जाए।
 
 
2. साधुओं को कैसे देते हैं भू-समाधि : शैव, नाथ, दशनामी, अघोर और शाक्त परंपरा के साधु-संतों को भू समाधि देते हैं। भू समाधि में पद्मासन या सिद्धिसन की मुद्रा में बिठाकर भूमि में दफनाया जाता है। महंत नरेंद्र गिरि की समाधि भी इसी तरह होगी। गिरि शैव पंथ के दसनामी संप्रदाय से संबंध रखते हैं। अक्सर गुरु की समाधि के बगल में ही शिष्य को भू समाधि देते हैं। नरेंद्र गिरि को प्रयागराज में ही पूजा– अर्चना के बाद उनके ही गुरु की समाधि के बगल में भू समाधि दी जाएगी। अक्सर यह समाधि मठ में ही होती है या विशेष स्थान पर दी जाती है।
2. अग्नि संस्कार भी होता है : हालांकि कई वैष्णव, स्मार्त और कई अन्य बड़े संप्रदाय के संतों का अग्नि संस्कार होता है। 
 
3. जीवित समाधि : कालांतर में कई सिद्ध संतों ने जीवित समाधि भी ली है। जीवित अर्थात जिंदा रहते ही योग क्रिया के द्वारा प्राण को ब्रह्मरंध में स्थापित करके भू समाधि ले लेना। उदाहरणार्थ राजस्थान के संत रामसा पीर ने जीवित समाधि ले ली थी।
4. जल समाधि : प्राचीनकाल में ऋषि और मुनि जल समाधि ले लेते थे। कई ऋषि तो हमेशा के लिए जल समाधि ले लेते थे तो कई ऋषि कुछ दिन या माह के लिए जल में तपस्या करने के लिए समाधि लगाकर बैठ जाते थे। भगवान श्रीराम ने सभी कार्यों से मुक्त होने के बाद हमेशा के लिए सरयु के जल में समाधि ले ली थी।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

22 सितंबर : गुरु नानक देव ने सिख धर्म की स्थापना की थी, जानिए 10 तथ्य