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यदि कोई महिला रखती हैं खुले बाल तो होती है बर्बादी

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, शनिवार, 11 जुलाई 2020 (12:20 IST)
भारतीय संस्कृति में कब खुले बाल रखना चाहिए और कब नहीं यह समाज में प्रचलित धारण है। प्राचीनकाल से ही यह धारणा व्याप्त है कि खुले बाल रखना अमंगल का प्रतीक है। भारत में कोई भी महिला खुले बाल नहीं रखती है। हालांकि वर्तमान समय में पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से महिलाएं बाल कटवाने और खुले बाल रखने लगी हैं। यह कितना सही है या नहीं है यह तो हम नहीं जानते हैं लेकिन इस संबंध में प्रचलित मान्यता जरूर पढ़ें।
 
क्या होता है खुले बाल रखने से?
1. महिलाओं के लिए केश विन्यास अत्यंत आवश्यक है उलझे एवं बिखरे हुए बाल अमंगलकारी कहे गए हैं। कैकेई का कोपभवन में बिखरे बालों में रुदन करने से अयोध्या का अमंगल हो गया था।
 
2. कहते हैं कि खुले बाल रखने से महिलाओं की सोच और आचरण भी स्वछंद होने लगते हैं। यही नियम पुरुषों पर भी लागू होता है। जो पुरुष बड़े-बड़े खुले और लहराते हुए बाल रख लेते हैं उनकी मानसिक स्थिति भी बदल जाती है।
 
3. समाज में ऐसी मान्यता प्रचलित हैं कि बालों के द्वारा बहुतसी तन्त्र क्रियाएं होती हैं। कोई महिला खुले बाल करके निर्जन स्थान या अशुद्ध स्‍थान से गुजरती है तो उसके किसी अनजान शक्ति के वश में होने की संभावना बढ़ जाती है। खुले बाल रखने से अनजान शक्तियां आकर्षित होती हैं।
 
4. इंग्लैंड के डॉ. स्टैनले और अमेरिका के स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. गिलार्ड थॉमस ने पश्चिम देश की महिलाओं की बड़ी संख्या पर निरीक्षण के आधार पर लिखा कि केवल 4 प्रतिशत महिलाएं ही शारीरिक रूप से पत्नी या मां बनने के योग्य है शेष 96 प्रतिशत स्त्रियां बाल कटाने के कारण पुरुष भाव को ग्रहण कर लेने के कारण मां बनने के लिए अयोग्य होती हैं।
 
 
महिलाएं कब कटवां सकती हैं बाल?
1. बालाजी जैसे स्थान पर किसी मन्नत या संकल्प आदि के चलते केश मुंडन करवा सकती हैं। मुण्डन या बाल कटाने के बाद शुद्ध स्नान आवश्यक बताया गया है।
2. भारत में कई जगहों पर महिलाएं जब विधवा हो जाती हैं तब उनका केश मुंडन करवाया जाता है या बालों को छोटा किया जाता है।
3. महिलाएं जब संन्यास ग्रहण करती हैं तब उनका केश मुंडन कराया जाता है। 
4. किसी प्रकार का कोई रोग हो या बीमारी हो तो चिकित्सक की सलाह पर भी केश मुंडन कराया जा सकता है। 

 
महिलाएं कब रख सकती हैं खुले बाल?
1. एकांत में केवल अपने पति के लिए इन्हें खोल सकती हैं।
2. पति से वियुक्त तथा शोक में डुबी हुई स्त्री ही बाल खुले रखती हैं जैसे अशोक वाटिका में सीता। 
3. रजस्वला स्त्री खुले बाल रख सकती हैं बशर्ते कि वह नियमों का पालन करती हों।
4. स्नान के पश्चात तब तक बाल खुले रखे जा सकते हैं जब तक की वह सूख न जाएं।

 
बालों पर अन्य मान्यताएं :
1. स्नान पश्चात बालों में तेल लगाने के बाद उसी हाथ से शरीर के किसी भी अंग में तेल न लगाएं।
2. भोजन आदि में बाल आ जाए तो उस भोजन को त्याग दिया जाता है।
3. गरुड़ पुराण के अनुसार बालों में काम का वास रहता है।
 
4. बार-बार बालों का स्पर्श करना दोष कारक है क्योंकि बालों को अशुद्ध माना गया है इसलिए कोई भी जप अनुष्ठान, चूड़ाकरण, यज्ञोपवीत, आदि शुभाशुभ कृत्यों में क्षौरकर्म कराया जाता है तथा शिखा-बंधन करने के पश्चात हस्त प्रक्षालन कर शुद्ध किया जाता है।
 
5. विद्वानों के अनुसार कहा जाता है कि ऋषि-मुनियों ने शोधकर यह अनुभव किया कि सिर के काले बाल को पिरामिड नुमा बनाकर सिर के ऊपरी ओर या शिखा के ऊपर रखने से वह सूर्य से निकली किरणों को अवशोषित करके शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं, जिससे चेहरे की आभा चमकदार, शरीर सुडौल व बलवान होता है। हालांकि इस पर शोध किए जाने की आवश्यकता है।
 
6. रामायण में बताया गया है कि जब देवी सीता का श्रीराम से विवाह होने वाला होता है, उस समय उनकी माता सुनयना ने उनके बाल बांधते हुए उनसे कहा था, 'विवाह उपरांत सदा अपने केश बांध कर रखना' क्योंकि सौभाग्यवती स्त्री के बालों को सम्मान की निशानी माना गया है। बंधे हुए लंबे बाल आभूषण सिंगार होने के साथ-साथ संस्कार व मर्यादा में रहना सिखाते हैं।
 
7. आज भी किसी लंबे अनुष्ठान, नवरात्रि पर्व, श्रावण मास तथा श्राद्ध पर्व आदि में नियमपूर्वक बाल रक्षा कर शक्ति अर्जन किया जाता है। ऋषि-मुनियों व साध्वियों ने हमेशा बाल को बांध कर ही रखा।

 
महिलाओं के बालों को छेड़ने का परिणाम :
1. रामायण में जब माता सीता का रावण हरण करता है तो उन्हें केशों से पकड़कर अपने पुष्पक विमान में ले जाता है। इसके परिणाम स्वरूप उसका और उसके वंश का नाश हो जाता है।
 
2. महाभारत में द्रोपदी को दुर्योधन का भाई दुःशासन उसके बाल पकड़कर खींचकर भरी सभा में लाता है। इस पर द्रोपदी ने प्रतिज्ञा ली थी कि अब यह बाल तभी बंधेंगे जबकि दु:शासन के रक्त से इसे धोया जाएगा। परिणाम स्वरूप कौरवों का वंश नष्ट हो गया था।
 
3. कंस ने देवकी की आठवीं संतान को जब बालों से पकड़कर भूमि पर पटककर मारना चाहा तो वह उसके हाथों से छूटकर महामाया के रूप में प्रकट हो गई। इसके परिणाम स्वरूप कंस के संपूर्ण कुल का नाश हो गया।
 
इस तरह कई उदाहरण है कि जब भी किसी महिला के उसकी इच्छा के विरुद्ध उसके बाल पकड़े गए तो उस व्यक्ति के कुल का नाश हो गया था। ऐसे कई कारण है जिसके चलते भारतीय संस्कृति में बालों को बहुत महत्व दिया जाता है। इसे सम्मान और संस्कार का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए इसे सलिके से रखना जरूरी है।

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