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जयंतियों से भरपूर रहा मई

- डॉ. गोविंद बल्लभ जोशी

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यद्यपि वर्ष भर में प्रत्येक महीने किसी देवी-देवता एवं महापुरुष की जयंती आती है जिसे मठ-मंदिरों एवं आश्रमों में भव्यता के साथ मनाया जाता है, लेकिन वैशाख का शुक्ल पक्ष तो जयंतियों से भरा हुआ होता है। जिसमें अक्षय तृतीया को नर-नारायण जयंती, हयग्रीव जयंती एवं परशुराम जयंती मनाई जाती है जिसमें अनेक आध्यात्मिक कार्यक्रम संपन्न हुए।

इसके बाद आती है पंचमी को वेदांत दर्शन के उद्धारक आदि शंकराचार्य की जयंती एवं भक्त कवि सूरदास जी की जयंती, इसके ठीक दूसरे दिन यानी षष्ठी को वैष्णव संप्रदाय के आचार्य रामानुजाचार्य की जयंती जिसमें वैष्णव मठों में विशेष पूजा अर्चना एवं प्रवचनों का आयोजन संपन्न हुआ।

वैशाख शुक्ल सप्तमी को जगत पावनी माता गंगा की उत्पत्ति का दिन होने से इसे गंगा सप्तमी के रूप में सनातन जगत भव्यता के साथ मनाता है। इसके दूसरे दिन यानी अष्टमी तिथि दश महाविद्याओं में पीताम्बरा शक्ति या बगलामुखी जयंती के नाम से मनाई गई, दूसरे दिन वैशाख शुक्ल नवमी सीता जयंती के लिए प्रसिद्ध है। मिथिलांचल एवं नेपाल सहित देश में वैष्णव एवं शाक्त सभी इस को बड़ी पवित्रता से मनाते आ रहे हैं।

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वैशाख शुक्ल तृयोदशी भगवान नृसिंह जयंती एवं दश महाविद्याओं में एक छिन्नमस्ता शक्ति की जयंती के रूप में श्रद्धा से मनाई गई। वैष्णव, शैव और शाक्त सभी इसका बड़ा महत्व मानते हैं। तंत्र साधना में इसका विशेष महत्व है। वैशाख पूर्णिमा को भगवान बुद्ध की जयंती मनाई गई जिसमें उनके उपदेशों को श्रद्धालुओं ने आत्मसात्‌ किया।

वैशाख समाप्त होते ही जेष्ठ कृष्ण द्वितीया श्री नारद जयंती जिस का साहित्य संगीत और कला क्षेत्र के लोगों द्वारा 'वीणादिवाद्ययंत्र दानम्‌' के रूप में मनाया जाता है। नारद जी के तत्व चिंतन से प्रेरणा लेनी की आवश्यकता है कि लोककल्याण किस प्रकार होता है। कुल मिलाकर मई का यह पखवाड़ा अनेक जयंतियों से भरपूर रहा है।

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