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...जहां हनुमानजी 'बड़े मंगल' के दिन पूरी करते हैं मन्नत

लखनऊ में सर्वधर्म एकता का प्रतीक है बडा़ मंगल!

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लखनऊ में ज्येष्ठ मास में पड़ने वाले सभी मंगल 'बडा़ मंगल' के रूप में मनाए जाते हैं और इस आयोजन में हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई आदि सभी धर्मों के लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।

मंगलवार के इस आयोजन के लिए प्रशासन द्वारा की गई सुरक्षा व्यवस्था के बीच सभी धर्मों के लोगों ने इसमें बडे़ हर्षोल्लास के साथ भाग लेते हैं। इस दिन पूरा लखनऊ लाल लंगोटे वाले की जय के उद्घोष से गूंज उठता है।

मान्यता है कि इस परंपरा की शुरुआत लगभग 400 वर्ष पूर्व मुगल शासक ने की थी। नवाब मोहमद अली शाह का बेटा एक बार गंभीर रूप से बीमार हुआ। उनकी बेगम रूबिया ने उसका कई जगह इलाज कराया लेकिन वह ठीक नहीं हुआ। बेटे की सलामती की मन्नत मांगने वह अलीगंज के पुराने हनुमान मंदिर आईं।

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पुजारी ने बेटे को मंदिर में ही छोड़ देने कहा। रूबिया रात में बेटे को मंदिर में ही छोड गईं। दूसरे दिन रूबिया को बेटा पूरी तरह स्वस्थ मिला। उन्हें इस बात पर विश्वास नहीं हो रहा था कि एक ही रात में बीमार बेटा पूरी तरह से चंगा कैसे हो सकता है। तब रूबिया ने इस पुराने हनुमान मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। जीर्णोद्धार के समय लगाया गया प्रतीक चांद तारा का चिह्न आज भी मंदिर के गुंबद पर चमक रहा है।

मंदिर के जीर्णोद्धार के साथ ही मुगल शासक ने उस समय ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले मंगल को पूरे नगर में गुड़-धनिया, भूने हुए गेहूं में गुड़ मिलाकर बनाया जाने वाला प्रसाद.. बंटवाया और प्याऊ लगवाए थे। तभी से इस बडे़ मंगल की परंपरा की नींव पडी़।

बडा मंगल मनाने के पीछे एक और कहानी है। नवाब सुजा-उद-दौला की दूसरी पत्नी जनाब-ए-आलिया को स्वप्न आया कि उसे हनुमान मंदिर का निर्माण कराना है। सपने में मिले आदेश को पूरा करने के लिए आलिया ने हनुमानजी की मूर्ति मंगवाई। हनुमानजी की मूर्ति हाथी पर लाई जा रही थी।

मूर्ति को लेकर आता हुआ हाथी अलीगंज के एक स्थान पर बैठ गया और फिर उस स्थान से नहीं उठा। आलिया ने उसी स्थान पर मंदिर बनवाना शुरू कर दिया जो आज नया हनुमान मंदिर कहा जाता है।

मंदिर का निर्माण ज्येष्ठ महीने में पूरा हुआ। मंदिर बनने पर मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कराई गई और बडा़ भंडारा हुआ। तभी से जेष्ठ के महीने का हर मंगलवार बडा़ मंगल के रूप में मनाने की परंपरा चल पडी़।

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चार सौ साल पुरानी इस परंपरा ने इतना बृहद रूप ले लिया है कि अब पूरे लखनऊ के हर चौराहे, हर गली और हर नुक्कड पर भंडारा चलता है। पूरे दिन शहर बजरंगबली की आराधना से गूंजता रहता है और हर व्यक्ति जाति, धर्म, अमीरी-गरीबी सब भूला कर भंडारा में हिस्सा लेने और हनुमानजी का प्रसाद ग्रहण करने की होड़ में लग जाता है।

पुराने हनुमान मंदिर की मान्यता है कि बडे़ मंगल के दिन अपने निवास स्थान से लेटकर जमीन नापते हुए मंदिर तक जाने से मन्नत पूरी होती है। इसलिए बडे़ मंगल के दिन प्रातःकाल सैकड़ों लोग सड़क पर लेट-लेट कर मंदिर तक जाते हुए दिखाई पड़ते हैं और हर बार लेटते हुए... लाल लंगोटे वाले की जय.. बोलते हैं।

इन परिक्रमा करने वालों में पांच वर्ष के बच्चे से लेकर बूढे़ तक दिखाई पडते हैं। मन्नत पूरी होने पर फिर यही परिक्रमा करते हैं।

अलीगंज के पुराने हनुमान मंदिर के साथ अभिनेता स्वर्गीय सुनील दत्त का भी नाम जुडा़ हुआ है। देश विभाजन के बाद लखनऊ आने पर अभिनेता सुनील दत्त ने इसी मंदिर के प्रांगण में रात बिताई थी और उन्हें सोते समय स्वप्न हुआ था कि मुंबई जाओ। वहां तुम्हारा भाग्य चमकेगा। सुनील दत्त ने लखनऊ से सीधे मुंबई का रूख किया और सफलता प्राप्त की।

बडा़ मंगल की सबसे बडी़ विशेषता यह है कि इतने बृहद रूप में पूरे दिन भंडारा होता है और हनुमान जी की आराधना लाउडस्पीकर पर गूंजती रहती है, लेकिन इस दिन कभी भी, कहीं भी कोई तनाव की घटना नहीं हुई। मुस्लिम बहुल क्षेत्र में भी सभी मंदिरों में हजारों श्रद्धालु दर्शन-पूजन करते हैं।

पूरा माहौल हनुमान मय रहता है लेकिन पूरी तरह शांति और उल्लापूर्ण वातावरण बना रहता है। पूरे मंदिर क्षेत्र में मेले जैसा माहौल रहता है। लखनऊ में स्थित विभिन्न हनुमानजी के मंदिरों में मूर्ति का श्रृंगार भी अलग-अलग तरह से किया जाता है। पक्का पुल स्थित अहिमर्दन पाताल पुरी में 11 क्विंटल गुलाब और गेंदे के फूलों से श्रृंगार होता है। यहां भक्त सिन्दूर चढा़ते हैं। चोला बदलने के बाद भव्य आरती होती है। किसी मंदिर में सोने और चांदी के वर्क से श्रृंगार किया जाता है, तो कहीं मेवा और मखाना से श्रृंगार होता है।

अमीनाबाद के हनुमान मंदिर में चमेली के तेल, दुग्ध, मधु से अभिषेक के बाद सिन्दूर चढा़या जाता है तथा सोने-चांदी के वर्क और पुष्पों तथा मेवे से श्रृंगार किया जाता है और इसके बाद 108 दीपों की आरती होती है।

अलीगंज स्थित पुराने और नए हनुमान मंदिर, विकास नगर का पंचमुखी हनुमान मंदिर, छाछीकुआं मंदिर, हजरतगंज का दक्षिणेश्वर हनुमान मंदिर, इंदिरा नगर के सिद्धेश्वर महादेव मंदिर, निशातगंज बंधा मार्ग के पंचमुखी हनुमान मंदिर, आशियाने के छुहारे वाले हनुमान मंदिर, आलमबाग बडा़ चौराहा हनुमान मंदिर, गोलागंज के दुर्गा हनुमान मंदिर, सीतापुर रोड के हाथी बाबा मंदिर इत्यादि तमाम मंदिरों में श्रृंगार की अलग-अलग विधाएं हैं।

बडे़ मंगल की पूर्व संध्या पर डालीगंज जैन मंदिर से राम बारात निकाली जाती है, जिसमें सजे-धजे रथ पर भगवान राम सवार होते हैं, तो उनके पीछे वानर सेना भी रहती हैं। बैंड-बाजे और रंगबिरंगी आतिशबाजी के साथ बारात विभिन्न मार्गों से गुजरती है।

बडा़ मंगल के दिन प्रशासन की ओर से भी सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए जाते हैं। मंदिर क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरे और पर्याप्त पुलिस बल के साथ बम निरोधक दस्ते और खोजी कुत्ते भी तैनात किए गए हैं। श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो इसके लिए प्रमुख मंदिरों की ओर जाने वाले मार्गों का यातायात परिवर्तित किया गया है। (वार्ता)

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