जीवन कितना सरल होता, अगर हर मनवांछित चीज हमारे हाथ में होती। क्या वाकई ये अच्छा होता? क्या वाकई दुनिया का हर वो व्यक्ति जिसके पास दुनिया का हर साजो-सामान, संसाधन और ढेर पैसा हो, वह खुश ही होता है ? जवाब न ही होगा। अगर वाकई खुशियाँ पाना इतना आसान होता तो दुनिया के हर बाजार में खुशी की एक दुकान जरूर होती और फिर कहीं भी कोई परेशान, दुख में डूबा मनुष्य नहीं होता।
एक विचार यह भी करके देखिए कि अगर खुशियाँ पेड़ पर लगतीं या खेतों में उगतीं या फिर आसमान से बरसतीं तो...? तब शायद वो हर उस आदमी के पास भी पहुँच जाती जो दाम देकर उन्हें खरीद नहीं सकता था।
हाँ... सोचने के लिहाज से ये सारी बातें बहुत सुकूनदायक हैं। लेकिन जरा ये भी सोचिए कि अगर खुशियाँ इतनी सहजता से मिल जातीं, तो क्या उनका वही मोल रह जाता? क्या तब वे उतनी ही अनमोल होतीं? और क्या तब भी आप उनके होने से उतनी ही खुशी महसूस कर सकते थे? शायद नहीं।
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संघर्ष और कठिनाइयों के स्वाद के बिना खुशियों के स्वाद की कल्पना भी बेमानी है। तो क्यों न अपने आसपास फैली छोटी-छोटी खुशियों को ही हम दामन में समेटें, उनकी कद्र करें और दूसरों को भी खुश करने की सहज सी कोशिश करें। तब खुशियों का असल स्वाद हमारे मन में भीतर तक असर कर पाएगा। और उसकी मिठास ताउम्र बनी रहेगी।
फूलों और पत्तियों के खिलखिलाने को महसूस कीजिए... पंछियों के नए रागों को सुनिए... राह चलते किसी फकीर के मधुर तरानों को कुछ मिनट दिल तक पहुँचने दीजिए.. खुद के साथ थोड़ा समय निकालिए और वही कीजिए जो आपको सबसे ज्यादा पसंद हो... बच्चों के बीच मन रमा कर देखिए और बचकानी हरकतें भी कर डालिए... किसी जरूरतमंद की अपने सामर्थ्य अनुसार सहायता कर डालिए और किसी दुखी व्यक्ति की ओर संबल भरा हाथ बढ़ा डालिए।
ये तमाम चीजें आपको आत्मिक खुशी से सराबोर कर देंगी। इनका कोई मोल नहीं और न ही ये खरीदे से आपके पास आएँगी ही लेकिन जब आप इन खुशी के पलों को पा लेंगे तो खुद को दुनिया के सबसे दौलतमंद व्यक्ति के रूप में महसूस करेंगे।
ये आपको और आपके आसपास के पूरे वातावरण को इतनी सकारात्मकता से भर देंगे कि आपको हर चुनौती छोटी नजर आएगी और मन में ऊर्जा का अथाह भंडार महसूस होने लगेगा। बस एक बार खुशी की इन तरंगों को जानकर देखिए... आप बार-बार इस समंदर में तैरना चाहेंगे।