बिहार में अमूल्य धरोहरों का खजाना है पर सुरक्षा के बंदोबस्त खस्ताहाल हैं। प्राचीन मूर्तियों की तस्करी का धंधा बदस्तूर जारी रहने और पांडुलिपियों की चोरी की खबरें सुर्खियाँ बटोरती रही हैं। इसी महीने कुछ असामाजिक तत्वों ने राजगीर में अवैध खुदाई कर मौर्यकालीन अशोक स्तंभ को क्षतिग्रस्त कर दिया। अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी मामले की गंभीरता का भान हुआ है।
उन्होंने घटनास्थल का सर्वेक्षण किया और जाँच के आदेश दिए। इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर पुख्ता बंदोबस्त के लिए अनुरोध भी किया। यूँ राज्य सरकार धरोहरों की देखभाल के लिए अपने संसाधनों से निजी सुरक्षाकर्मियों की भर्ती करने वाली है लेकिन समस्या की व्यापकता के मद्देनजर यह योजना भी नाकाफी लगती है।
प्राचीन धरोहरों के लिहाज से बिहार की भूमि इतनी उर्वर है कि कहा जाता है कि यहाँ खुदाई के लिए पुरात्व विभाग की गैंती जहाँ भी गिरती है वहीं हजारों साल पुराने ऐतिहासिक अवशेषों के खजाने मिलने लगते हैं। नालंदा, विक्रमशिला और ओदंतपुरी के प्राचीन विश्वविद्यालयों के अवशेष प्रदेश के गौरवशाली अतीत के साक्षी हैं। बोधगया के प्राचीन मंदिर, वैशाली के स्तूप, प्राचीन गुफा चित्र राज्य की ऐतिहासिक विरासत की कहानी बयाँ करते हैं।
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इस महान भूमि के गर्भ में आज भी पुरातत्व अवशेष के रूप में अतीत के न जाने कितने ही पल दबे हुए हैं। इन्हें संरक्षित खुदाई का इंतजार है। जबकि इन प्राचीन धरोहरों की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अत्यधिक माँग के कारण तस्कर इस ओर आकर्षित होते रहे हैं और खस्ताहाल सुरक्षा तंत्र इन्हें एक तरह से ऐसा करने को प्रोत्साहित भी कर रहा है। बिहार के 72 हैरीटेज स्थलों में से सिर्फ तीन नालंदा, बोधगया और सासाराम ही पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित किए गए हैं। शेष 69 आज भी अपने हाल पर छोड़ हुए हैं।
फिर संरक्षित क्षेत्रों में भी सुरक्षाकर्मियों की संख्या बहुत कम है। पूरे राजगीर क्षेत्र में सिर्फ 12 सुरक्षाकर्मी हैं। पुरातत्व विभाग ने केंद्र सरकार से 500 अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियों की माँग की है जो अभी लंबित हैं। उत्तर प्रदेश में दलित स्मारकों की सुरक्षा के लिए गठित सुरक्षा बल की तर्ज पर देश के ऐतिहासिक धरोहरों की सुरक्षा के लिए भी ऐसे बल के गठन की जरूरत है पर केंद्र के समक्ष ऐसे प्रस्ताव लंबित पड़े हैं।
राजगीर में साइक्लोपियन की दीवार हो या यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हैरीटेज घोषित महाबोधि मंदिर या नालंदा स्थित विश्व का पहला अंतर्राष्ट्रीय आवासीय विश्वविद्यालय, बिहार में समृद्ध ऐतिहासिक धरोहरों की लंबी फेहरिस्त है। नालंदा विश्वविद्यालय पर पूरा देश नाज करता रहा है। मुगल स्थापत्य कला का शानदार नमूना कैमूर की पहाड़ियों पर रोहतास गढ़ तो सासाराम में तुर्ककाल के अष्टकोणीय गुबंद का अनोखा नमूना पेश करता शेरशाह सूरी का मकबरा या मनेर में इंडो-इस्लामिक वास्तुशैली का जीवंत प्रतीक मखदूम याह्या मनेरी का मकबरा ऐसे धरोहर हैं जिसकी प्राचीनता और वास्तुशिल्प इतिहासकारों व पुरातत्वविदों को विस्मित करते हैं।
लेकिन इन धरोहरों की सुरक्षा के प्रति पुरात्व महकमे की ढुलमुल नीति सवालों के घेरे में आती रही है। हालाँकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने धरोहरों की सुरक्षा के मुद्दे पर संवेदनशीलता दिखाई है। कुछ माह पूर्व मुख्यमंत्री ने राजगीर, नालंदा, बोध गया, कुर्कीहार और वैशाली आदि जगहों का दौरा कर उत्खनन कार्यों का जायजा लिया और उत्खनन कार्य को जल्द से जल्द पूरा करने का निर्देश दिया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे खत में नीतीश ने कहा कि बिहार की ऐतिहासिक भूमि के गर्भ में अनगिनत अमूल्य धरोहर छिपी हैं। जरूरत है कि उन्हें जल्द से जल्द उत्खनित कर सहेजा जाए।
बिहार की सौ ऐतिहासिक धरोहर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और राज्य पुरातत्व निदेशालय द्वारा संरक्षित हैं पर ऐतिहासिक धरोहरों में शुमार पटना का गोलघर अतिक्रमण की चपेट में है। धरोहरों के पास रोशनी का पुख्ता इंतजाम नहीं होता और असामाजिक तत्व यहाँ डेरा डाले रहते हैं। सुरक्षा के अभाव में प्रदेश के विभिन्न स्थानों से दो सौ से अधिक प्राचीन मूर्तियाँ चोरी हो चुकी हैं।
धरोहर क्षेत्र में स्थायी निर्माण पर रोक है लेकिन ऐसे निर्माण कार्य बेरोकटोक जारी हैं। सुरक्षाकर्मियों के अभाव में कई धरोहरों से ईंटें तक निकाल ली गई हैं। ऐसी घटनाओं के बाद कला और संस्कृति विभाग की ओर से जिलाधिकारी को लिखे गए पत्रों की अनदेखी की जाती है।
हालाँकि बारहवें वित्त आयोग ने धरोहरों पर प्रकाश व्यवस्था के लिए 20 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं और इस राशि से कमलदह मंदिर, पटना सिटी, मुंगेर का किला और विष्णुपद मंदिर में लाइटिंग की व्यवस्था की उम्मीद जगी है। ऊर्जा विभाग के सहयोग से कुछ धरोहरों के पास सौर ऊर्जा से प्रकाश की भी योजना बनी है लेकिन अमल में अभी देर है। वैसे मुंगेर के किले की प्रकाश व्यवस्था पर दो करोड़ 18 लाख खर्च करने की योजना बन चुकी है। संस्कृति विभाग के सचिव विवेक कुमार सिंह कहते हैं कि ऐतिहासिक धरोहरों को अतिक्रमण, छेड़छाड़ और चोरी से बचाने के लिए निजी सुरक्षा गार्ड तैनात किए जाने की योजना है।
राजगीर में अवैध खुदाई कर अशोक स्तूप को असामाजिक तत्वों द्वारा क्षतिग्रस्त किए जाने पर उच्चस्तरीय जाँच का आदेश दिया गया है। इस संबंध में मुख्यमंत्री ने पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीक्षक एस. मंजुल को सुरक्षा-निर्देश दिए हैं। मानव संसाधन विकास विभाग के प्रधान सचिव, एडीजे हेड क्वार्टर और अपर मुख्य वन संरक्षण की तीन सदस्यीय जाँच कमेटी बन चुकी है लेकिन जब तक सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था नहीं होती तब तक ऐसी घटनाओं को रोकना संभव नहीं दिखता।